गुरुवार, 13 नवंबर 2025

सूरतगढ़:सबसे बड़े घोटाले. प्रशासन व बड़े लोगों को सब मालुम.

 




* करणीदानसिंह राजपूत *

सूरतगढ़ 13 नवंबर 2025.

सूरतगढ़ नगरपालिका क्षेत्र में बनी एक भी प्राईवेट आवासीय कालोनी नगरपालिका शासन के सुपुर्द नहीं है। सन् 2000 से अब 2025 तक बनी कालोनियां जिनमें 2005 में बनी बसंत और 2007 में बनी आनंद भी बाहर है। नगरपालिका क्षेत्र में दस से अधिक कालोनियां हैं।

* कोलोनाईजर्स ने कालोनियों का निर्माण अपनी मनमर्जी से किया। उन्होंने राजस्थान सरकार से स्वीकृत  कराए नक्शे बस्तों में आलमरियों में बंद किए और नियमों को पूरा नहीं करते हुए निर्माण किए। कालोनियों में सामुदायिक स्थल तक को इधर उधर कर दिया गया और वहां निर्माण नहीं कराए गए। पुरानी कालोनियों में हरेक में पचास से सौ तक भूखंड खाली पड़े हैं जिनमें झाड़झंखाड़ घासफूस गंदगी रोगाणु और खतरनाक विषैले जीव जंतु पनप रहे हैं तथा आसपास के लोगों को मालुम तक नहीं की ये संपत्ति किन लोगों की है,वैध है या फिर काली कमाई को छिपाने की खरीदारी है।

* कालोनियां नगरपालिका के सुपुर्द ही नहीं लेकिन नगरपालिका के अधिकारियों और चुने अध्यक्षों व बोर्ड ने बड़े निर्माणों के नाम पर करोड़ों रूपये कालोनियों में लगाए। इंजिनियरों ने नक्शे माप किए और अधिशासी अधिकारियों ने सब जानते हुए मंजुरियां दी चैक जारी किए। सिस्टम के कमीशन के रूप में बड़े अनुमान से 30-40 करोड़ रूपये अधिकारी चुने हुए नेता आदि ने हड़पे,जबकि सभी को मालुम था कि कालोनियां नगरपालिका के सुपुर्द नहीं प्राईवेट निजी मालिकों के पास है। कालोनियों में नयी सड़कें नालियां निर्माण,मरम्मत, बिजली आदि के नाम पर करोड़ों रूपये बहाए और अपना कमीशन और उचंती हिस्से दारियां भी रखी। सड़कों के निर्माण मरम्मत आदि के टेंडर तक कालोनियों के नाम से हुए। नगरपालिका को तो प्राईवेट कालोनियों में एक पैसा तक नहीं लगाना था। नगरपालिका को कालोनियां सुपुर्द ही नहीं तब तक व्यवस्था और खर्च मालिकों के हैं। साफ सफाई तक कोलोनाईजर करें नगरपालिका अधिकारी साफ सफाई कचरा निस्तारण आदि पर खर्च करने तक के भी दोषी हैं।

नगरपालिका का कुछ निश्चित भूखंडों पर अधिकार होता है जो नीलाम कर जमा रकम नगरपालिका में इस्तेमाल कर सकती है जो यहां अभी तक कोई कार्वाई नहीं हुई। सामुदायिक भूखंड भी जहां कोलोनाईजर ने पट्टे आदि बना कर हड़प लिए वह भी बड़े घोटालों में है। सड़कों के पास दुकानों के निर्माण में बरामदे थे लेकिन नगरपालिका अधिकारियों की मिलीभगती से दुकानों और होटलों में शामिल कर लिए गये। नगरपालिका क्षेत्र में दस से अधिक कालोनियां हैं जिनके निर्माता अपनी टूट फूट सभी प्रकार का मलबा निस्तारण नहीं करते बल्कि नगरपालिका सीमा में और सड़कों के किनारे फेंक देते हैं। सभी कालोनियों के आसपास नगरपालिका क्षेत्र में गंदगी फैल रही है और नगरपालिका की ओर से कोई निरीक्षण नहीं नोटिस नहीं।

वर्तमान अधिशासी अधिकारी पूजा शर्मा से कालोनियों में व्यवस्था बाबत जानकारी चाही तब उन्होंने बताया कि एक भी प्राईवेट आवासीय कालोनी नगरपालिका प्रशासन के सुपुर्द नहीं हुई है। सबसे पुरानी बनी बसंत और आनंद भी नगरपालिका के सुपुर्द नहीं है। अधिशाषी अधिकारी ने बताया कि कोलोनाईजर सरकार के नॉर्म्स (नियम) पूरे नहीं करते। ०0०








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