मंगलवार, 31 अक्तूबर 2017

छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार में पत्रकार को जान जाने का खतरा क्यों ?





पत्रकार विनोद वर्मा ने कहा- जज साहब जेल जाउंगा तो मैं मारा जाउंगा

कथित सेक्स सीडी के मामले में गिरफ्तार पत्रकार विनोद वर्मा को आज 31.10.2017 को  सुबह 11 बजे कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट में पत्रकार विनोद वर्मा ने कहा कि जज साहब जेल जाउंगा तो मारा जाउंगा। इस पर विनोद वर्मा के वकील ने भी जेल में विनोद के जान का खतरा और स्लिप Dick की प्रॉब्लम बताया। इस पर कोर्ट ने जेल में मैनुअल के तहत दोनों बातों को लेकर व्यवस्था करने को कहा। वकील ने जेल में विनोद को दूसरे कैदियों से अलग रखने की मांग की है।

पुलिस के बड़े अफसरों ने की पूछताछ

रविवार 28 अक्टूबर को पुलिस ने पत्रकार विनोद वर्मा को न्यायाधीश एसके त्रिपाठी के कोर्ट में पेश किया था। कोर्ट ने विनोद को तीन दिन की पुलिस रिमांड दी। इसके बाद सोमवार को रायपुर पुलिस के बड़े अफसरों ने विनोद से पूछताछ की। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पुलिस पूछताछ में विनोद वर्मा से कुछ भी उगलवा नहीं पाए और आज पुलिस रिमांड खत्म होने के बाद न्यायाधीश एसके त्रिपाठी के कोर्ट में पेश किया।


भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच पुलिस पहुंची कोर्ट

रायपुर पुलिस को उस वक्त काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा जब पत्रकार विनोद वर्मा को लेकर कोर्ट पहुंची। कोर्ट परिसर में भारी भीड़ थी। सुनवाई पूरी होने के बाद विनोद वर्मा को कोर्ट परिसर से बाहर निकालने में पुलिस को भीड़ का सामना करना पड़ा। मीडिया के सवालों से बचते पुलिस अफसर काफी जद्दोजहद के बाद पुलिस विनोद वर्मा को कोर्ट परिसर से बाहर निकाल पाई।

(पत्रिका)

रायपुर। सेक्स सीडी कांड में आरोपी पत्रकार विनोद वर्मा को मंगलवार को कड़ी सुरक्षा के बीच आज अदालत में पेश किया गया। वहां से उन्हें कोर्ट ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। विनोद वर्मा ने अदालत से गुहार लगाई कि उन्हें संगीन मामले के अपराधियों और विचाराधीन कैदियों के साथ न रखा जाए। अदालत ने उनकी ये बात मान ली और उन्हें स्पेशल सेल में रखने का आदेश दिया। ऐसे मिली थी सीडी की सूचना...




- तीन दिनों से राज्य की राजनीति में भूचाल मचाने वाली सीडी का खुलासा अनायास नहीं हुआ है बल्कि इस बात की गोपनीय सूचना पुलिस के पास पहले से आ गई थी कि राज्य के एक प्रमुख नेता पर आधारित सीडी की कापियां गाजियाबाद में तैयार कराई जा रही हैं।

- पुलिस के खुफिया तंत्र को इसकी पहली सूचना 23 अक्टूबर को मिल गई थी। उसके बाद ही पूरा अमला सक्रिय हुआ। पहली सूचना जब मिली थी तब यह स्पष्ट नहीं था किस नेता की सीडी है। उसी दिन तत्काल जांच शुरू कर दी गई।

- सरकार के कुछ खास लोगों को इसकी सूचना दी गई। 26 अक्टूबर को दोपहर 2 बजे पुलिस के पास पुख्ता सूचना आ गई थी कि तीन-चार क्लिपिंग छत्तीसगढ़ में सार्वजनिक करने की तैयारी चल रही है।

- पुलिस की सूचना के अनुसार 27 अक्टूबर को वीडियो को वायरल कर छत्तीसगढ़ में धमाका करने की तैयारी थी। इसके बाद रायपुर से दिल्ली तक कुछ लोगों की फोन की गतिविधियों पर नजर रखी गई और इस जांच में राज्य ही नहीं, दिल्ली के साइबर एक्सपर्ट भी लगा दिए गए।

- सैकड़ों मोबाइल नंबरों की पड़ताल के बाद कन्फर्म हुआ कि वीडियो वायरल करने की तैयारी हो गई है। गाजियाबाद में छापे के बाद मिले 500 सीडी से खुलासा हुआ कि इसके जरिये छत्तीसगढ़ में किसे निशाना बनाया गया है।

- भास्कर की पड़ताल में पता चला कि 26 अक्टूबर को ही पुलिस मुख्यालय और रायपुर पुलिस के अफसरों को इमरजेंसी मैसेज देकर बुलाया गया और उन्हें बताया गया कि दिल्ली या रायपुर से एक-दो दिन में एक वीडियो वायरल किया जाने वाला है।

- यह साफ नहीं था कि सीडी में टेम्परिंग वगैरह कहां से की गई, लेकिन पुलिस के पास यह जानकारी आ गई थी कि एक डिजिटल शॉप से इसकी 1000 कॉपियां बनवाई जा रही हैं। वक्त कम था, इसलिए पुलिस की एक टीम को तुरंत दिल्ली भेजने प्लेन से टिकट करवाए गए।

- दूसरी टीम सड़क मार्ग से दिल्ली और फिर गाजियाबाद भेजी गई। पूरा ऑपरेशन गोपनीय रखा गया। यहां तक कि दो टीमों में रवाना किए गए किसी भी पुलिस अफसर या कर्मचारी को पता नहीं था कि उन्हें करना क्या है?



गाजियाबाद पहुंचने पर पता चला छापा मारना है



- सुबह सवा तीन बजे पुलिस की एक टीम गाजियाबाद पहुंची। प्लेन से जाने वाले पुलिस अधिकारी पहले से वहां मौजूद थे। पूरी टीम को इंदिरापुरम थाने बुलवाया गया। इंदिरापुरम पुलिस को उसके पहले ही राज्य सरकार के आला अफसरों के माध्यम से ये मैसेज मिल चुका था कि छत्तीसगढ़ पुलिस की मदद करना है।

- इंदिरापुरम पुलिस की टीम के सामने आला अफसरों ने जब विनोद वर्मा के नाम का जिक्र किया, तब यहां से जाने वाले अफसरों को पता चला कहां जाना है। उसी समय टीम विनोद वर्मा के घर पहुंच गई।



क्या हुआ विनोद वर्मा के घर



- सुबह करीब 4:10 बजे पुलिस की टीम पत्रकार विनोद वर्मा के घर पहुंची। उस समय पूरे महागुल मेंशन में सन्नाटा पसरा था। गाजियाबाद पुलिस की टीम ने दरवाजा खुलवाने के लिए बेल बजायी। दो-तीन बार बेल बजाने पर वर्मा की पत्नी ने दरवाजा खोला और आने वालों से परिचय पूछा।

- पुलिस बताने पर वह खीझ उठीं और कहा - ये कोई आने का टाइम है? बाद में आइए, लेकिन पुलिस धड़धड़ाते ही भीतर घुस गई। पत्नी ने कुछ देर तक विरोध भी किया।

- इसी फ्लैट से पुलिस ने सीडी का बंडल जब्त किया और वर्मा को लेकर सीधे इंदिरापुरम थाने पहुंच गई। पुलिस के जाने के बाद वर्मा के परिजनों ने अपने परिचितों और बाद में दिल्ली की मीडिया को खबर दी।



दिल्ली गई पुलिस की टीम भी थी सर्विलांस पर



- सीडी को वायरल होने के पहले जब्त करने का ऑपरेशन बेहद गोपनीय था। खबर कहीं से भी लीक होने पर पूरा ऑपरेशन फेल होने का खतरा था।

- इसलिए पुलिस वालों के फोन या तो ऑफ करवा दिए गए थे या कह दिया गया था कि उनके फोन सर्विलांस में हैं। उन्हें परिवार के सदस्यों के अलावा किसी का भी कॉल रिसीव न करने की सख्त हिदायत दी गई थी।

- अफसरों को अंदेशा था कि अगर बात खुली तो पूरी योजना फेल हो सकती है। सीडी मामले में सीबीआई में एफआईआर से पहले की जांच पूरी करने के लिए रायपुर पुलिस ने विशेष जांच दल (एसआईटी) बना दी है।

- यह टीम मामले के तकनीकी पहलुओं से लेकर आरोपियों तक की तलाश करेगी।

- एसआईटी ने जांच शुरू करते हुए सिविल लाइंस थाने में दर्ज केस के आधार पर नेताओं की 


इस मामले में भूमिका और उनके खिलाफ साक्ष्य जुटाने शुरू कर दिए। इस मामले में भिलाई के एक फर्नीचर कारोबारी समेत 5 और लोगों के नाम आ गए हैं, जिनकी पड़ताल चल रही है।

 - रायपुर एसपी डॉ. संजीव शुक्ला ने क्राइम ब्रांच के एसपी अजातशत्रु बहादुर सिंह को एसआईटी का जिम्मा सौंपा है। इसमें दो डीएसपी तथा आधा दर्जन इंस्पेक्टर शामिल हैं, जिन्हें जांच से लेकर आईटी तक का विशेषज्ञ माना जाता है। एसआईटी ने अलग-अलग टीमें बनाकर पड़ताल शुरू कर दी है।


 - सूत्रों के मुताबिक एक टीम को इस केस में पुख्ता चालान बनाने का जिम्मा सौंपा गया है। एक टीम दिल्ली की शॉप के सीसीटीवी फुटेज के अलावा संदिग्ध लोगों की कॉल डिटेल खंगाल रही है।


 - टीम को 13 मिनट के वीडियो में 58 सेकंड के हिस्से में मंत्री का चेहरा लगाने की साजिश का खुलासा करने का जिम्मा दिया गया है। 


 - एक टीम को मामले में गिरफ्तार विनोद वर्मा का बयान लेने में लगाया गया है। अब तक मिली जानकारी के आधार पर इस मामले में छह लोगों के घेरे में आने की खबर है।


 - इनमें दुर्ग का कारोबारी भी है, जिसे कांग्रेस के आला नेता का नजदीकी बताया गया है। यही नहीं, नेताओं के पास सीडी कहां से आई थी, उन्होंने सीडी किन लोगों को दी, यह पड़ताल भी शुरू कर दी गई है। इस मामले में भी पूछताछ के लिए दर्जनभर से ज्यादा लोगों को नोटिस देने की तैयारी है।


वर्मा का बयान - तीन दिन पहले ही मिला था वीडियो



 - पुलिस अफसरों ने बताया कि विनोद वर्मा ने पूछताछ में पुलिस से लेकर अपने वकील तक को यही बताया है कि गिरफ्तारी से तीन दिन पहले एक व्यक्ति यह वीडियो लेकर आया था। वर्मा ने वीडियो कॉपी करके अपने पेन ड्राइव में रख ली थी।

 - वर्मा ने यह दावा भी किया कि उनके पास कोई सीडी नहीं थी और वीडियो देख नहीं पाए हैं। पुलिस अब तक यह पता नहीं कर पाई है कि वर्मा के पास वीडियो कौन लेकर पहुंचा था और उसे किसने दिया था?


