मंगलवार, 5 जुलाई 2022

सूरतगढ़ जिला बनाओ की मांग कब से है? जानें इतिहास: 2022 में तेज हुआ अभियान

 




* करणीदानसिंह राजपूत *


सूरतगढ़ 5 जुलाई 2022.

सूरतगढ़ को जिला बनाने की मांग सन् 1970 से पहली बार उठी। गुरूशरण छाबड़ा और मैं करणीदानसिंह राजपूत आदि ने 1970 में जब पहली बार मांग सरकार को भेजी उस समय अभियान का रूप नहीं था। उन दिनों हम और अन्य साथी इस प्रकार की कार्यवाहियों को मांगों के रूप में ही उठाया करते थे। मेरी हस्तलिपि के आगे टाईप कराने की जरूरत नहीं होती थी।


सन् 1977 में भैरोंसिंह शेखावत की जनता पार्टी की सरकार बनी। गुरूशरण छाबड़ा सूरतगढ़ से विधायक चुने हुए थे। छाबड़ा जी के लैटरहैड से फिर मांग शुरू हुई। छाबड़ा जी के पत्र मैं ही लिखता था। 

सन् 1978 में श्री गंगानगर जिले के विभाजन कर नया जिला बनाने की समिति बनाई गई। यह समाचार राजस्थान पत्रिका में छपा जो आज भी मेरे रिकॉर्ड में है। यह सरकार अल्पकालिक ही रही। करीब ढाई साल। जिले की मांग पूरी नहीं हो पाई। लेकिन इसे जैसे तैसे आगे चलाते रहे।

सन् 1987-88 में इस मांग ने जोर पकड़ा। उस समय के ज्ञापन रिकॉर्ड में हैं। अभी कुछ पत्रकारों ने सूरतगढ़ जिला बनाओ पर विडियो रिपोर्ट बनाई तब 1978 की राजस्थान पत्रिका और 1987-88 के मांग पत्र व उनके छपे समाचार पत्रों को प्रदर्शित किया गया था। 

राजनीतिक रूप से कुछ ऐसी परिस्थितियां पैदा हुई कि बाद में भैरोंसिंह शेखावत सरकार ने हनुमान गढ को जिला बना दिया। सूरतगढ़ के लोग नाराज हुए और बंद की घोषणा तक कर दी। लेकिन भैरोंसिंह शेखावत ने जिले जैसी शक्ति देने की घोषणा कर यहां अतिरिक्त जिला कलेक्टर का पद सृजित कर दिया।

इसके बाद कई बार अभियान चले। सुभाष चौक पर टैंट लगे लेकिन पार नहीं पड़ी। राजनीतिक दबाव जितना होना चाहिए वह नहीं था।






अब सन् 2022 में सूरतगढ़ जिला बनाओ अभियान शुरू है। सूरतगढ़ भौगोलिक और विभागों की दृष्टिकोण से शक्ति रखता है। भाषण और शक्ति में अंतर होता है। राजनीतिक और आंदोलन की शक्ति कितनी है इसकी गंभीरता से समीक्षा की जानी चाहिए।

सूरतगढ़ को जिला बनाओ अभियान के तहत आज 5 जुलाई 2022 को सुभाष चौक पर सभा और उसके बाद मशाल व मोमबत्ती जुलूस निकाला गया। उपखण्ड अधिकारी को सरकार के नाम एक ज्ञापन दिया गया। ०0०











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