शनिवार, 26 नवंबर 2022

राजस्थान:2023 में जीतेंगे नये चेहरे: नयों का बढता दबाव 1980 में जीते थे 116 नये चेहरे.

 


* करणीदानसिंह राजपूत.*


राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों में नए चेहरों की मांग और आवाज उठ रही है कि चुनाव नये चेहरों को लड़ाया जाए।

 20 से 40 साल से राजनीति कर रहे जो पुराने हैं उनके नाम कट सकते हैं। यह मांग बहुत तेजी से आगे बढ़ रही है। मांग बहुत अधिक प्रभावी है इसलिए इस आवाज को निश्चित ही सुना जाएगा। नये चेहरों को भी दिनरात अपना प्रयास पूरी शक्ति से जोरों पर करना होगा जिसमें जनसंपर्क जरूरी है।

 * 2018 के चुनाव में राहुल गांधी ने इस पर अधिक जोर देकर कार्य किया और सख्ती की थी जिससे कांग्रेस ने राजस्थान में अनेक पुराने चेहरों को टिकटें नहीं दी थी और नए चेहरे शामिल किए गए थे।

इस बार सन् 2023 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी में भी नए चेहरों को टिकट दिए जाने की मांग बल पकड़ रही है। कांग्रेस में भी यह मांग चल ही रही है। 

*दोनों पार्टियों में नए चेहरों को टिकट दिए जाने के बारे में मंथन भी चल रहा है।आशा की जाती है कि 70 से अधिक उम्र के नेताओं को टिकट नहीं मिलेगा। संभावना यह भी है कि अनेक 60 और 70 के बीच उम्र के अनेक नेताओं को टिकट भी नहीं मिलें। 

*वे नेता जो लोकप्रिय नहीं रहे, कार्यकर्ताओं की जनता की अनदेखी की या जनता के बीच नहीं रहे, चुपचाप समय व्यतीत करते रहे आदि टिकटों से वंचित रहेंगे। इसे तो पक्का मान ही लेना चाहिए। ऐसे व्यवहार वाले नेताओं को कोई भी पार्टी टिकट क्यों देना चाहेगी जिसके कटु व्यवहार के कारण या गुमनाम जैसे चुप रहने के कारण हार निश्चित लगती हो।

राजस्थान में भाजपा राज पुनः पाने के लिए और कांग्रेस अपना राज बचाने के लिए पूरी शक्ति लगाएगी और इसके लिए नये चेहरों को चुनाव में उतारेगी। भारतीय जनता पार्टी में 100 से अधिक नये चेहरे हो सकते हैं। कांग्रेस भी नयी स्थितियों को ध्यान में रखकर नये चेहरों को चुनाव लड़ाएगी।


 * नए चेहरों को टिकट दिए जाने का इतिहास अभी एकदम से पैदा नहीं  हुआ है। सन 1980 में राजस्थान विधानसभा चुनाव में कुल 200 सीटों में 116 सीटों पर नए चेहरे चुने गए थे।

पुराने चेहरों को जो चुनाव में खड़े हुए थे उनको हार मिली। पुराने चेहरे वही जीते थे जो बहुत अधिक प्रभावी व्यक्तित्व वाले और  जनता के बीच में बहुत लोकप्रिय थे।

भाजपा टिकट पर प्रभावी जनता पार्टी सरकार के मुख्यमंत्री भैरोंसिंह शेखावत,पूर्वमंत्रीगण भंवरलाल शर्मा, कैलाश मेघवाल,ललित किशोर चतुर्वेदी, विद्या पाठक,नंदलाल मीणा चुनाव जीत  गए। जनता पार्टी राज के पूर्वमंत्री बिरदमल सिंघवी भाजपा टिकट पर हार गये।


* जनता पार्टी राज के सात  पूर्व मंत्री जिन्होंने जनता पार्टी ( जे.पी.) के टिकट पर चुनाव लड़ा वे हार गए। उन हारने वालों में मानिकचंद सुराणा कल्याण सिंह कालवी दिग्विजय सिंह त्रिलोक चंद जैन हरि सिंह यादव भैरव लाल काला बादल और सूर्य नारायण चौधरी थे। भूतपूर्व मंत्री जयनारायण पूनिया भी चुनाव में खड़े हुए थे मगर उन्होंने चुनाव के बीच में ही हटने का ऐलान कर दिया था।