रायपुर-दिल्ली के कॉल खंगाले

 

 - 23 अक्टूबर को जब दिल्ली से पहला इनपुट मिला, तभी यहां हाईटेक जांच शुरू कर दी गई थी। दिल्ली से आने वाले फोन कॉल की जांच की गई। ये छानबीन की गई कि कौन से नंबर से अचानक कॉल बढ़ गई है।


 - किसके नंबरों पर कितने कॉल आ रहे हैं, और कितनी देर तक बातें हो रही हैं। सूत्रों के अनुसार इनसे उन लोगों का क्लू मिला जो सीडी बनवाना चाह रहे थे। 


 - आने वाले दिनों में एक-दो गिरफ्तारियां और होंगी, जिनके बारे में भी क्लू उसी जांच से मिला है।

(भास्कर)



राजनीति की चाशनी में नेताओं और पत्रकारों का चरित्र कैसा होना चाहिए?


छत्तीसगढ़ के मंत्री की कथित सैक्स सीडी मामले के बाद में देशबंधु अखबार में  31.10.2017 में संपादकीय  '  छत्तीसगढ़ में यह भी होना था' छपा है। बहुत उजागर करता है यह संपादकीय।


हाइलाइट्स


हमने देखा कि कैसे अनेक अखबार मालिक और पत्रकार राजनीति की चाशनी में डूबने के लिए आतुर होने लगे। एम.जे. अकबर, चंदन मित्रा, स्वप्न दासगुप्ता, तरुण विजय, हरिवंश, प्रफुल्ल माहेश्वरी और भी बहुत से नाम इस संदर्भ में ध्यान आते हैं। छत्तीसगढ़ में ऐसे अखबार मालिक और पत्रकारों की कमी नहीं है जो पत्रकारिता का इस्तेमाल व्यापार के लिए कर रहे हैं।


विशेष संपादकीय


ललित सुरजन


छत्तीसगढ़ के नए सीडी कांड की खबर जिस दिन आई तब से मन उद्विग्न और विक्षुब्ध है। मेरी तरह और भी बहुत से लोगों के मन में ऐसा ही विक्षोभ होगा। मैंने वह दौर देखा है जब राजनीति में शिष्टता और शालीनता अनिवार्य गुण माने जाते थे। समय बदला, स्थितियां बदलीं, गुणों में गिरावट आई, यह भी देखा। किन्तु आज जो स्थिति बन गई है इसकी कभी कल्पना भी नहीं की थी। दूसरी तरफ पत्रकारिता के बेहतरीन दिनों का भी मैं साक्षी रहा हूं। अधिकतर लोग पत्रकारिता के पेशे में इसलिए आते थे कि वे अपनी कलम के माध्यम से एक बेहतर समाज की रचना में भागीदार बनना चाहते थे। सत्यनिष्ठा और संघर्षशीलता पत्रकारिता के अनिवार्य गुण होते थे। इस अंग में समय के साथ जो गिरावट आई उसे भी लगातार देख रहा हूं, लेकिन फिर यह भी कल्पना से परे था कि पत्रकारिता कहां से कहां पहुंच जाएगी।


मैं छत्तीसगढ़ के मंत्री राजेश मूणत को पिछले कुछ वर्षों से जानता हूं। उन्होंने काफी तेजी के साथ राजनीति में अपनी पकड़ बनाई है। वे रायपुर नगर के कायाकल्प के लिए जो अनेकानेक प्रकल्प चला रहे हैं उनमें से बहुत से मुझे पसंद नहीं हैं और अखबार के माध्यम से मैं अपनी असहमति दर्ज करा चुका हूं।


श्री मूणत से मेरा विशेष परिचय नहीं है, लेकिन उनके बारे में जितना जाना सुना है उस आधार पर विश्वास नहीं होता कि वे इस कोटि के दुर्बल चरित्र व्यक्ति हैं। दूसरी ओर विनोद वर्मा को मैं शायद तब से जानता हूं जब वे विद्यार्थी थे। देशबन्धु स्कूल में ही उन्होंने पत्रकारिता के पाठ पढ़े। उनके गुणों को देखकर ही उन्हें देशबन्धु के दिल्ली ब्यूरो का प्रमुख बनाकर भेजा जिसका उन्होंने कुशलतापूर्वक निर्वाह किया। अतएव आज मेरे लिए यह विश्वास करना भी कठिन है कि वे भयादोहन जैसे कुकृत्य में लिप्त अथवा सहयोगी हो सकते हैं।



मेरा मानसिक उद्वेग सिर्फ सैद्धांतिक कारणों से नहीं है। इसलिए भी है कि जिन दो व्यक्तियों- एक राजनेता, एक पत्रकार की, जो छवि मेरे मन में थी वह इस कांड के कारण टूटने की नौबत आ रही है। लेकिन हो सकता है कि जो सामने दिख रहा है वह कुछ भी सच न हो और समय आने पर जनता के सामने सारी स्थितियां स्पष्ट हो जाएं। मैं ऐसा सही वक्त आने की प्रतीक्षा करूंगा, इस विश्वास के साथ कि दोनों व्यक्तियों के बारे में मेरी अब तक की जो राय है वह कायम रही आएगी। मेरे मन में विक्षोभ कुछ अन्य कारणों से भी है। एक तो मुझे छत्तीसगढ़ पुलिस की भूमिका समझ में नहीं आ रही है। ये प्रकाश बजाज कौन हैं? इन्होंने किन्हीं अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई और फिर लापता हो गए। इन अज्ञात व्यक्तियों का विनोद वर्मा से क्या संबंध है? विनोद के घर से जो पांच सौ सीडी जब्त होने की बात की गई क्या उसका पंचनामा किया गया? पुलिस को गिरफ्तार करने की इतनी जल्दी थी कि हवाई जहाज से जाकर सुबह साढ़े तीन बजे विनोद वर्मा को नींद से उठाया गया? यह तत्परता रिमांड पर रायपुर लाने में क्यों नहीं दिखाई गई? यह एक अनोखा प्रकरण होगा जहां दिल्ली से रायपुर एक आरोपी को हवाई जहाज या ट्रेन के बजाय सड़क मार्ग से लाया गया।


बहरहाल मैं कानून का जानकार नहीं हूं। एक सामान्य व्यक्ति के मन में जो सवाल उठ सकते हैं वही मेरे दिमाग में भी आ रहे हैं। मैं उम्मीद करता हूं कि अदालत में ऐसे तमाम प्रश्नों के तार्किक उत्तर प्राप्त होंगे। लेकिन मैं यहां एक अन्य बिन्दु पर कुछ विस्तार के साथ बात करना चाहता हूं कि क्या विनोद वर्मा पत्रकार नहीं हैं या पत्रकार रहते हुए उन्हें किसी राजनैतिक दल के साथ सक्रिय रूप से जुडऩा चाहिए था या नहीं। मेरे अपने विचार में आदर्श स्थिति तो वही है जब पत्रकार पूरी तरह से स्वतंत्र और निष्पक्ष हो। देशबन्धु में प्रारंभ में हमारी नीति रही है कि कोई भी सहयोगी किसी राजनैतिक दल का सदस्य नहीं बनेगा और सक्रिय राजनीति अथवा चुनावी राजनीति में भाग नहीं लेगा। मेरे मित्र और सहयोगी राजनांदगांव के बलवीर खनूजा को 1985 में जब कांग्रेस का टिकट मिला तो मैंने उनसे देशबन्धु से त्यागपत्र ले लिया। उसके पूर्व 1977 में जबलपुर संस्करण के संपादक राजेन्द्र अग्रवाल जनता पार्टी टिकट पर केवलारी विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी बने तो उनसे भी त्यागपत्र ले लिया गया था।


यह पुराने दौर की बात हो गई। देशबन्धु आज भी उसी नीति पर कायम है, लेकिन अन्यत्र स्थितियां बदल चुकी हैं। वैसे तो पहले भी आर.आर. दिवाकर, राधानाथ रथ, हीरालाल शास्त्री जैसे उदाहरण हमारे सामने थे, लेकिन ये तमाम पत्रकार स्वाधीनता संग्राम की उपज थे और इन्होंने उस दौर में राजनीति और पत्रकारिता साथ-साथ की थी जिसका जारी रहना स्वाभाविक था। किन्तु उसके बाद हमने देखा कि कैसे अनेक अखबार मालिक और पत्रकार राजनीति की चाशनी में डूबने के लिए आतुर होने लगे। एम.जे. अकबर, चंदन मित्रा, स्वप्न दासगुप्ता, तरुण विजय, हरिवंश, प्रफुल्ल माहेश्वरी और भी बहुत से नाम इस संदर्भ में ध्यान आते हैं। छत्तीसगढ़ में ऐसे अखबार मालिक और पत्रकारों की कमी नहीं है जो पत्रकारिता का इस्तेमाल व्यापार के लिए कर रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार गोविंदलाल वोरा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष रहे। किसी ने नहीं कहा कि वे पत्रकार नहीं हैं। मेरे स्नेही मित्र और पूर्व सहयोगी रमेश नैय्यर कई वर्षों तक छत्तीसगढ़ हिन्दी ग्रंथ अकादमी के पूर्णकालिक वेतनभोगी संचालक रहे, लेकिन मैं उन्हें उस समय भी बुनियादी रूप से एक पत्रकार ही मानता रहा, जो कि वे हैं। ऐसे भी अनेक अन्य पत्रकार हैं जो इस या उस राजनैतिक दल से संबद्ध हैं और प्रत्यक्ष या परोक्ष उसके लिए काम करते हैं। इसलिए आज विनोद वर्मा के पत्रकार होने पर प्रश्नचिह्न लगाया जा रहा है या उनके एक राजनैतिक दल हेतु काम करने पर आपत्ति की जा रही है तो वर्तमान परिस्थिति में इसे अनुचति कैसे माना जाए? लगता है कि मुख्य मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए इधर-उधर की बातें की जा रही हैं। ऐसे में श्रेयस्कर यह होगा कि सभी संबंधित पक्ष चरित्र हनन की राजनीति से ऊपर उठें और इस अशोभनीय, अवांछित प्रकरण का फैसला आने और पटाक्षेप होने का इंतजार करें।


आधार कार्ड की अनिवार्यता है राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा- भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी


डिजिटलाइजेशन की मुहिम में जुटी केंद्र सरकार आधार को देशभर में अनिवार्य करने की कोशिश में लगी है वहीं इसका विरोध भी हो रहा है। 

भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी  भी आधार की अनिवार्यता के विरोध में उतर आए हैं। आधार की अनिवार्यता का मामलासुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। सुब्रमण्यम स्वामी ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि मैं आधार के मामले को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिखूंगा कि आखिर कैसे ये जरूरी है।सुब्रमण्यम स्वामी ने आधार पर तीखी टिप्पणी करते हुए इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा तक बता डाला। स्वामी ने ये भी कहा कि मुझे उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट आधार की अनिवार्यता के मामले को खारिज कर देगी।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आधार कार्ड की अनिवार्यता का विरोध कर चुकी हैं आधार कार्ड का विरोध देश भर में अनेक लोग कर चुके हैं सभी का मानना है कि इस से व्यक्ति की समस्त प्रकार की जानकारी इधर उधर हो सकती है।



