शुक्रवार, 15 मार्च 2024

सूरतगढ़:पट्टों का छुपा सच्च!भाजपा का खेल और कांग्रेस का मौन

 

* करणीदानसिंह राजपूत *

सूरतगढ़ 15 मार्च 2024.

पचास हजार वोटों से विधानसभा (2023)की सीट हारने के बाद भी भाजपा अपने वर्किंग रवैये को लोकसभा चुनाव 2024 के लिए सुधार नहीं पाई जिसमें नगरपालिका की भ्रष्ट व्यवस्था ज्यों की त्यों रही और लोकसभा चुनाव की आदर्श आचार संहिता 16 मार्च को लगने से एक दिन पहले तक  वर्किंग का कच्चा चिट्ठा पट्टे बनाने और वितरण में सामने आया। भाजपा के नगरपालिका अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा के सस्पेंशन से बहाल होने के बाद शहर की व्यवस्था खासकर गरीब अल्प आय कच्ची बस्ती पट्टे व भ्रष्टाचार के मामले में कांग्रेस ने पूरी तरह से मौन धारण कर रखा है।आखिर यह कौनसा राज है जिसके कारण विधायक डूंगरराम गेदर और उनकी टीम चुप है? पीसीसी सदस्य पार्षद परसराम भाटिया भी पट्टों के मामले और भ्रष्टाचार पर चुप हैं जो भाटिया स्वयं 120 दिन नगरपालिका के कार्यवाहक अध्यक्ष रह चुके हैं।

* उम्मीद से बहुत कम पट्टे 15 मार्च को बांटे गये और अध्यक्ष जितने पट्टे बांटने की घोषणा बयान में कर रहे,क्या वह घोषणा सही थी?

* ओमप्रकाश कालवा ने बहाली के बाद 20 फरवरी को कार्यभार ग्रहण किया और उसी दिन अधिशासी अधिकारी पद पर पूजा शर्मा ने कार्यभार ग्रहण किया। दोनों की वर्किंग सही होती तो सारी पट्टा फाईलें निपटा दी जाती जिनके कागजात सही और पूरे हो चुके थे। पूर्व विधायक कासनिया और कालवा की घोषणा एकदम खोखली साबित हुई है कि न अतिक्रमण हटा पाए और न सही संख्या में पट्टे वितरित कर पाए।

* अध्यक्ष का बयान कि लोगों ने पैसे जमा नहीं कराए इसलिए पट्टों की संख्या कम रही, लोगों को मोबाइल पर पैसे जमा कराने की सूचना दे रहे हैं।

👍 कितने पट्टों के लिए पैसे जमा नहीं हुए? यह संख्या छुपाने या बयान नहीं करने का कारण? इस संख्या से मालुम पड़ता कि कितने पट्टे तैयारी पर थे? पैसे जमा कराने से वंचित रहे लोगों को अब फोन करना है तो पहले उनको किस तरह से सूचना दी या बिल्कुल ही नहीं दी? दो तीन दिनों से तो नगरपालिका में भाजपा व पार्षदों का पहुंचना बहुत रहा था और वह पट्टों के लिए था। ऐसे में यह कहना कि लोगों ने पैसे जमा नहीं कराए। जिन लोगों ने सारे दस्तावेज दे दिए जो पट्टों के लिए पैसे जमा नहीं कराए। यह अध्यक्षीय बयान जंचता नहीं है।बोलने को चाहे जो बोलें। पट्टों में कोई रिश्वत का पैसा नहीं लिया गया। कोई मागे तो बताया जाए। ऐसा कोई मामला हो तो पत्रकार सामने लाए। यह बार बार कहने की आवश्यकता क्यों पड़ रही है? कितनी बार कह चुके। जिन पत्रकारों के सामने कहा जा रहा है वे बयान छापने प्रसारित करने वाले हैं। न वे खोज करने वाले हैं न बयान पर सवाल उठाने वाले हैं। वे सवाल भी क्यों करें? जो वर्किंग है उसका नफा नुकसान तो भाजपा को होगा तो उसके पदाधिकारी सोचें। भ्रष्टाचार खोजा नहीं जाता वह वातावरण बनाता है जो जनता में बताने की जरूरत नहीं होती।

* एक भ्रष्टाचार चौड़े धाड़े हो रहा है। ईओ के साथ अध्यक्ष भी जिम्मेदार है लिप्त है। सरकार का आदेश है कि सफाई कर्मी को किसी अन्य काम पर लगा कर वेतन नहीं दे सकते। नगरपालिका में यह भ्रष्टाचार चल रहा है और नगरपालिका में लगे सीसीटीवी कैमरे शक्तिशाली गवाह हैं।अचानक छापा जांच में अध्यक्ष बच जाए मगर ईओ तो नहीं बच सकती जो वर्तमान में है।

* बयान दिया गया कि सरकार से पूछ कर पट्टे बांटने का काम करेंगे। वाह! आदर्श आचार संहिता में यह होगा। इस बयान से कोई भी भ्रमित होने वाला नहीं।

👍 आचार संहिता 16 मार्च को 3 बजे बाद लगना माने तो पहले के 6 घंटों में कितने पट्टे बांट पाएंगे? 👍👍क्या सफाई कर्मचारी ड्यूटी में सही व्यवस्था कर पाएंगे? भाजपा और कांग्रेस दोनों ही इस व्यवस्था पर एक ही रवैये की है। लेकिन इसी व्यवस्था पर ही दूसरे की गलत ड्यूटी लगाने में प्रमाणित करने में अधिकारी अपनी नौकरी खतरे में डालता है। पहले किसी की नौकरी हथियाएं और फिर उस पद पर काम नहीं करें। ऐसे कर्मचारियों की फर्जी हाजिरी लगाएं।०0०

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