रविवार, 28 सितंबर 2025

झाड़ू लगाने से सूरतगढ़ में विधायक:अब नहीं.

 


* करणीदानसिंह राजपूत *

खूब हंसी उड़ रही है झाड़ू तस्वीरों और विडिओ पर! झाड़ू लगाने वाले अब आगे विधायक नहीं बन पाएंगे। झाड़ू की तस्वीरें और विडिओ जनता को प्रभावित नहीं कर रहे। पहले नाटकों में भी जान होती थी। कलाकारों के बोल हाव भाव सालों तक लोगों को याद रहते और प्रभावित करते थे। अब झाड़ू लगाना और उनकी तस्वीरें  विडिओ सोशल मीडिया पर चलवाना नाटक भी नहीं रहा। जनता इसे नाटक भी नहीं कहती। अब जनता इसे फूहड़ता कहती है और इस नजरिये से ही देखती है। 

अब हंसी उड़ रही है,साफ सुथरी सड़क उपखंड अधिकारी कार्यालय के आगे की जगह झाड़ू लगाते की तस्वीरें विडिओ चलाने वालों की।

उपखंड अधिकारी कार्यालय के आगे या साफ सड़क पर झाड़ू का विडिओ हो तो लोग हंसी ही उड़ाएंगे। यह नाटक भी नहीं कहलाता। नाटक ही करना था तो गंदी से गंदी जगह चुनते और वहां झाड़ू लगाते। कच्ची बस्तियों की गलियां चुनते जहां सफाई होती नहीं। सफाई कर्मचारियों की जिस क्षेत्र में ड्युटी ही नहीं। किसी ने कभी सफाई कर्मचारी को देखा नहीं। उस जगह झाड़ू लगाते और कचरा भी फेंकते हुए नजर आते। शहर के वे नाले नालियां चुनते जो गंदगी और मल से भरे पड़े हैं। लेकिन जो प्रचारित किया वह सिवाय फूहड़ता के कुछ और नहीं। यह जनता का काम नहीं है जिससे प्रभावित होकर भविष्य में विधायक चुन लें। इसे जनता का काम साबित करके बताएं जिन्होंनें झाड़ू लगाए।  साबित कर दें कि उनका झाड़ू लगाना जनता हित का काम था। अगर यह जनहित था तो फिर लगातार रोजाना होता,लेकिन यह तो दो तीन घंटे तक फोटो विडिओ तक हुआ। अगर यह जनहित होता तो सौ दो सौ लोग साथ में झाड़ू लगाते हुए नजर आते लेकिन पांच दस ही साथ में और तस्वीरों विडिओ में अकेले। भाजपा और कांग्रेस दोनों ओर से झाड़ू लगाए गए।

झाड़ू लगाने से डूंगराम गेदर को पुनः टिकट नहीं मिलेगा और टिकट मिल भी गया तो अब जो गेदर और गेदर पार्टी कर रही है उससे जनता दूर हो रही है। वर्षों की तपस्या से लोगों ने साथ दिया लेकिन विधायक बनने के बाद जो धूणा लगाया है उसमें  सब जल कर राख होता जा रहा है। लोग जिस गति से साथ हुए थे अब उससे दुगनी गति से दूर होते जा रहे हैं। 

भाजपा की टिकट और मोदी के नाम से भी हार और बुरी हार मिल सकती है। टिकट भी जीत नहीं दिला सकती। रामप्रताप कासनिया को चेताचूक हार मिल सकती है। ऐसी स्थिति के जानकार होकर भी अशोक नागपाल को झाड़ू पकड़ने की सोच भी क्यों हुई? नागपाल तो यहां के निवासी और जानकार हैं। नागपाल को तो हटकर ऐसा काम करना चाहिए था जो स्थाईत्व रखे। अभी ऐसी स्थिति नहीं है जो आगे टिकट के दावे को मजबूत करे। 