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आप में अमानतुल्लाह का निलंबन खत्म- आगे के आसार क्या होंगे

राजस्थान प्रभारी विश्वास कुमार ने कहा'मेरा राज्य सभा में प्रवेश रोकने वाला कदम'

आम आदमी पार्टी ने विधायक अमानतुल्लाह खान की निलंबन रद्द कर दिया जिससे पार्टी के अंदर नई रस्साकशी शुरू होने के आसार हैं। अमानतुल्लाह  के निलंबन खत्म होने पर पार्टी के वरिष्ठ नेत कुमार विश्वास ने कहा कि खान “केवल मुखौटा हैं” और ये उन्हें राज्य सभा सदस्य बनने से रोकने की साजिश है। दिल्ली की ओखला विधान सभा से विधायक खान को मई 2017 में पार्टी से निलंबित कर दिया गया था। खान ने उस समय कुमार विश्वास पर हमला करते हुए उन्हें “राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का दलाल” बताया था। खान ने आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्य विश्वास पर पार्टी के खिलाफ साजिश करने का आरोप लगाया था। खान की पार्टी ऐसे समय में हुई है जब दो नवंबर को आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक होने वाली है। राष्ट्रीय परिषद आम आदमी पार्टी की निर्णय लेने वाली सर्वोच्च इकाई है।हालांकि आम आदमी पार्टी ने स्पष्ट किया है कि खान का निलंबन वापस ले लिया गया है  लेकिन ये पुरानी तारीख से नहीं किया गया है। पार्टी के एक सूत्र ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “इसका ये मतलब नहीं है कि उन्हें क्लीन चिट मिल गयी है।” इस साल मई में जब खान के हमले के बाद विश्वास ने पार्टी छोड़ने की धमकी दी तो राज्य के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया उनके घर जाकर उनसे मिले थे। पार्टी सूत्रों के अनुसार केजरीवाल और सिसोदिया को आशंका थी कि कई विधायकों का समर्थन होने की वजह से विश्वास पार्टी तोड़ने में सक्षम हैं इसलिए खान को निलंबित करके संकट टाला गया था।खान को पार्टी से निलंबित करने के बाद तीन सदस्यों की एक जांच कमेटी बनायी गयी थी जिसे मामले की जांच करनी थी। इस कमेटी में आप के तीन नेता आशुतोष, पंकज मिश्रा और अतिशी मारलेना शामिल थे। इस कमेटी ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट सौंपी और खान का निलंबन रद्द करने की घोषणा की। खान ने इंडयिन एक्सप्रेस को फोन पर बताया, “मुझे आशुतोष का फोन आया जिन्होंने बताया कि मेरा निलंबन रद्द कर दिया गया है। मैं पार्टी द्वारा किए गये काम पर ध्यान दूंगा।” कुमार विश्वास के बारे में पूछे पर खान ने कहा, “अब कहने को क्या रह गया है?आम आदमी पार्टी के एक सूत्र ने कहा, “अभी हर विधायक का महत्व है। खासकर हमारे 21 विधायकों के खिलाफ चल रहे लाभ के पद के मामले को देखते हुए। ऐसे में पार्टी उन्हें हमेशा के लिए निलंबित नहीं रख सकती। आखिर हर पार्टी में आपसी समझौतों की जगह होनी चाहिए।”

( जनसत्ता)

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आम आदमी पार्टी के ओखला से विधायक अमानतुल्ला खान का निलंबन बहाल कर दिया गया है. कुमार विश्वास को बीजेपी एजेंट बताने पर पहले पोलिटिकल अफेयर कमेटी से हटाने के साथ-साथ पार्टी से अमानतुल्ला खान को निलंबित कर दिया गया थाअमानतुल्ला खान के बयान को लेकर खड़े हुए विवाद का असर कुमार विश्वास और अरविंद केजरीवाल के रिश्तों पर भी दिखा. विवादित बयान के बाद कुमार विश्वास और अरविंद केजरीवाल के बीच कथ‍ित तौर पर शीत युद्ध भी देखने मिला था.उस वक्त हालात इतने बिगड़ गए थे किअमानतुल्ला खान के बयान से नाराज कुमार विश्वास को मनाने के लिए मनीष सिसोदिया और अरविंद केजरीवाल को आधी रात गाजियाबाद स्थ‍ित कुमार विश्वास के घर  भी जाना पड़ा था30 अप्रैल को बयान जारी करने के बाद 'आज तक' से बातचीत में विधायकअमानतुल्ला खान ने कुमार विश्वास पर तीन बड़े आरोप लगाए थे. खान ने कहा था कि कैबिनेट मंत्री के घर में चार विधायकों की बैठक हुई थीवहीं कुमार विश्वास बीजेपी के इशारे पर पंजाब और एमसीडी के चुनाव में कैम्पेन करने नहीं आए थे. साथ ही टिकट बंटबारे में कुमार विश्वास मौजूद थे, लेकिन अब सवाल उठाकर एक षड्यंत्र रचा जा रहा है.इस बयान पर हुआ था विवादजिस बयान से विवाद खड़ा हुआ था उसमेंअमानतुल्ला खान ने आरोप लगाते हुए कहा था कि 'कुमार विश्वास आम आदमी पार्टी को हड़पना चाहते हैं और तोड़ना चाहते हैं. कुमार अपने घर में विधायकों को बुलाकर यह कह रहे हैं कि मुझे पार्टी का संयोजक बनवाओ, नहीं तो बीजेपी में चलो. बीजेपी हर एक को 30 करोड़ देने के लिए तैयार है.विश्वास पर पार्टी तोड़ने का गंभीर आरोपजामिया से AAP विधायक ने कहा था कि मुझे लगता है ये सब बीजेपी के इशारे पर हो रहा है और इस काम के लिए इन्होंने 4 विधायक छोड़े हुए हैं. ये चारों विधायक AAP के विधायकों को कुमार विश्वास के घर ले जाते हैं, इस बात की तस्दीक AAP के तमाम विधायकों ने की

(अमर उजाला)

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आम आदमी पार्टी(आप) ने ओखला से पार्टी के विधायक अमानतुल्ला खान का निलंबन रद्द कर दिया है। करावल नगर से पार्टी के निलंबित विधायक कपिल मिश्रा ने आज कई ट्वीट कर खान के निलंबन को रद्द किए जाने को लेकर निशाना साधा। पार्टी के वरिष्ठ नेता कुमार विश्वास पर भाजपा और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ(आरएसएस) के लिए काम करने का आरोप लगाने पर पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति ने खान को तीन मई को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया था।मिश्रा ने ट्वीट में लिखा केजरीवाल के बारे में सच बोलो तो सजा, कुमार के बारे में झूठ बोलो तो मजा। क्या अमानत पर बनी 3 सदस्यीय समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक की जाएगी। एक अन्य ट्वीट में पूर्व मंत्री ने लिखा आप के पास अमानतुल्ला से ज्यादा तेज तर्रार मुसिलम चेहरा है नहीं। बिना मुस्लिम वोट पार्टी कहीं और तो छोडि़ए दिल्ली भी नहीं जीत सकती। उन्होंने एक अन्य ट्वीट में लिखा 67 विधायक जीतने के लिए किसी जाति या धर्म के चेहरे नहीं चाहिए थे। अमानतुल्ला उन लोगों में से हैं, जो अफजल गुरु और बुरहान वानी को हीरो मानते हैं। दिल्ली के मुसलमान ऐसे लोगों को पसंद नहीं करते। गौरतलब है कि मिश्रा ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे, जिसके बाद उन्हें केजरीवाल मंत्रिमंडल से हटा दिया गया था।

(उत्तम हिंदु न्यूज)



सोमवार, 30 अक्तूबर 2017

सौ साल की बुढ़िया से बलात्कार,मौत और गिरफ्तारी

यह  दिल दहला देने वाली घटना मेरठ के रघुनाथ पुरा गांव में घटित होने के समाचार के बाद से बवाल मचा हुआ है। सभी सोचने पर मजबूर कि आहैं कि हम किस तरह के वातावरण  में रह रहे हैं।

 यह सवाल भी जेहन में कौंध उठेगा कि क्या हमारी इंसानी बस्तियों में इतने वहशी दरिंदे पैदा हो गये हैं।

 यह पूरा मामला जानी थाना इलाके के रघुनाथपुर गांव का है, जहां एक वहशी दरिंदे ने 100 साल की बुजुर्ग महिला के साथ कथित तौर पर रेप किया। दुष्कर्म का शिकार बनी दलित महिला ने सोमवार 30.10.2017  की सुबह उपचार के दौरान अस्पताल में दम तोड़ दिया। 

पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। घटना के बारे में पुलिस का कहना है कि आरोपी का मेडिकल कराने के बाद उसे कोर्ट के सामने पेश किया जाएगा। 

 महिला के परिजनों के अनुसार रविवार 29.10.2017 की रात सौ वर्ष की वृद्धा बीमारी के कारण अपने बरामदे में सो रही थीं। रात को उनके कराहने की आवाज सुनकर जब परिवार के सदस्य कमरे से बाहर निकले, तो गांव का ही 35 वर्षीय अंकित पूनिया नाम का शख्स दुष्कर्म कर रहा था। 

 परिजनों के मुताबिक उस समय अंकित नशे में बुरी तरह से धुत था।दौरान जब उसे पकड़ने का प्रयास किया गया, तो वह मौके से फरार हो गया।

इस दौरान 108 नंबर पर कॉल कर परिजनों ने ऐंबुलेंस बुलाई और पीड़ित वृद्धा को लेकर थाने पहुंचे। जानी के एसएचओ (थानाधिकारी) प्रेमचंद शर्मा ने बताया कि रविवार की रात को ही आरोपी अंकित पूनिया को नामजद करते हुए उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 458 और 376 व 3(2)5 एससी/एसटी ऐक्ट के तहत मुकदमा दायर किया गया।

 पुलिस का कहना है कि वृद्धा को उपचार के लिए मेरठ जिला अस्पताल भेज दिया गया था। सोमवार 30.10.2017 की सुबह 4 बजे अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।

एसएचसो का कहना है कि मौत की खबर मिलने पर मुकदमे में आईपीसी की धारा 302 (हत्या) भी जोड़ दी गई है।

एसएचओ ने बताया कि सोमवार को करीब एक बजे आरोपी अंकित को हिंडन नदी के पुल के पास से गिरफ्तार कर लिया गया है। उसे मेडिकल के लिए भेजा गया है। वहीं इस घटना को लेकर गांव में भारी तनाव देखा जा रहा है। गांव की गलियां सूनी पड़ी हुई हैं। वहीं एक बिरादरी के लोग इसे झूठा मामला बता रहे हैं। मेरठ पुलिस मामले की तफ्तीश कर रही है।



