* करणीदानसिंह राजपूत *
हर रोज खतरनाक रूप में फैलने वाले कोरोना को अणु परमाणु बम से किसी मिजाइल से मार नहीं सकते लेकिन मास्क लगाकर और 2 गज की दूरी रखकर खुद बच सकते हैं।
कोरोना अदृश्य है। घर से बाहर निकलते ही दरवाजे के आगे भी झपट सकता है। व्यक्ति की लापरवाही आत्महत्या करने के बराबर है।
यह आत्महत्या उसके अकेले के लिए नहीं बल्कि अन्य लोगों के लिए भी मारक है।
कोरोना को मारना आसान होता तो हमारे भारत देश से पहले बड़े विकसित देश अमेरिका ब्रिटेन फ्रांस आस्ट्रेलिया जैसे उसे खत्म कर देते और नया पैदा भी नहीं होने देते। आज बड़े देश भी कोरोना से बचाव में लगे हुए हैं।
मैं जब लेखन में आया था। यह बात हो गई 55 साल पहले की। उस समय आंधी के लिए व्याख्या बनाई के आंधी किसी को देखती नहीं। राजा हो या साधारण आदमी हो। शहर में हो चाहे गांव में हो। राज महल में हो या झोपड़ी में हो। सबको धूल से भर देती है। आंधी मतलब अंधी जो सबको भर देती है। आंधी का तेज हवा चलना रेत का उड़ना पेड़ पौधों का तेज गति से हिलना पहचान में आ जाता था। आज भी आ जाता है। आंधी से बचने के लिए भी लोग कुछ न कुछ सुरक्षा उपाय अपनाते हैं। दिखाई देती हुई रेत मिट्टी उड़ाती आंधी के भी सामने जाकर कोई नहीं लड़ता क्योंकि आंखें ही नहीं खोल सकते।
अब कोरोना वायरस जो फैला है लगातार फैल रहा है रूप बदल रहा है वह तो दिखाई भी नहीं देता। आदमी को वह बाजार में मिलेगा।बस अड्डे पर मिलेगा। रेल पर मिलेगा।घर के आगे या सड़क पर मिलेगा। कोई पता नहीं। इस अदृश्य शत्रु जो दिखाई नहीं देता उससे कैसे लड़ा जाएगा? एक अदृश्य है उसके आगे कितने ही तलवार चलाएं तीर चलाए मार तो नहीं सकते। और सबसे बड़ी बात है कि यह अदृश्य शत्रु सुई की नोक से भी हजारों गुणा छोटा बताया गया है जो साधारण माइक्रोस्कोप से भी दिखाई नहीं देता। ऐसे शत्रु को मारना आसान नहीं। करोड़ों रुपए के हथियारों से जिसे मारा नहीं जा सकता। उससे ₹10- 20 में बचा जा सकता है। इस बचाव के लिए फेस मास्क मुंह और नाक पर लगाकर व्यक्ति से व्यक्ति की कम से कम 2 गज की दूरी,हाथों को बार-बार धोना ,जहां काम करते हैं चाहे वह कारखाना है चाहे सरकारी दफ्तर है चाहे दुकान आदि है उसे सैनिटाइजेशन करते रहना। शत्रु को मार नहीं सकते लेकिन उससे बच सकते हैं। इस बचाव के लिए सरकारों ने चाहे भारत सरकार हो चाहे विदेशी सरकारों ने सामाजिक संगठनों ने बहुत जानकारी दी है और लोगों को सावधान किया है।
साधारण उपायों का इस्तेमाल करें तो खुद और परिवार समाज राज्य देश को बचाया जा सकता है। सारी दुनिया बच सकती है।
लेकिन जहां समझदार लोग हैं। वहां लापरवाह लोगों की संख्या भी है। पिछले करीब 14- 15 महीनों से सचेत किया जा रहा है। अब कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं है जो कोरोना के बारे में और मास्क के बारे में जानता नहीं हो। फिर भी आम जनता के बीच कुछ लोगों का भी लापरवाही से " कुछ नहीं होगा"कहते हुए घर से बाहर निकलना,सड़कों पर बिना काम के घूमना,चल रहा है। आखिर इसे कौन रोकेगा। विनम्रता से कहते हुए सरकारों ने सामाजिक संगठनों ने चिकित्सा और पुलिस दलों ने अर्ध सरकारी संस्थानों ने बहुत कुछ किया है। अब इसके बाद कुछ सख्ती भी जरूरी है जैसे मलेरिया के लिए कुनैन जरूरी है और जबरदस्ती से खिलानी भी पड़ती है।
यह तो निश्चित है संसार से जानलेवा महामारी के रूप में जानी जाने वाली चेचक हमेशा के लिए खत्म हो गई। चेचक को खत्म करने के लिए भी एक टीके का आविष्कार हुआ था और वह हरेक के लगाया गया था। उसके बाद पोलियो संसार भर में फैला जिससे लड़ते-लड़ते आखिर उस पर भी विजय हासिल की गई। संसार में पोलियो मुक्त होने की घोषणा की गई।
अभी भी कुछ रोग हैं जिनके लिए संसार भर में युद्ध जैसा चल रहा है लेकिन कोरोना से युद्ध बिल्कुल अलग तरह का है।
कोरोना भी एक दिन निश्चित रूप से खत्म होगा। मानव की जीत होगी लेकिन इसके लिए युद्ध नहीं बचाव की जरूरत है।
आज यही स्थिति है और स्थिति के अनुसार ही काम करना चाहिए।00
दि 4 मई 2021.
करणीदानसिंह राजपूत,
स्वतंत्र पत्रकार ( राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय से अधिस्वीकृत)
सूरतगढ़ ( राजस्थान )
94143 81356.
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