चाहे पूजा छाबड़़ा झाड़ू जैसा करती रहती,क्योंकि उसकी प्रचार पाने की तस्वीरें विडिओ चलाने की कार्यपद्धति है। पूजा छाबड़़ा अभी तक तो यह भी नहीं समझ पाई कि सूरतगढ़ की जनता के,गरीबों के,कच्ची बस्तियों के लोगों के क्या काम हैं? वह बता नहीं सकती कि इतनी संख्या में लोगों के काम करवाए हैं? विधायक के सपने लेना कोई रोक नहीं सकता। लेकिन सूरतगढ़ में उपखंड अधिकारी कार्यालय के आगे या साफ सड़कों पर झाड़ू लगाने के बजाय अपने स्वर्गीय ससुर गुरूशरण छाबड़़ा के प्रतिमा स्थल को ही  झाड़ू लगाकर साफ सुथरा रखना था जो अभी उजड़े हालात में है। राजकीय चिकित्सालय के मुख्यद्वार पर कोई भी यह हालात देख सकता है। जब यह छोटी सी जगह साफ सुथरी नहीं रख सकती, उसकी सार संभाल ही नहीं कर सकती तब सूरतगढ़ विधानसभा के विशाल क्षेत्र में तो कुछ भी नहीं कर सकती। 9 जून 2025 को गुरूशरण छाबड़़ा की जयंती पूजा छाबड़़ा ने उजड़े हालात में ही मनाई थी। उस समय मीडिया में यह आ गया था। तीन महीने बीत जाने पर भी गुरूशरण छाबड़़ा प्रतिमा स्थल की साफ सफाई मरम्मत रंगरोगन नहीं कराया जा सका,बल्कि वह अधिक क्षतिग्रस्त हो गया और निर्माण का पलस्तर तक उखड़ गया, खुर गया। जब एक छोटी सी जिम्मेदारी नहीं संभाली जा सकती तब विधानसभा की जिम्मेदारी तो संभव ही नहीं। अभी जो हालात है उसमें तो कोई पद भी मिलने की संभावना नहीं। 

कांग्रेस के विधायक डुंगरराम गेदर और भाजपा के अशोक नागपाल व पूजा छाबड़़ा अपनी कार्य पद्धति की समीक्षा करलें कि वर्तमान में वे जनता के बीच में लोगों से घिरे हुए खड़े हैं या पांच दस से ही घिरे हुए हैं। 

👌 एक बार फिर झाड़ू लगाने पर सोचें। इस फुहड़ता पर सोचें कि नगरपालिका में सैंकड़ों वेतन ले रहे सफाई कर्मचारियों के होते हुए तुम झाड़ू क्यों लगा रहे थे? उन सैंकड़ों कर्मचारियों के होते हुए शहर में सड़कें नाले नालियां गंदगी से क्यों भरे पड़े हैं। उनसे यह काम करवाने की आवाज क्यों नहीं उठी। कभी नगरपालिका प्रशासन से सवाल क्यों नहीं किया गया कि ये लोग कहां काम करते हैं? नगरपालिका सूरतगढ़ में कितने सफाई कर्मचारी हैं जिनको प्रशासन ने सरकारी आदेशों के विपरीत एसी कमरों में बिठा रखा है। अभी 26 अगस्त 2025 को सरकार ने एक आदेश जारी किया कि सफाई कर्मचारियों को मूलपद पर फील्ड में सफाई कार्य करवाया जाए। उक्त आदेश की पालना नहीं हुई। युनियन के पदाधिकारी कर्मचारियों ने इस आदेश की पालना के लिए अधिशाषी अधिकारी पूजा शर्मा और प्रशासक एसडीएम भरत जयप्रकाश मीणा को 12 सितंबर 2025 को मांग पत्र भी दिया था। सूरतगढ़ में जातिगत भेदभाव भी है कि स्वर्ण सफाईकर्मी दफ्तर में एसी रूम में काम करें,उनसे नाले नालियां साफ नहीं करवाएं और नाले नालियां साफ केवल बाल्मीकि ही करें।

यह जिम्मेदारी भाजपा के अशोक नागपाल और पूजा छाबड़़ा ने नहीं निभाई। अपनी ही सरकार के आदेश की पालना नहीं करवाई।

ये समीक्षा करें और इनके साथ रहने वाले पार्टी कार्यकर्ताओं तथा राजनैतिक दलों को भी समीक्षा करनी चाहिए। क्या सूरतगढ़ में ऐसा व्यवहार और व्यवस्था ही चलती रहेगी? 28 सितंबर 2025.

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