मातृ भाषा में मिले हर विद्यार्थी को शिक्षा

रावतसर 30.10.2017.हर बालक का यह मौलिक अधिकार है कि उसको प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में मिले।अध्ययनों से पता चला है कि मातृभाषा में दी गई शिक्षा बालक जल्दी ग्रहण करता है।चीन,फ्रांस,स्पेन आदि देशों में न केवल प्राथमिक शिक्षा बल्कि उच्च शिक्षा भी विद्यार्थियों को उनकी मातृभाषा में दी जाती है।चाणक्य कोचिंग क्लासेज तथा द साइंस कॉलेज क्लासेज रावतसर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित राजस्थानी भाषा पर केंद्रित कार्यक्रम में ये विचार उपस्थित साहित्यकारों ने रखे।चाणक्य कोचिंग क्लासेज के प्रबंधक मुकेश शर्मा ने बताया कि कार्यक्रम के मुख्य अतिथि शिक्षाविद् प्रह्लाद राय पारीक थे।राजस्थानी भाषा मान्यता समिति के जिला प्रचार मंत्री हरीश हैरी ने उपस्थित विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि मातृभाषा का स्थान कोई दूसरी भाषा नहीं ले सकती।हर प्रांत ने राजभाषा के नाम पर बाड़ लगा रखी है।उस बाड़ को पार करना राजस्थानी विद्यार्थियों के लिए नामुमकिन है क्योंकि हर प्रांत में यह नियम है कि किसी भी नौकरी के लिए उस प्रांत की भाषा में 10 वीं उत्तीर्ण होना आवश्यक है।राजस्थान हिंदी भाषी क्षेत्र घोषित होने के कारण बाहर के लोग यहां नौकरियों में शामिल हो जाते हैं।अपनी मातृभाषा राजस्थानी को मान्यता न होने के कारण यहां के विद्यार्थी पिछड़ जाते हैं।शिक्षाविद् प्रह्लाद राय पारीक ने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि उनके हक की लड़ाई उनको स्वयं लड़नी होगी।राजस्थानी भाषा का शब्दकोश विश्व में सबसे बड़ा शब्दकोश है। राजस्थानी भाषा में हस्तलिखित अढाई लाख से ज्यादा ग्रंथों की पांडुलिपियां विभिन्न संग्रहालयों में सुरक्षित हैं।11 करोड़ लोगों द्वारा बोली जाने वाली राजस्थानी भाषा को मान्यता नहीं होने के कारण हर राजस्थानी से उसका हक छीना जा रहा है।इससे पूर्व छात्र पवन कुमार बिश्नोई ने अपनी राजस्थानी कविता पढ़कर सुनाई।युवा कवि अशोक परिहार उदय ने तरन्नुम में राजस्थानी गीत व कविता सुनाकर दाद पाई।इस अवसर पर राजस्थानी छात्र मोर्चा के तहसील संयोजक व्याख्याता सूरजमल राठौड़,व्याख्याता सुभाष सोनी अनाम,डॉ.विजय पटीर,मुरारी लाल,सुरेंद्र शर्मा,राजेंद्र,महेंद्र,रामलाल जोशी,संजय भार्गव,प्रकाश नवल,राजकुमार सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।कार्यक्रम का मंच संचालन राजस्थानी के युवा साहित्यकार राजू सारसर राज ने किया।कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु चाणक्य कोचिंग क्लासेज के प्रबंधक मुकेश शर्मा ने सब का आभार व्यक्त किया।




आरक्षण पर ब्राह्मण राजपूत जाट क्या कहते हैं?

जयपुर। राजस्थान सरकार द्वारा दो दिन पूर्व गुर्जर सहित पांच जातियों को पांच फीसद आरक्षण देने संबंधी विधेयक विधानसभा में पारित कराए जाने के बाद अब सवर्ण आरक्षण की मांग तेज होने लगी है।

 सर्व ब्राह्माण महासभा ने चेतावनी दी है कि आरक्षण की मांग को लेकर दिसंबर से प्रदेशव्यापी आंदोलन शुरू किया जाएगा।

अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के उपाध्यक्ष एपी सिंह ने जातिगत आरक्षण व्यवस्था को तुरंत समाप्त कर आर्थिक आधार पर आरक्षण लागू करने की मांग की है। जयपुर स्थित राजपूत सभा भवन में जुटे प्रदेश के प्रमुख जाट नेताओं ने आर्थिक आधार पर आरक्षण व्यवस्था लागू करने को लेकर सरकार पर दबाव डालने की रणनीति बनाई।

अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष यशपाल मलिक ने राज्य सरकार से क्रीमीलेयर की सीमा बढ़ाने की मांग की है।

30.10.2017.

शनिवार, 28 अक्तूबर 2017

निहाल चंद मेघवाल को दुष्कर्म​ मुकदमें में कोर्ट से राहत: महिला की रिवीजन याचिका खारिज:



- करणीदानसिंह राजपूत-

इस मुकदमें में सूरतगढ़, गंगानगर, पीलीबंगा के लोगों के, राजनेताओं, पुलिस वालों के नाम भी थे।

साल 2011 में दर्ज करवाए दुष्कर्म मामले में अदालत ने महिला की रिवीजन याचिका को खारिज कर दिया है। सिरसा की रहने वाली इस महिला ने निहाल चंद सहित 17 लोगों पर  दुष्कर्म के आरोप लगाए थे। पुलिस इस मामले में पहले एफआर लगा चुकी थी। इसके बाद महिला ने एफआर के विरुद्ध  रिवीजन अर्जी दायर की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है।

मामले के अनुसार हरियाणा निवासी विवाहिता ने मेघवाल सहित 17 लोगों के खिलाफ कई बार दुष्कर्म करने का आरोप लगाते हुए वर्ष 2011 में वैशाली नगर थाने में मामला दर्ज कराया था। पीड़िता का आरोप था कि उसका पति अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए उसे बेहोश कर कई लोगों से दुष्कर्म कराता था। वैशाली नगर पुलिस जाना जयपुर ने प्रकरण में एफआर लगा दी थी। इसके खिलाफ पीड़िता की ओर से प्रोटेस्ट पिटिशन दायर की गई। जिसे खारिज करते हुए अदालत ने एफआर को स्वीकार कर लिया था। इसके खिलाफ पीड़िता की ओर से रिवीजन अर्जी दायर की गई थी।

आरोपों में कौन कौन ?

1. ओमप्रकाश गोदारा पति।2. राजकुमार गोदारा देवर।3. विकास अग्रवाल।4. निहालचंद मेघवाल/ मुकद्दमा हुआ तब पूर्व सांसद थे/।5. पुष्पेन्द्र भारद्वाज/ राजस्थान विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष।6. विवेकानन्द/ जो भाजपा के कई नेताओं के निजी सचिव रहे/7. अनिल राव/ पुलिस उप अधीक्षक/इस8. महावीर / पुलिस इंस्पेकटर/9. राधेराम गोदारा/ सूरतगढ़ तहसील के अमरपुरा जाटान के निवासी/10.विकास अग्रवाल।11.आरिफ।12.हरीश।13.कुलदीप हुंदल।14.भगवान।15. मनीष / श्रीगंगानगर निवासी/16.पिंटू / श्रीगंगानगर निवासी/17.कुलदीप / पीलीबंगा निवासी/

----निहाल चंद मेघवाल ने कहा था कि झूठा आरोप है।

राधेराम ने भी कहा था कि आरोप झूठा है।


शुक्रवार, 27 अक्तूबर 2017

छत्तीसगढ़ के भाजपा मंत्री की सैक्स सीडी है या नहीं? पत्रकार की गिरफ्तारी फिर क्यों? देश में हंगामा

- करणीदानसिंह राजपूत -

छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार के मंत्री राजेश मूणत की सेक्स CD है या नहीं है यह पूरी जांच से मालूम होगा लेकिन वरिष्ठ पत्रकार विनोद वर्मा की सूर्योदय से पूर्व की गई गिरफ्तारी के बाद देशभर में हंगामा मचा हुआ है। पत्रकार का कहना है कि सीडी मंत्री की होने के कारण उसे गिरफ्तार किया गया।  मंत्री का कहना है कि CD देखी है और वह फर्जी है। इसके अलावा उन्होंने कहा है कि उन्हें किसी ने ब्लेकमैल नहीं किया और न फोन किया। तो फिर पत्रकार को गिरफ्तार करने के हालात कैसे हुए और जिस तरीके से छत्तीसगढ़ की पुलिस ने उत्तर प्रदेश की पुलिस से मिलकर पत्रकार विनोद वर्मा की गिरफ्तारी की,वह आश्चर्यजनक रही। अनेक पत्रकारों ने इसे प्रेस पर हमला बताया है।


जानिए की यह सब क्या है?


‌सेक्स सीडी मामले में छत्तीसगढ़ के मंत्री राजेश मूणत सामने आये हैं. उन्होंने कहा कि विनोद वर्मा की जिस सेक्स सीडी के मामले में गिरफ्तारी हुई है और जिस कथित सेक्स सीडी के बारे में चर्चा हो रही है, वह पूरी तरह से फर्जी है.

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के एक मंत्री​ की कथित सेक्स सीडी के मामले में पुलिस ने शुक्रवार 27.10.2017 को वरिष्ठ पत्रकार विनोद वर्मा को गिरफ्तार किया है. वर्मा ने दावा किया है कि उनके पास छत्तीसगढ़ के एक मंत्री का सेक्स टेप था, जिसके कारण उन्हें गिरफ्तार किया गया है। रायपुर के पंडरी थाने में प्रकाश बजाज नामक एक व्यक्ति ने कल 26.10.2017 को एक रिपोर्ट दर्ज करवाई गई थी कि उन्हें फोन कर उनके आका की एक सेक्स सीडी के नाम पर बदनाम करने की धमकी दी गई है.

इसी मामले में सफाई देने के लिये भाजपा के नेता और मंत्रियों ने रायपुर में प्रेस कांफ्रेस की.

छत्तीसगढ़ में पीडब्‍ल्‍यूडी, आवास एवं पर्यावरण और परिवहन मंत्री राजेश मूणत ने कहा कि राजनीतिक जीवन के 24 साल हो चुके हैं. छोटे पद से लेकर बड़े पद पर रहा. राजनीति में ऐसी गिरावट मैंने नहीं देखी.

उन्होंने कहा कि किसी की सीडी है तो 500 सीडी बनाने का औचित्य क्या है? मुख्यमंत्री से बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष से इस मामले पर जांच कराने को कहूंगा. मूणत ने कहा कि उनके पास किसी का भी फोन नहीं आया और ना ही उन्हें ब्लैकमेल करने की कोशिश की गई.

रायपुर से विधायक और युवा नेता राजेश मूणत ने कहा कि ये मेरी चरित्र हत्या का प्रयास है. जिस भी एजेंसी से जांच कराना चाहें, वो कर सकते हैं.

मंत्री मूणत ने कहा कि मेरे उपर जो चीज दिखा रहे हैं, घिनौना कृत्य करने की कोशिश की, उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिये. मूणत ने कहा कि पूरी की पूरी सीडी फर्जी है. मैंने सीडी देखी है. देखकर ही कह रहा हूं, सीडी फर्जी है, फर्जी है, फर्जी है.


इधर पत्रकारों ने जब भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष धरमलाल कौशिक से पूछा कि क्या सीडी कांड की जांच होने तक राजेश मूणत इस्तीफा देंगे तो उन्होंने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की.


