रविवार, 14 अप्रैल 2019

भादू कटले के निर्माण की स्वीकृति में गड़बड़ी- पूरा पढें

** करणीदानसिंह राजपूत **

^^ आरोप-सरकारी नियमों में निर्माण स्वीकृति मिलना असंभव था,मगर पूर्व के एक  पालिका अधिकारी ने तथ्यों की अनदेखी कर नियमों को ताक पर रख,स्वीकृति जारी करदी- दस्तावेजों की नकलें लेने वालों के सामने ऐसी स्थिति स्पष्ट हुई है।बात का निचोड़ यह है कि कटले का निर्माण द्रुत गति से चल रहा है और ऐसे में कौन बिल्ली के गले में घंटी बांधे। इस निर्माण को लेकर चर्चाएं हैं और राजनीतिक बड़े लोग एकदम चुप हैं और शहर उनकी ओर देख रहा है। राजनीतिक नेताओं में जिन्होंने सीधे संघर्ष करने से मना किया था,उनके समाचार ब्लास्ट की आवाज में बहुत पहले छप चुके।


**कानूनी रूप में किसी ने भी कटले के निर्माण को रोकने के लिये पालिका में कोई आवेदन नहीं दिया और संघर्ष करने को सामने नहीं आया। **

सूरतगढ।  मुख्य बाजार में बीकानेर रोड से सटी जमीन पर तेज गति से बनाए जा रहे भादू शॉपिंग कांपलेक्स की नगर पालिका द्वारा जारी की गई निर्माण स्वीकृति में गड़बड़ी है। जिस भूखंड पर निर्माण चल रहा है, उस पर दस्तावेज की अनदेखी की जाने की चर्चा है। नगरपालिका की ओर से मौजूद स्थिति दस्तावेजों व आवेदन पर निर्माण की स्वीकृति गलत दी गई की चर्चा अब होने लगी है जब निर्माण धरती के ऊपर नजर आने लगा है। 

संपूर्ण भूखंड की मालिकाना अधिकारिता में जो आवेदन किया गया, उसमें निर्माण की स्वीकृति दी नहीं जा सकती लेकिन गलत दे दी। आरोप है कि आवेदन कीअसलियत और मौजूद भूखंड के तथ्यों में अंतर है, मेल नहीं है,जिसके कारण निर्माण की स्वीकृति दी नहीं जा सकती थी।

 दस्तावेजों में मौजूद तथ्यों की वजह से नियमों की पालना की जाती तो स्वीकृति जारी नहीं होती लेकिन नगर पालिका की ओर से अनदेखी कर निर्माण करने की स्वीकृति मालिकों को दी गई। भूखंड पर निर्माण स्वीकृति के बाद निर्माण कार्य तेज गति से चलता हुआ भूमिगत कार्य के बाद जब भूमि से ऊपर शुरू हुआ तो नजरों में आने लगा। 

 इस निर्माण कार्य को लेकर चर्चाएं तो आम हैं मगर गलत स्वीकृति और अनेक तथ्यों को नजर बंद रखते हुए स्वीकृति जारी कर दी गई। वर्तमान अधिशासी अधिकारी से पहले यह स्वीकृति जारी की गई कटले की भूमि और सड़कों गलियों के बारे में भी गड़बड़ी के आरोप हैं। राजनीतिक दृष्टि से शहर में चर्चाओं के बावजूद भी कोई राजनीतिक नेता इस मामले पर मुंह खोलना नहीं चाहता। लोग दस्तावेज प्राप्त करते हैं और पढ़ कर के रह जाते हैं। समाचार भी छपते हैं पढ़े जाते हैं मगर कोई भी व्यक्ति इस प्रकरण में पक्की कार्यवाही करने को आगे नहीं आता। अभी भी यही स्थिति बनी हुई है चर्चाएं गर्म है और चर्चाओं से कुछ होने वाला नहीं है।

 कोई भी बड़ा आदमी या राजनीति पार्टी का नेता और कार्यकर्ता दूसरे बड़े आदमी या राजनीति परिवार के विरुद्ध संघर्ष करने के बजाय अनजान बने रहना अच्छा समझता है। लेकिन राजनीतिक नेताओं के अलावा भी लोग रहते हैं जो नजरों में नहीं आकर भी काम करते हैं। ऐसा अनेक स्थानों पर हो चुका है।***

( ब्लास्ट की आवाज 15-4-2019 में)






यह ब्लॉग खोजें