सूरतगढ 03 मार्च 2022.
नईं शिक्षा नीति के तहत बच्चों को मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करने के लिए राजस्थान में मातृभाषा में यह शिक्षा नीति को लागू करने के लिए राजस्थान के कईं विधायकों ने विधानसभा में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पेश किया है।
इन विधायकों में जोगेश्वर गर्ग, डॉ. राजकुमार शर्मा, ओमप्रकाश हुडला, बलवान पूनिया, रूपाराम धनदेव, मनीषा पंवार, गिरधारी लाल महिया, खुशवीर सिंह, कृष्णा पूनिया, मदन प्रजापत आदि शामिल हैं।
राजस्थानी भाषा को प्रदेश की द्वितीय राजभाषा बनाने के लिए 150 से ज्यादा
विधायक एवं मंत्री, मुख्यमंत्री को पत्र लिख चुके हैं।
राजस्थान विधानसभा में सन 2003 में राजस्थानी भाषा के लिए सर्वसम्मति से संकल्प प्रस्ताव पारित हो चुका है।
बाहरी कोटा तय करने एवं राजस्थान के युवाओं की बेरोजगारी की समस्या को दूर करने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत विधानसभा के इसी सत्र में राजस्थान राजभाषा अधिनियम,1956 में संशोधन कर राजस्थानी भाषा को प्रदेश की द्वितीय राजभाषा का दर्जा दे सकते हैं।
कई राज्यों ने अपनी-अपनी प्रादेशिक मातृभाषाओं को राजभाषा का दर्जा दे रखा है।
राजस्थान के सभी राजनैतिक दलों में भी राजस्थानी भाषा को राजभाषा बनाने हेतु तीव्र प्रयास जारी है।
(मनोजकुमार स्वामी
प्रदेश महामन्त्री
राजस्थानी भाषा मान्यता समिति
9414580960)
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