रायपुर (छत्तीसगढ़)। सेक्स सीडी मामले पर छत्तीसगढ़ के पीडब्ल्यूडी मंत्री राजेश मूणत ने अपना पक्ष रखा है। उन्होंने कहा कि जिस सीडी पर विवाद हो रहा वो बिल्कुल फर्जी सीडी है। उन्होंने कहा कि मैंने खुद सीडी देखी है। ये पूरी तरह से फर्जी है। बता दें कि राजेश मूणत पर सेक्स सीडी का आरोप है। मुझे करीब 34 साल राजनीति में हो गए हैं। इस सीडी की जितनी जल्दी हो जांच कराई जाए। इस सीडी का सच सामने आना चाहिए। भारतीय जनता पार्टी को घेरने के लिए जिस तरह से सीडी को लेकर सवाल उठाए गए हैं, इसकी जल्द से जल्द जांच कराई जानी चाहिए। उन्होंने छत्तीसगढ़ के सीएम से इस सीडी की किसी भी एजेंसी से जांच कराने की बात कही है।


बीजेपी ने इस मामले में सीधे तौर पर विनोद वर्मा पर सवाल उठा दिए। बीजेपी विधायक शिवरतन यादव ने कहा कि विनोद वर्मा पत्रकार हैं या कांग्रेस के एजेंट है। बीजेपी विधायक ने कहा कि हम इस मामले की निंदा करते हैं। पूरा मामला ब्लैकमेलिंग का है। उन्होंने कहा कि बीजेपी ने पूरे मामले में मुख्यमंत्री से जांच का आदेश देने की मांग की है। बीजेपी विधायक ने भी कहा कि सीडी बिल्कुल फर्जी है। इसकी प्रामाणिकता की जांच होनी चाहिए।


इससे पहले पत्रकार विनोद वर्मा ने अपनी गिरफ्तारी के बाद पहली प्रतिक्रिया दी थी कि मेरे पास मंत्री की सेक्स सीडी थी, इसलिए मुझे निशाना बनाया गया। विनोद वर्मा ने कहा कि मुझे फंसाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की सरकार मुझसे खुश नहीं है मेरे पास एक पेन ड्राइव है, सीडी के साथ मेरा कोई लेना देना नहीं है। मुझे फंसाया जा रहा है। वर्मा ने कहा कि मेरे पास राज्य के पीडब्ल्यूडी मंत्री राजेश मूणत की सेक्स सीडी थी जिसके चलते सरकार खुश नहीं थी। वर्मा ने कहा कि उनके पास बहुत बड़ा मामला है जिसे दबाने के लिए उन्हें गिरफ्तार किया गया। सीडी सार्वजनिक तौर पर मौजूद है।

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नई दिल्ली

जाने-माने पत्रकार विनोद वर्मा को छत्तीसगढ़ पुलिस ने उनके गाजियाबाद के इंदिरापुरम इलाके में स्थित घर से गिरफ्तार किया है। रायुपर पुलिस की एक टीम ने वर्मा को ब्लैकमेलिंग और उगाही के केस में गिरफ्तार किया है।  विनोद वर्मा वरिष्ठ पत्रकार हैं और बीबीसी के लिए काम कर चुके हैं। फिलहाल वह छत्तीसगढ़ कांग्रेस से जुड़े हुए हैं। 

अपनी गिरफ्तारी के बाद विनोद वर्मा ने हमारे सहयोगी न्यूज चैनल टाइम्स नाउ के साथ बातचीत में दावा किया कि उनके पास छत्तीसगढ़ सरकार में मंत्री राजेश मूणत की सेक्स सीडी है इसलिए सरकार उन्हें फंसा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि यह सीडी पहले से ही पब्लिक डोमेन में है और उनका इससे कुछ लेना-देना नहीं है।

दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ के लोक निर्माण मंत्री मंत्री राजेश मूणत ने विनोद वर्मा के दावों को खारिज किया है। मूणत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि उन्हें सोशल मीडिया के जरिए सीडी के बारे में जानकारी मिली और सीडी पूरी तरह फर्जी है। मंत्री ने कहा कि जिस भी एजेंसी से जांच करानी हो जांच हो जाए, वह जांच के लिए तैयार हैं। छत्तीसगढ़ बीजेपी ने पत्रकार विनोद वर्मा पर सवाल उठाते हुए पूछा है कि वर्मा पत्रकार हैं या कांग्रेस के एजेंट। 


जब मूणत से यह पूछा गया कि क्या वह उसी तरह इस्तीफा देंगे जिस तरह दिल्ली सरकार में मंत्री रहे संदीप कुमार ने सेक्स स्कैंडल के बाद इस्तीफा दिया तो उन्होंने कहा कि संदीप कुमार के खिलाफ बीजेपी ने पुख्ता तथ्य रखे थे। मूणत ने छत्तीसगढ़ कांग्रेस के प्रमुख भूपेश बघेल को चुनौती दी कि दम हो तो वह उनके खिलाफ पुख्ता तथ्य रखें।

वर्मा के खिलाफ छत्तीसगढ़ के पंडरि थाने में आईपीसी की धारा 384, 506 और आईटी ऐक्ट के तहत मुकदमा दर्ज है, जिसके आधार पर पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया। उन पर एक नेता को ब्लैकमेल करके अवैध उगाही करने का आरोप है। पुलिस को वर्मा के घर से करीब 500 सीडी मिली हैं जिन्हें जब्त कर लिया गया है। इसके अलावा पुलिस ने 2 लाख रुपये कैश भी जब्त किया है। पुलिस ने एक लैपटॉप और डायरी भी अपने कब्जे में लिया है।

वर्मा को गिरफ्तार करने वाली रायपुर पुलिस टीम ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बताया कि प्रकाश बजाज नाम के एक शख्स की शिकायत के आधार पर गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने बताया कि बजाज ने अपनी शिकायत में कहा है कि खुद को विनोद वर्मा बताने वाले एक शख्स ने उसे फोन पर धमकी दी और किसी अश्लील सीडी का हवाला देकर ब्लैकमेल करने की कोशिश की। शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत में कहा है कि फोन करनेवाले शख्स ने उससे कहा कि उनके पास उसके आका की सीडी है और अगर मांगें नहीं मानी गई तो वह उन सीडी को बांट देगा। 

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रायपुर पुलिस ने बताया कि विनोद वर्मा के बारे में सुराग एक सीडी बनानेवाले से मिला। पुलिस का दावा है कि सीडी बनानेवाले ने ही उसे विनोद वर्मा का नंबर दिया और बताया कि उन्होंने सेक्स सीडी की 1000 प्रतियां बनवाई हैं। रायपुर पुलिस ने बताया कि वर्मा के पास से 500 सीडी बरामद हुई है और ये एक ही की कॉपी थी।

ऐसा आरोप है कि वर्मा सेक्स सीडी के जरिए नेता को ब्लैकमेल कर रहे थे और उनसे अवैध उगाही की कोशिश में थे। कांग्रेस ने वर्मा की गिरफ्तारी का तीखा विरोध किया है। छत्तीसगढ़ कांग्रेस के अध्यक्ष भूपेश बघेल ने भी आरोप लगाया है कि वर्मा की गिरफ्तारी के पीछे मंत्री के सेक्स स्कैंडल का मामला है। वहीं, बीजेपी ने कांग्रेस के आरोपों को खारिज किया

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 वर्मा इडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के सदस्य भी हैं. वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश उर्मिल ने भी फेसबुक पोस्ट के जरिए वर्मा की गिरफ्तारी की जानकारी दी है. उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 384 और 506 के तहत मामला दर्ज किया गया है.

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विनोद इन दिनों छत्तीसगढ़ कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल के सोशल मीडिया प्रभारी हैं.

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विनोद वर्मा की गिरफ्तारी की निंदा आम आदमी पार्टी के नेता आशुतोष ने भी की है. उन्होंने ट्वीट किया, सुबह के 3.30 बजे रहस्यमयी परिस्थितियों में बीबीसी और अमर उजाला से जुड़े रहे पत्रकार विनोद वर्मा को गिरफ्तार किया गया है. यह प्रेस पर हमला है।


पत्रकार विनोद वर्मा

गुरुवार, 26 अक्तूबर 2017

भाजपा की साथी शिवसेना गुजरात चुनाव में हार्दिक पटेल के साथ

शिवसेना के सांसद संजय राउत ने कहा कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी देश का नेतृत्व करने में सक्षम हैं और साथ ही क मेंहा कि देश में अब नरेंद्र मोदी लहर खत्म हो चुकी है। राउत का यह बयान भारतीय जनता पार्टी के लिए परेशानी खड़ा कर सकता है। उन्होंने कहा कि जीएसटी को लेकर गुजरात के लोगों में काफी गुस्सा है, इसकी वजह से दिसंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा को कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ेगा। राउत ने एक टीवी चैनल की बहस में हिस्सा लेते हुए यह बयान दिया। उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस नेता राहुल गांधी देश का नेतृत्व करने में सक्षम हैं। उन्हें ‘पप्पू’ बोलना गलत है।’ इस टीवी बहस में राज्य शिक्षा मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता विनोद तावड़े भी मौजूद थे। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भारी बहुमत हासिल करने वाली भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधते हुए सांसद ने कहा, ‘इस देश में सबसे बड़ी शक्ति जनता… मतदाता हैं। वो किसी को भी पप्पू बना सकते हैं।’

राउत ने साथ ही कहा, ‘2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर थी, लेकिन यह लहर खत्म हो चुकी है। जीएसटी लागू होने के बाद गुजरात में जिस तरह से लोग प्रदर्शन कर रहे हैं, उससे लगता है कि भाजपा को चुनाव में कड़ी टक्कर मिलेगी।’

एनडीए की साथी पार्टी शिवसेना समय-समय पर भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधती रहती है। पार्टी के मुखपत्र सामना के जरिए अकसर ये निशाने साधे जाते हैं। राउत का यह बयान गुजरात विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होने के एक दिन बाद आया है। नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात में शिवसेना का कोई बेस नहीं है, ऐसे में उसने अपना समर्थन पाटिदार नेता हार्दिक पटेल को दिया है। हार्दिक पटेल ने इस साल शिवेसना प्रमुख उद्धव ठाकरे से मुलाकात की थी।





बुधवार, 25 अक्तूबर 2017

खुफिया एजेंसी द्वारा होटल के कमरे की तलाशी पर अशोक गहलोत ने मोदी से किये सवाल



गुजरात के होटल ताज में मिलने पहुंचे पाटीदार नेता हार्दिक पटेल के सीसीटीवी फुटेज सार्वजनिक होने पर गुजरात कांग्रेस प्रभारी अशोक गहलोत ने कहा है कि खुफिया ब्यूरो (आईबी) ने उनके कमरे की तलाशी भी ली। गहलोत ने इस मामले को निजता पर हमला बताते हुए प्रधानमंत्री मोदी के समक्ष कई सवाल उठाए हैं।

