कविता-
अर्जुन नहीं कर पाया,तुझे करना है
वक्त को जान वक्त को पहचान
क्यों सोया है,गहरी नींद
जाग उठ, सवेरा तुझे करना है
वक्त पल दर पल बदलता है।
अर्जुन कुछ नहीं कर पाया
गांडीव था पास
गोपियां लुटती रही
काल बड़ा बलवान
उठ,बदलदे ये कहावत
तूं धारण कर नया धनुष
मत रख गांडीव नाम
निशाने पर तीर चला
तेरे बाण से होगी रक्षा
बतलादे समाज को
दिखलादे शक्ति
पुरानी कथाओं को
सुनने सुनाने का
वक्त नहीं।
अब अर्जुन का वक्त नहीं
वक्त तेरा है
जागना तुझे है
जागते रहना भी तुझे है
कमान धारण भी तुझे करना है
तीर चलाना भी तुझे है
पुराना सब कुछ भूलना भुलाना है,
मगर कृष्ण को नहीं भूलना
दुष्टों का संहार करने को
तुझे ही तो तीर चलाना ।
मैं वक्त,
बनूंगा तेरे रथ का सारथी
काल बनूंगा
धरती पर आए
छली कपटी बगुला मनुषों का
मगर तीर तुझे चलाना होगा।
ये संगी साथी मित्र प्यारे
फुसलाऐंगे,
ये परिजन प्यारेदुहाई देंगे,
अपनों पर ही वार
करने को रोकेंगे टोकेंगे बतलाऐंगे
पीढी दर पीढ़ी के रिश्ते
तूं किसका करने वाला है संहार
वक्त तो सच्च में सोच को
बदलने को प्रबल होगा
कमान उठाने को
तीर चलाने को
तूं रथ पर चढऩे को तैयार न होगा
नाते रिश्तेदार सखाओं की भीड़
रोने लगेगी,आँसूओं की धारा
बनाएगी रिश्तों की गांठे।
लेकिन काल बड़ा बलवान
पुरानी कहावत बदल कर
संशोधित करके,
मैं वक्त, हां मैं वक्त
नए सिरे से लिखूंगा
मैं वक्त हूं,
मेरी ताकत को ये नाते रिश्तेदार
संगी साथी पहचानते नहीं
मेरी ताकत को जानते नहीं
मैं वक्त,तुझे रथ तक लाऊंगा
मैं ही शक्ति से रथ पर चढाऊंगा
और मेरी ताकत से तूं
तीर चलाएगा दुष्टों पर
जिनको तूं भ्रम में अपने सखा संगी
नाते रिश्तेदार समझ बैठा है।
मैं वक्त, तुझे नया अर्जुन तो नहीं बनाऊंगा
अर्जुन और कृष्ण तो चेतना है,
लेकिन मैं तुझे उनसे कम भी नहीं रखूंगा।
तेरा नामकरण तो दुनिया करेगी
तेरा नाम तो दुनिया धरेगी
मैं वक्त,
शब्दकोश में रचूंगा नया नाम
जो दुनिया तुझको देगी।
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करणीदानसिंह राजपूत,
राजस्थान सरकार द्वारा अधिस्वीकृत पत्रकार,
23 करनाणी धर्मशाला,
सूरतगढ़. मो. 94143 8135623 करनाणी धर्मशाला,
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31-7-2015.
up date 22-3-2017.