झूठ का तूफान:लाल डायरी है तो राजेंद्र गुढा खोलें उसमें लिखे राज.
* करणीदानसिंह राजपूत *
लाल डायरी होती तो भाषण हंगामा आदि नहीं होते बल्कि डायरी का हर पृष्ठ छप जाता। फिलहाल इसे झूठ का तूफान कहा जा सकता है।
राजेंद्र गुढा लाल डायरी पर जो खेल खेलना चाह रहे हैं,वह भाजपा के हवा देने के बावजूद पार नहीं पड़ रहा।
गुढा अशोक गहलोत की सरकार को गिरा सकते नहीं,हां अशोक गहलोत को केवल कुछ दिनों के लिए बदनाम कर सकते है? सरकार के तो तीन महीने ही शेष हैं ऐसे में यह लाल डायरी का मामला उछालना बड़ा उद्देश्य है,चुनाव से पहले केवल बदनाम करना।
अब सभी प्रकार के घटना क्रम के बाद वे कहते हैं कि आधी डायरी बची है आधी छीन ली गई। कितने पृष्ठ थे और अब कितने बचे हैं?
तीन साल से डायरी उनके पास थी और अशोक गहलोत ने मांगी नहीं ली नहीं।
अशोक गहलोत के राज हों और अशोक गहलोत तुरंत लेते या गुढा के पास छोड़ देते? जवाब एक ही मिलेगा कि अशोक गहलोत तुरंत ले लेते। अशोक गहलोत ने गुढा को डायरी लाने के लिए भेजा था तो उसी समय ले लेते,गुढा के पास क्यों छोड़ देते?
मान लेते हैं कि अशोक गहलोत ने उस समय ली नहीं और डायरी गुढा के पास पड़ी रही।
अब कोई बात बिगड़ गई तब गुढा डायरी विधानसभा में अध्यक्ष को दिखाने ले गए।
वहां डायरी दिखाने नहीं दी गयी। मार्शल से बाहर निकालते समय या कांग्रेसी विधायकों ने हमला कर दिया। डायरी छीन ली।
गुढा कहते हैं कि आधी डायरी उनके पास बची रह गई। बीस पच्चीस जने डायरी छीनने को धक्के लगाएं और वे आधी डायरी छोड़ देंगे। पूरी नहीं छीन पाएंंगे। मान लेते हैं कि आधी डायरी गुढा बचाने में सफल रह गये।
अब आधी डायरी को रहस्यमय क्यों बनाया हुआ है। उसका हर पृष्ठ मीडिया में तुरंत ही दे दिया जाना चाहिए था। अगर आधी डायरी बची है तो उसको किसके कहने या दबाव पर छिपाया जा रहा ?
जो आधी छीन ली गई। उसमें क्या लिखा था वह भी बतलादें। डायरी हथी तो गुढा ने डायरी पढी तो होगी। ऐसा हो नहीं सकता कि डायरी हाथ लगने के बाद गुढा ने पढा नहीं होगा। गुढा ने पढा है तो उनको याद भी होगा कि उसमें क्या लिखा था?
ऐसी डायरी हाथ में आने और विधानसभा में प्रस्तुत करने से पहले फोटोस्टेट या फोटोग्राफी जरूर हुई होगी। सुरक्षा के लिए यह कार्य जरूर हुआ होगा। छीन लिए जाने का भय तो होता ही है। वह भय रहा भी होगा। मान लें कि फोटो स्टेट नहीं कराया गया।
लेकिन अब आधी डायरी बची है तो वह मीडिया को दे दी जानी चाहिए। जो आधी छीनी गई, उसमें स्मृति से ही बताएं कि क्या क्या लिखा था?
ऐसा न हो कि आधी बची हुई डायरी की गुम होने की घोषणा किसी दिन हो जाए।०0०
25 जुलाई 2023.
करणीदानसिंह राजपूत,
पत्रकार,( 58 साल से पत्रकारिता)
(राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय से अधिस्वीकृत)
सूरतगढ़ ( राजस्थान )
94143 81356.
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