अशोक गहलोत ने होटल से सीसीटीवी फुटेज ले जाने पर एतराज जताते हुए कहा कि आईबी को ऐसा करने की जरूरत क्यों पड़ी। गहलोत ने ट्वीट कर बताया कि आईबी और पुलिस ने उनके नाम से होटल ताज में बुक कमरे की तलाशी ली। उन्होंने पुलिस की इस कार्रवाई को निजता पर हमला बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल किया- 'प्रधानमंत्रीजी गांधीजी के गुजरात में यह क्या हो रहा है?' इस मामले में गहलोत ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के पुत्र जय को भी लपेटा है। उन्होंने एक के बाद एक ट्वीट कर जहां गुजरात की सरकार और पुलिस के रवैये पर सवाल उठाए, वहीं एक पूर्व मुख्यमंत्री के कमरे की तलाशी पर कड़ा एतराज जताते हुए कहा कि ये कमरा उनके नाम से बुक था जहां हार्दिक आकर रुका, यहीं पर उनकी हार्दिक से मुलाकात हुई। 

उन्होंने सवाल उठाया- 'हार्दिक व जिग्नेश न तो भगोड़े हैं और न ही आपराधिक छवि के लोग फिर उनकी व मेरी निगरानी क्यों की जा रही है?' गहलोत अगले ट्वीट में लिखते हैं कि होटल ताज में उनकी हार्दिक व जिग्नेश से मुलाकात हुई और आगे भी वह उनसे मिलते रहेंगे। आगामी चुनाव में कांग्रेस चुनाव जीत रही है और गुजरात में किसान, युवा व गरीबों की सरकार बनेगी। नेता हार्दिक पटेल ने समर्थन के एवज में कांग्रेस के समक्ष समाज को आरक्षण, नौकरी, पाटीदार आयोग के गठन सहित कई मांगें रखी हैं। गुजरात के कांग्रेस प्रभारी अशोक गहलोत इन मांगों पर आगामी एक सप्ताह में पार्टी का रख स्पष्ट करेंगे।

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की सोमवार को गुजरात यात्रा के दौरान उनसे पाटीदार नेता हार्दिक पटेल की होटल ताज में मुलाकात को लेकर कई अटकलें चल रही हैं। लेकिन राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात की बात खुद हार्दिक ने स्वीकार की है। हार्दिक ने कहा है कि उनका उद्देश्य गुजरात में भाजपा को हराना है। गहलोत आगामी 7-8 दिनों में इस पर अपना रख स्पष्ट करेंगे। 

हार्दिक की प्रमुख मांगों में पाटीदार समाज को आरक्षण, शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए अनारक्षित वर्ग के विद्यार्थियों को आरक्षण, उच्च शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति, पाटीदार आयोग के गठन और पाटीदार युवकों के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस लेना प्रमुख हैं।


राजस्थान विधानसभा वैल में विपक्षी विधायकों का धरना :रात को वहीं खाना सोना हुआ:


जयपुर 25.10.2017.

कांग्रेस के अलावा चार गैर भाजपाई विधायकों ने किसानों के कर्ज माफी मांग को लेकर विधानसभा वैल में  24 अक्टूबर से धरना दे रहे हैं। विधानसभा में सबने साथ किया भोजन, अब दरी-गद्दे लगाकर सदन में जमा हैं विपक्षी​ विधायक।

नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी के नेतृत्व में डटा है सरकार का विरोधी खेमा।

डूडी के अलावा कांग्रेस के रमेश मीणा, गोविंद डोटासरा, महेंद्रजीतसिंह मालवीय, बृजेंद्र ओला, श्रवण कुमार, भंवरसिंह भाटी, सुखराम विश्नोई, धीरज गुर्जर, भजन लाल, हीरालाल भी हैं मौजूद। इनके अलावा निर्दलीय विधायक डाॅ. राजकुमार शर्मा, हनुमान बेनीवाल, नंदकिशोर महरिया व बसपा के मनोजसिंह न्यांगली भी वहीं जता रहे हैं विरोध। सब एक सुर में बोले, जनहित के लिए विधानसभा में ही डटकर करेंगे खाना-सोना और नहाना-धोना।


मंगलवार, 24 अक्तूबर 2017

अखिल भारतीय किसान सभा सूरतगढ़ का संयोजक मंडल गठित:आइजीएनपी में पानी की मांग

अखिल भारतीय किसान सभा सूरतगढ़ की बैठक करनाणी धर्मशाला में हुई जिसमें 7 सदस्य संयोजक मंडल का गठन कर जसराम बुगालिया को तहसील संयोजक चुना गया। 

उसके बाद इंदिरा गांधी नहर परियोजना में 4 में से 2 समूह में मार्च माह तक सिंचाई पानी देने ,IPC में संशोधित विधेयक काला कानून वापिस लेने  सहित अन्य मांगों को लेकर मुख्यमंत्री के नाम प्रशासन को ज्ञापन सौंपा।


राजस्थान विधानसभा भवन पर काले कानून के विरोध में प्रदर्शन: गिरफ्तार

राजस्थान विधानसभा में पेश किए गए सीआरपीसी संशोधन विधेयक 2017 के विरोध में मंगलवार   24.10.2017 को पत्रकार भी सड़क पर उतरे और एकजुट होकर विधानसभा पहुंचे. यहां विधेयक के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया गया. यहां से जयपुर पुलिस ने प्रदर्शन में शामिल सभी पत्रकारों काे गिरफ्तार लिया.


इससे पहले पिंकसिटी प्रेस क्लब से शुरू हुए विरोध प्रदर्शन में शामिल पत्रकार बाहों पर काली पट्टी बांधकर विधानसभा पहुंचे. यहां विधानसभा के पास पत्रकारों ने सामूहिक रूप से प्रदर्शन करते हुए दंड विधियां संशोधन विधेयक का विरोध किया.



पत्रकारों के विरोध प्रदर्शन के दौरान मौके पर भारी तादाद में पुलिस जाब्ता मौजूद रहा. प्रदर्शन के बीच वरिष्ठ पत्रकार अशोक भटनागर की बिगड़ी तबियत बिगड़ गई. जिन्हें बाद में पुलिस ने अस्पताल पहुंचाया. वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी समेत बड़ी संख्या में पत्रकार इस प्रदर्शन में शामिल हुए.


यह विरोध प्रदर्शन पिंकसिटी प्रेस क्लब, राजस्थान श्रमजीवी पत्रकार संघ, राजस्थान पत्रकार संघ, राजस्थान पत्रकार परिषद, आईएफडब्लूजे, कौंसिल ऑफ जर्नलिस्ट, आरएफडब्लूजे, पत्रकार ट्रस्ट ऑफ इंडिया समेत सभी संघो के बैनर तले किया गया.



देशभर में भारी विरोध से ​बैकफुट वसुंधरा सरकार: प्रवर समिति को सौंपा विवादित विधेयक


24.10.2017.

जनप्रतिनिधियों और लोकसेवकों के खिलाफ शिकायत से पहले राज्य सरकार की मंजूरी लेने संबंधी बिल सोमवार 23.10.2017 को राजस्थान विधानसभा में पेश किया गया था। लेकिन आज विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी सदस्यों ने बिल को लेकर वापस जोरदार हंगामा किया और वैल में आ गए। जिसके बाद सरकार का फ्लोर मैनेजमेंट गड़बड़ा गया और सदन की मंजूरी के बाद बिल को प्रवर समिति को सौंप दिया गया है। अब समिति बिल की कमी और खामियों पर चर्चा करेगी।

गौरतलब है कि विवादित बिल को लेकर देशभर में राज्य सरकार की किरकिरी हुई। जिसके बाद सरकार बैकफुट पर नजर आ रही है।  राज्य सरकार ने सोमवार को विधानसभा में 'दंड विधियां (राजस्थान संशोधन) अध्यादेश, 2017' पेश किया गया। इस बिल का जमकर विरोध हो रहा हैं। इसे देखते हुए सोमवार देर रात मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अपने आवास पर प्रमुख मंत्रियों और कुछ अधिकारियों की बैठक बुलाई थी। बैठक में इस बिल के विरोध से निपटने की रणनीति पर विचार विमर्श किया गया।


विधायक दल की बैठक में भी उठे विरोध के स्वर

जानकारी के अनुसार, बैठक में इस बिल पर पुनर्विचार करने को लेकर एक राय बनी। मंत्रियों ने कहा कि कुछ समय बाद अजमेर और अलवर में उपचुनाव है और अगले साल राज्य में विधानसभा चुनाव हैं। ऐसे में इस बिल को लेकर विवाद सरकार के लिए घातक साबित हो सकता है। उन्होंने इस विवाद को दूर करने के लिए ये बिल प्रवर समिति को सौंपने का ​सुझाव दिया था।

मुख्यमंत्री आवास पर कल हुई इस बैठक में गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया, पंचायती राज मंत्री राजेन्द्र राठौड़, पीडब्लूडी मंत्री यूनुस खान व अभाव अभियोग मंत्री अरुण चतुर्वेदी शामिल हुए थे। हालांकि विधायक दल की बैठक में भी पार्टी के विधायकों ने विरोध के स्वर उठा दिए थे।


राजस्थान में दंड विधियां (राजस्थान संशोधन) अध्यादेश-2017 का मसौदा तैयार होने के साथ ही विरोध शुरू हो गया था। इस बिल को मीडिया की आजादी छीनने वाला और भ्रष्ट अफसरों एवं जनप्रतिनिधियों को संरक्षण देने वाला बताते हुए विपक्ष ने सरकार को आड़े हाथ लिया हुआ है।



लोकसेवकों को बचाने वाले विधेयक पर गृहमंत्री का तर्क सही नहीं: महाराष्ट्र राजस्थान में भारी अंतर

लोकसेवकों को बचाने के लिए राजस्थान विधानसभा में सोमवार  23.10.2017 को एक बिल लाया गया है। लेकिन इस विवादित बिल पर राजस्थान सरकार को अपनों से लेकर विपक्ष तक हमलों का सामना करना पड़ रहा है।

सदन में बिल को पेश करने वाले राजस्थान के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने तर्क दिया है कि राजस्थान में पेश 'दंड विधियां (राजस्थान संशोधन) अध्यादेश, 2017' महाराष्ट्र में लाए गए बिल की तर्ज पर है। लेकिन गृहमंत्री शायद भूल गए कि महाराष्ट्र में जो बिल लाया गया था उसमें मीडिया की आजादी पर कोई बैन नहीं है। जबकि राजस्थान में जो बिल लाया गया है उसमें दो साल की सजा का प्रावधान है।


वहीं राजस्थान के ​बिल में अभियान स्वीकृ​ति के लिए 180 दिन की समयावधि तय की गई है। जबकि महाराष्ट्र में यह समयावधि मात्र 90 दिन की है।

सरकार के इस विवादित बिल पर सोमवार को विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। सदन से सड़क तक हुए प्रदर्शन के बाद सरकार के रुख में शाम तक कुछ नरमी जरुर देखी गई। राजस्थान सरकार अब बिल पर पुनर्विचार करने की बात कह रही है।

हालांकि विपक्ष का कहना है कि भ्रष्ट लोकसेवकों को बचाने के लिए लाए गए इस बिल को सरकार को वापस लेना पड़ेगा नहीं तो प्रदर्शन जारी रहेंगे। 