 जनता सरकार के दो भूत पूर्व मंत्री संपत राम कांग्रेस अर्श के टिकट पर और डॉक्टर हरिसिंह इंदिरा कांग्रेस के टिकट पर फिर से चुने गए। प्रोफेसर केदारनाथ भूतपूर्व जनता पार्टी सरकार के मंत्री ने लोक दल के टिकट पर नामांकन भरा मगर बाद में उसे वापस ले लिया। 

मास्टर आदित्येंद्र,शिवचरण सिंह,विज्ञान मोदी, व महबूब अली आदि भूतपूर्व जनता मंत्रियों ने चुनाव नहीं लड़ा। भूतपूर्व  जनता सरकार मंत्री लालचंद भी चुनाव में खड़े हुए मगर हार गए। लोक दल के टिकट पर चुनाव में खड़े हुए लालचंद तीसरे स्थान पर रहे। जनता राज के दो भूतपूर्व मंत्री सूर्य नारायण चौधरी वह हरि सिंह यादव अपने चुनाव क्षेत्रों में तीसरे नंबर पर रहे।


 नए चेहरों के चुनाव वाले समय में इंदिरा कांग्रेस ने 199 सीटों पर चुनाव लड़ा. लाडनू में दीपंकर का नाम देरी से तय हुआ तब तक वे अपना नाम वापस ले चुके थे। भारतीय जनता पार्टी ने 123 सीटों पर, जनता एस चरण सिंह यानी लोकदल ने 103 सीटों पर,जनता पार्टी जेपी ने 76 सीटों पर,कांग्रेस अर्श ने 70 सीटों पर जनता एस राज नारायण ने 39 सीटों पर, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने 24 सीटों पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी ने 17 सीटोंपर चुनाव लड़ा था। उस चुनाव का परिणाम ऐसा रहा। इंदिरा कांग्रेस 133 सीटों पर भाजपा 32 सीटों पर लोक दल जनता एस चरण सिंह 7 सीटों पर,कांग्रेस अर्श 6 सीटों पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी एक सीट पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी एक सीट पर जीते और 12 स्थानों पर निर्दलियों ने बाजी मारी थी।

उस चुनाव में 30 महिला उम्मीदवार चुनाव मैदान में थी जिनमें से केवल 10 जीतकर विधानसभा में पहुंच सकी थी।  श्रीमती शांति पहाड़िया, सरोज मल्होत्रा, भगवती देवी, समंदर कंवर, कमला, कमला भील, लक्ष्मी कुमारी चूंडावत कुल 7 महिलाएं इंदिरा कांग्रेस के टिकट पर जीती। जयपुर के लोगों ने जनता राज की तीनों महिला उम्मीदवारों को फिर से भाजपा के टिकट पर चुनकर विधानसभा में भेजा उनके नाम पुष्पा जैन आमेर से डॉ उज्जवला अरोड़ा जयपुर ग्रामीण से विद्या पाठक सांगानेर से पहुंची। जनता पार्टी वाली भंग सरकार के 141 सदस्यों ने चुनाव लड़ा मगर 52 ही जीतकर पहुंचे

 

नए चेहरों के बीच राजस्थान विधानसभा के उपचुनाव में 5 पार्टियों के अध्यक्षों को हार का मुंह देखना पड़ा। इंदिरा कांग्रेस के अध्यक्ष राम किशोर व्यास,भाजपा के संयोजक जगदीश प्रसाद माथुर,जनता पार्टी जेपी के अध्यक्ष नरेंद्र पाल सिंह चौधरी अपनी जमानत भी नहीं बचा सके माकपा के राजस्थान के महासचिव मोहन पूनमिया कांग्रेस के अध्यक्ष मथुरादास माथुर चुनाव हार गए थे।





 * सन् 1980 में राजस्थान विधानसभा में जो परिणाम रहा।उस पर मेरी एक बड़ी रिपोर्ट दिल्ली प्रेस की सरिता ग्रुप की प्रसिद्ध पत्रिका 'भू भारती' नई दिल्ली के अगस्त प्रथम अंक 1980 में प्रकाशित हुई थी। भूभारती में प्रकाशित लेख के तीन पृष्ठों के चित्र प्रस्तुत है। यह रिपोर्ट राजनीतिज्ञों और पत्रकारों को पढ़नी चाहिए। विधायकों पूर्व विधायकों और चुनाव लड़ने के ईच्छुक को इससे महत्वपूर्ण लाभ अवश्य ही मिलेगा। ०0०

26 नवंबर 2022.

करणीदानसिंह राजपूत,

 स्वतंत्र पत्रकार,

(राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय से अधिस्वीकृत)

 सूरतगढ़ (राजस्थान)

94143 81356.

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- करणीदानसिंह राजपूत.

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