बुधवार, 11 अक्तूबर 2017

भगवान महावीर की प्रतिमा देश में पहली बार राजस्थान में एक चौराहे पर स्थापित


सीकर 8.10.2017.
जैन तीर्थंकर भगवान महावीर की प्रतिमा देश में पहली बार राजस्थान के सीकर में एक चौराहे पर स्थापित की गई है। जैन मुनि तरुण सागर की प्रेरणा से स्थापित की गई इस प्रतिमा के अनवारण समारोह (8.10.2017) में पांच धर्मो के धर्मगुरू मौजूद थे। मुनि तरुण सागर अपने प्रवचनों में अक्सर कहते रहे है कि लोगों को अहिंसा का संदेश देने के लिए भगवान महावीर को मंदिरों से निकाल कर चौराहों पर लाना होगा। इसी के तहत उनकी प्रेरणा से सीकर में एक चौराहे पर अहिंसा स्थल का निर्माण कराया गया और पांच धर्मों के छह गुरुओं मुनि तरुण सागर महाराज, गोस्वामी सुशील महाराज, सलीम फारुखी, परमजीतसिंह चंडोक, संघ सेना, डॉ. लोकेश मुनि से इसका अनावरण कराया।
भगवान महावीर की प्रतिमा बिजोलिया के पत्थर से बनाई गई है। इसकी लंबाई 41 इंच एवं चौड़ाई 2.5 फीट है। संपूर्ण निर्माण में कहीं भी चूना, ईट का इस्तेमाल नहीं किया गया है। सिर्फ पत्थर से पत्थर जोड़कर इसे तैयार किया गया है। पूरे काम पर करीब दो करोड़ रुपए खर्च हुए। पांच महीनों में कोटा के इंजीनियर अजय बाकलीवाल के निर्देशन में 11 मजदूरों ने इसे तैयार किया। सर्किल में 41 टन संगमरमर का उपयोग किया गया। प्रतिमा के चारों ओर चार स्तंभ लगाए गए हैं। दीवारों पर संगमरमर की रेलिंग लगाई गई है। दोनों ओर तीन-तीन शिलालेख  भी लगाए गए हैं जिन पर छह धर्मों हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध और जैन धर्म सहित करीब 14 धर्मों के निशान बनाए गए हैं।
मुख्य द्वार पर इस्पात व अन्य धातुओं का दरवाजा बनाया गया है जिस पर एक ओर भगवान महावीर तो दूसरी ओर महात्मा गांधी की तस्वीर उकेरी गई है।

मुनि तरुण सागर का पहला सपना साकार हुआ

मुनि ने चार सपने देखे थे। सबसे पहला सपना था कि महावीर की प्रतिमा काे मंदिरो से बाहर निकालकर चौराहों पर स्थापित कराया जाए ताकि हर धर्म का व्यक्ति भगवान महावीर को जान सके। उनका संदेश और चर्या दुनिया के सामने जाए। इस घोषणा के बाद जैन समाज तिलमिला गया था। उन पर दबाव था कि वक्तव्य वापिस लें और समाज को आश्वस्त करें कि भविष्य में ऐसा काेई वक्तव्य नहीं देंगे जो परंपरा के विरुद्ध हो।
मुनि ने उस समय जो कहा वो सच  सबसे पहले सीकर में साबित हुआ है।
यह पहला सपना था जो 25 फरवरी 1995 को इंदौर के राजवाड़ा में देखा था, जो शेखावाटी में साकार हो गया।



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