सोमवार, 23 अक्तूबर 2017

गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया को घनश्याम तिवाड़ी का पत्र-भाजपा कार्यकर्ता जरूर पढ़ें

घनश्याम तिवाड़ी जी ने गुलाब चन्द कटारिया जी को लिखा तिवाड़ी जी ने 23 अक्टूबर 2017 को रविंद्र मंच,रामनिवास बाग़, जयपुर में हो रहे वरिष्ठ विधायक सम्मान समारोह का बहिष्कार किया है।


पत्र की प्रति संलग्नित है कृपया देखें




आदरणीय श्री गुलाब कटारियाजी


माननीय गृहमंत्री, राजस्थान सरकार




आशा है आप कुशल होंगे।



स्व. सुंदर सिंह भंडारी चैरिटेबल ट्रस्ट, उदयपुर, की ओर से स्व. भैरोंसिंह शेखावत के जन्मदिवस के अवसर पर 23 अक्टूबर 2017 को आयोजित वरिष्ठ विधायक सम्मान समारोह में भारत के उपराष्ट्रपति माननीय वेंकैया नायडूजी के मुख्य आतिथ्य में आपने मुझे एक विधायक के रूप में मेरे कार्यों के लिए सम्मानित करने के लिए आमंत्रित किया था। स्व. सुंदरसिंहजी भंडारी और स्व. भैरोंसिंहजी शेखावत मेरे लिए प्रेरणादायी व्यक्तित्व रहे हैं। इस ट्रस्ट का मैं स्वयं भी सपत्नीक आजीवन सदस्य हूँ।  आपने भी गृहमंत्री के रूप में अत्यंत व्यस्त होने के बावजूद समय निकाल कर कृपापूर्वक स्वयं मुझे दो बार फोन किया। इन सब कारणों से मैंने इस कार्यक्रम में आने के लिए अपनी स्वीकृति आपको दी। मुझे बाद में निमंत्रण पत्र से ज्ञात हुआ कि इस कार्यक्रम की अध्यक्षता के लिए आपने प्रदेश की वर्तमान मुख्यमंत्री को बुला लिया है।



आपको, हमारे प्रदेश की जनता को, और पूरे देश में पार्टी के नेताओं को यह स्पष्ट रूप से विदित है कि वर्तमान मुख्यमंत्री के साथ मेरे कुछ सैद्धांतिक, नैतिक और नीतिगत मतभेद हैं। ये मतभेद आधारभूत हैं इसलिए एक दृष्टि से उनकी अध्यक्षता में हो रहे कार्यक्रम में जाकर सम्मान पत्र प्राप्त किया जाना मेरे लिए शोभादायक नहीं होगा। लेकिन फिर भी मैं कार्यक्रम में भाग ले सकता हूँ क्योंकि मेरा मानना है कि लोकतंत्र में सैद्धांतिक, नैतिक और नीतिगत मतभेद को क़ायम रखते हुए भी हम अपने घोर-विरोधीयों के साथ सामाजिक कार्यक्रमों का मंच साझा कर सकते हैं। यह स्वस्थ लोकतंत्र की परम्परा का निर्वहन है। राजस्थान में सभी राजनीतिक दलों के लोग शुरू से ही इस परम्परा का पालन करते रहे हैं। हमने भी किया है और आगे करेंगे भी। लेकिन, जैसा सभी को ज्ञात भी है, मेरे साथ वर्तमान मुख्यमंत्री का कार्यव्यवहार केवल सैद्धांतिक मतभेदों तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने इसे निजी दुश्मनी में बदल दिया। मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही मुझे और मेरे परिवार को राजसत्ता का दुरुपयोग करते हुए नुक़सान पहुँचाने का काम चालू कर दिया जिसे वे अब भी कर रही हैं। किसी के भी द्वारा किसी के भी साथ ऐसा किया जाना अनुचित है। उनके द्वारा ऐसा किया जाने के बावजूद भी इस कार्यक्रम में मैं आ सकता हूँ। मेरे और मेरे परिवार के ख़िलाफ़ दुश्मनी का इनका भाव और सत्ता का दुरुपयोग भी इस कार्यक्रम में मेरे न आने का कोई बड़ा कारण नहीं है। इनके इस आचरण के बावजूद इनके प्रति कोई दुर्भावना मेरे मन में नहीं है। अपने हृदय में मैं ईश्वर से यही प्रार्थना करता हूँ कि वे इन्हें सद्बुद्धि दे, इनका और इनके परिवार का सदैव कल्याण करें, और ये सदैव सुखी व समृद्ध रहें। मैं एक तपस्वी और ईश्वरनिष्ठ  ब्राह्मण का पुत्र हूँ इसलिए सभी के प्रति कल्याण की यह भावना रखना मेरा कर्तव्य भी है जिसका हर परिस्थिति में निर्वहन करने के लिए मैं सजग और तैयार हूँ।



आपका यह कार्यक्रम संवैधानिक दायित्वों के निर्वहन के लिए जनप्रतिनिधि के सम्मान का कार्यक्रम है। सारा प्रदेश यह जानता है कि भारत के संविधान, सुप्रीम कोर्ट के आदेशों, और लोकतंत्र की भावना की धज्जियाँ उड़ाते हुए राजस्थान में इन मुख्यमंत्री की मनमानी चल रही है। राजस्थान में विधानसभा की बैठकें केवल मजबूरी में बुलाई जाती हैं, बिल सरकुलेशन से पास करवाए जाते हैं, सम्बंधित विभाग के मंत्रियों तक को नहीं पता होता कि उनके विभाग का क्या नया क़ानून विधानसभा में लाया जाने वाला है। अपनी क़ाबलियत की बजाय इनकी दया पर बने कुछ मंत्री प्रदेश की जनता के हितों के लिए नेता के रूप में काम करने की बजाय इनके निजी कर्मचारी के रूप में काम कर रहे हैं। क़दम-क़दम पर अपनी ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं को अपमानित किया जा रहा है। प्रदेश में जनता के द्वारा, जनता के हितों के लिए बनाई गयी सरकार का इनके और इनके सिपहसालारों द्वारा निजी हित के लिए खुलेआम इस्तेमाल हो रहा है। पूरा प्रदेश आक्रोशित है, जनता की कहीं कोई सुनवाई नहीं है, और जनता महसूस कर रही है कि उसके साथ बहुत बड़ा धोखा किया जा रहा है। जिस मुख्यमंत्री के कार्यकाल में किसानों की ज़मीन हड़पने के लिए भ्रष्ट कोरपोरेट जगत के साथ मिलीभगत करके अजगर जैसा SIR विधेयक लाया गया और जहाँ लोकसेवकों — जिसकी परिभाषा में मुख्यमंत्री, मंत्री, तथा अधिकारी आते हैं —  के भ्रष्टाचार को कवच पहनाने के लिए एक अन्धकारमय क़ानून आ रहा है — उस मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में आप संवैधानिक दायित्वों के निर्वहन के लिए जनप्रतिनिधि के सम्मान का कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं! — मुँह में राम बग़ल में छुरी का इससे स्पष्ट उदाहरण और क्या होगा?



इस कार्यक्रम में आने मैं मैं असमर्थ हूँ उसके पीछे कारण यह है कि इस मुख्यमंत्री की न तो राज्य की जनता के प्रति कोई निष्ठा है न ही लोकतांत्रिक और संवैधानिक जीवन मूल्यों के प्रति। न तो इन्हें स्व. सुंदरसिंहजी भंडारी और स्व. भैरोंसिंह शेखावत के जीवन-प्रेरणा की ही कोई परवाह है न ही प्रदेश की भाजपा के कार्यकर्ताओं की कोई परवाह। क्या आप भूल गए कि स्व. भैरोंसिंह शेखावत ने जीवन के अंतिम दिनों में इनके बारे में क्या कहा था? क्या आप भूल गए कि जिन श्री जसवंतसिंहजी जसोल का नाम आपने मेरे साथ स्वागत किए जाने वाले अन्य जनप्रतिनिधियों में एक रखा है, उनके कोमा में जानेके पहले उनके साथ इस मुख्यमंत्री का व्यवहार कैसा था? सार्वजनिक-राजनीतिक जीवन में इनका आचरण यदि सुंदरसिंह भंडारी, भैरोंसिंह शेखावत, अटलबिहारी वाजपेयी और दीनदयालजी की पार्टी के सिद्धांतों और दर्शन के ज़रा भी अनुरूप होता तो मैं इस कार्यक्रम में आता। और सिद्धांतों और दर्शन को भी छोड़िए — बड़ी बातें हैं, मैं यहाँ तक तैयार हूँ कि प्रदेश की जनता के रोज़मर्रा के जीवन की बेहतरी के लिए भी इनका काम अगर ठीक होता तो भी मैं इनकी अध्यक्षता में वहाँ उपस्थित होकर सम्मान प्राप्त करता। लेकिन उपरोक्त किसी भी सार्वजनिक-राजनीति के मापदंड पर ये मुख्यमंत्री क़ाबिल नहीं उतर पायी हैं। इसलिए आपके द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में आने के लिए मैं अपनी अक्षमता प्रकट कर रहा हूँ। आशा है इसके लिए आप मुझे क्षमा करेंगे।



मेरे इस पत्र को आप मेरी ओर से एक राजनीतिक प्रोटेस्ट, राजनीतिक प्रतिरोध, के रूप में लें। इस पत्र के माध्यम से मेरा सबसे प्रमुख प्रतिरोध उस बिल से है जिसे गृहमंत्री के रूप में आप अगले कुछ दिनों में विधानसभा में प्रस्तुत करने वाले हैं। आप एक ऐसा क़ानून बनाने वाले हैं — जो राजस्थान को खुले आम लूटने वाले मुख्यमंत्री, मंत्री और अधिकारियों की लूट को कवच और कुंडल पहना देगा। इस बिल के प्रस्तुत होने के बाद राजस्थान के इतिहास में यह दिन लोकतंत्र के अंधकार दिवस के रूप में याद रखा जाएगा। चूँकि यह बिल आपके विभाग से सम्बंधित है, इस पत्र के माध्यम से मेरा आपसे निवेदन है कि आप मंत्रिमंडल में इस पर पुनर्विचार करें और इसे विधानसभा में नहीं लाया जाए। अगर लाया गया तो जिस प्रकार मैंने आपातकाल का विरोध किया था उसी प्रकार प्रदेश में लोकतंत्र का गला घोंटने वाले इस बिल का भी विरोध करूँगा।



इस पत्र के माध्यम से मैं यह भी आपके ध्यान में लाना चाहता हूँ कि इतिहास इस बात का साक्षी है कि समय बदलता है और आज के दम्भी, स्वेच्छाचारी, और क्रूर मानसिकता के शासक कल दया की भीख माँगते नज़र आते हैं। जितना मुझमें बल है उतना मैं मेरे और मेरे परिवार की मानव-गरिमा की रक्षा के लिए, प्रदेश की जनता के हितों के लिए, और राजनीति में श्रेष्ठ सिद्धांतों और आदर्शों की रक्षा और स्थापना के लिए अपनी लड़ाई लड़ता रहूँगा। बाक़ी मैं ईश्वर की सत्ता में विश्वास करता हूँ, मेरा भरोसा और मेरी आत्यन्तिक निष्ठा भगवान और उनके शासन में है। मैं कुछ कमज़ोर सत्तालोलुप नेताओं के जैसे राजसत्ता के मद और निजी स्वार्थ में डूबी इस क्षुद्र मानसिकता की सरकार की नहीं ईश्वर के साम्राज्य की प्रजा हूँ। उस मेरे शासक से मैं प्रार्थना करता हूँ कि मेरे और मेरे परिवार के साथ अपनी राजनीतिक सत्ता का दुरुपयोग करते हुए जिस प्रकार का वैमनस्यता और दुर्भावनापूर्ण व्यवहार ये कर रही हैं उसके लिए इन्हें क्षमा करे और इन पर कृपा दृष्टि बनाए रखे। लेकिन प्रदेश की सात करोड़ जनता के भाग्य और भविष्य के साथ जो जिस प्रकार का खिलवाड़ इन्होंने और इनके साथ जुड़े चंद स्वार्थी तत्वों नें किया है उसके लिए मैं प्रदेश की जनता की ओर से मैं ईश्वर से न्याय की माँग करता हूँ और प्रार्थना करता हूँ कि आने वाले समय में वे ऐसा विधान करें कि भविष्य में कोई व्यक्ति सत्ता में बैठ कर इनके कार्यों का अनुसरण करने की सोच भी अपने मन में ना लाए।    



आपके समारोह के लिए शुभकामनाओं सहित।




घनश्याम तिवाड़ी

रेलगाड़ी में लड़की के सामने गंदी हरकत: लड़की ने विडीयो बना पकड़वाया

मुंबई जीआरपी ने सोमवार 23.10.2017 को एक 30 वर्षीय दिहाड़ी मजदूर को गिरफ्तार किया। गिरफ्तार किये गए इस शख्स पर आरोप था कि ये लोकल ट्रेन में एक लड़की को छेड़ रहा था और फिर उसके सामने ही  गंदी हरकत करने लगा।

 आरोपी ने इस शर्मनाक घटना को शनिवार 21 अक्टूबर के दिन अंजाम दिया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पीड़िता लड़की शनिवार को अपने परिवार के साथ मुंबई लोकल से नालासोपारा से सीएएसटी टर्मिनस की तरफ जा रही थी। इसी दौरान वह लड़का लड़की को पहले तो घूरता रहा। लड़की उसे नजरअंदाज करती रही। थोड़ी देर बाद आरोपी शख्स लड़की के सामने ही हस्मैथुन करने लगा। लड़की ने भी आरोपी को सबक सिखाने के लिए अपने मोबाईल से उसकी इस घटिया हरकत का वीडियो बना लिया। इस वीडियो को लड़की ने छात्रपति शिवाजी टर्मिनस स्टेशन की रेलवे पुलिस को सौंपते हुए आरोपी के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई।

इस वीडियो के आधार पर सीएसटी की जीआरपी ने आसपास के तमाम रेलवे स्टेशनों की जीआरपी टीम से संपर्क किया। सभी रेलवे स्टेशनों पर इस वीडियो को सर्कुलेट कर दिया गया ताकि स्टेशन और उसके आसपास के इलाकों में इसकी तलाश की जा सके। जीआरपी की मेहनत रंग लाई और घटना के 48 घंटों के अंदर आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। आरोपी का नाम कृपा बोधेबा पटेल है। पुलिस ने आरोपी पर आईपीसी की धारा 354 और 509 के तहत मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया है।


विवादित विधेयक के विरोध में कांग्रेस का राजभवन तक मार्च: हिरासत में लिए गए

राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार ने आज ( सोमवार, 23 अक्टूबर) विधानसभा में उस विवादित बिल को पेश कर दिया है जिसके तहत जजों, मजिस्ट्रेटों और अन्य सरकारी अधिकारियों, सेवकों को सुरक्षा कवच प्रदान किया जाएगा और सरकार की मंजूरी के बिना इनके खिलाफ न तो कोई जांच होगी न ही मीडिया में उनके खिलाफ कुछ छापा जा सकेगा। यह अपराध दंड संहिता (राजस्थान संशोधन) बिल हाल ही में लाए गए अध्यादेश का स्थान लेगी।

 बिल पेश होते ही मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने इसका पुरजोर विरोध किया, सदन में हंगामा किया और विधान सभा से वॉक आउट किया। इसके बाद हंगामा बढ़ता देख स्पीकर ने सदन की कार्यवाही कल तक के लिए स्थगित कर दी।

इसके बाद कांग्रेस नेताओं ने काली पट्टी बांधकर प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट की अगुवाई में अध्यादेश के खिलाफ जयपुर में राजभवन तक शांतिपूर्ण मार्च किया। इस दौरान कई नेताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। सचिन पायलट ने आरोप लगाया कि राज्य की बीजेपी की वसुंधरा राजे सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान हुए करप्शन पर पर्दा डालने के लिए ही इस तरह का तुगलकी अध्यादेश लाया है। उन्होंने कहा कि यह बिल भ्रष्टाचार पर ‘मीडिया का गला घोंटने वाला’ है। हम इसके खिलाफ राष्ट्रपति को भी एक ज्ञापन सौंपेंगे।


रणजीत सिंह कंग Retd.जज के निधन पर पाठ भोग और अंतिम अरदास 24 अक्टूबर को होगी


सूरतगढ़। सेवानिवृत्त सेशन न्यायाधीश रणजीत सिंह कंग के निधन पर गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा में 24 अक्टूबर को सुबह 10:00 बजे सहज पाठ का भोग एवं अंतिम अरदास की जाएगी।

लोकसेवकों पर मुकदमे से पूर्व सरकारी मंजूरी विधेयक पर विधानसभा में हंगामा

 राजस्थान विधानसभा में आपराधिक कानून (राजस्थान संशोधन) अध्यादेश पेश किया गया। इस कानून के खिलाफ कांग्रेस के नेताओं ने राज्य विधानसभा के बाहर विरोध प्रदर्शन किया।राजस्थान विधानसभा का संक्षिप्त सत्र आज से शुरू हुआ है।  तीन से चार दिन चलने वाले इस सत्र में सरकारी अधिकारियों,जजों एवं मजिस्ट्रेटों के खिलाफ सरकार की मंजूरी लिए बिना जांच नहीं करने संबंधी विधेयक पारित कराया जाएगा।कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी विधायक सरकारी अधिकारियों के खिलाफ सरकार की मंजूरी लिए बना जांच नहीं कराए जाने विधेयक पर देशभर के मीडिया की निगाहें  राजस्थान विधानसभा पर लगी हुई हैं। राजस्थान विधानसभा का सत्र प्रारंभ होते रदासत। जिसके बाद ​विपक्षी कांग्रेस विधायकों ने बिल का विरोध करते हुए सदन से वॉकआउट कर दिया है।

लोकसेवकों को बचाने के लिए लाए जा रहे बिल के विरोध में भाजपा ​के वरिष्ठ नेता और विधायक घनश्याम तिवाड़ी ने भी वॉक आउट किया है। हालांकि शोकाभिव्यक्ति के दौरान ये लोग सदन में मौजूद रहे। इससे पूर्व कांग्रेस के विधायक लोकसेवकों को बचाने ​के लिए लाए जा रहे बिल के विरोध में मुंह पर काली पट्टी बांधकर विधानसभा पहुंचे है। कांग्रेस विधायकों का कहना है यह एक काला कानून है जिसे किसी भी हाल में पास नहीं होने दिया जाएगा।

 मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने विधानसभा सत्र प्रारंभ होने से पूर्व भाजपा विधायक दल की बैठक ली है। जिसमें उन्होंने कहा है कि विपक्ष के हमलों का जोरदार जवाब दिया जाए। इससे पहले विधानसभा पहुंचे सरकार के कई मंत्रियों ने पुन: दोहराया कि यह बिल भ्रष्ट लोकसेवकों को बचाने के लिए नहीं अपितु ईमानदार लोकसेवकों को झूठे मुकदमों में फंसने से रोकने के लिए है। वसुंधरा राजे सरकार द्वारा नए बिल लाए जाने के विरोध में आवाज मुखर हो रही है। विपक्षी दलों के साथ-साथ सत्ताधारी दल के विधायक भी बिल का विरोध कर रहे हैं।


बिल का विरोध करते विधायक।

एक दिन पहले जहां घनश्याम तिवाड़ी ने इस बिल का विरोध करते हुए सम्मान लेने से इनकार कर दिया था, तो वहीं आज इस बिल के विरोध में भाजपा के पूर्व मंत्री और वरिष्ठ विधायक नरपत सिंह राजवी ने आवाज उठाई है।

उन्होंने कहा कि भ्रष्ट अधिकारियों को 6 महीने नहीं, बल्कि 6 दिन भी नहीं मिलनी चाहिए। नरपत सिंह ने बताया कि वो इसका विरोध भाजपा विधायक दल की बैठक में करेंगे। राजवी ने उदहारण देते हुए कहा कि आज ही एक अधिकारी की 100 करोड़ की संपत्ति सामने आई है। अगर ये विधेयक लागू हो जाता है, तो छह महीने तक उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो सकेगी। वहीं कांग्रेस के विधायक बिल के विरोध में मुंह में काली पट्टी बांधकर विधानसभा पहुंचे।



लोकसेवकों पर मुकदमे से पूर्व सरकार की मंजूरी विधेयक: उच्च न्यायालय में रिट


लोकसेवकों पर मुकदमे से पहले राज्य सरकार की मंजूरी लेने के विवादित अध्यादेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। संशोधन अधिवक्ता भगवत गौड़ ने इस अध्यादेश को चुनौती दी है। अधिवक्ता एके जैन के जरिये याचिका दायर की गई है।

कितने ईमानदार लोकसेवकों की छवि धूमिल हुई जिससे विधेयक लाना पड़ा? राजस्थान सरकार बताए।


- करणीदानसिंह राजपूत -

राजस्थान की भारतीय जनता पार्टी की सरकार 23 अक्टूबर को एक विधायक सदन में पेश करेगी। इस विधेयक के अनुसार भ्रष्टाचार से संबंधित कोई भी मामला पत्रकार नाम सहित तब तक नहीं छाप सकेगा जब तक सरकार अनुमति नहीं दे देती। भ्रष्टाचार से संबंधित लोक सेवकों के विरुद्ध कोई मामला सीधा पुलिस में और अदालत मेंभी दायर नहीं किया जा सकेगा। उससे पहले सरकार की अनुमति की जरूरत होगी। यदि सरकार 180 दिनों में अनुमति नहीं देती तब मामले को अदालत के अंदर पेश किया जा सकेगा। इसलिए यह भी माना जा रहा है कि सरकार जिसको चाहेगी  फंसाएगी और जिसको छूट देना चाहेगी उस पर मामला दायर करने की अनुमति नहीं देगी। वैसे भी 180 दिन के अंदर सबूतों की नष्ट कर दिए जाने का कहा जा रहा है।

 पूरे देश का मीडिया इसके विरोध में खड़ा है और लोग भी खड़े हैं।

यह तो एक प्रकार से भ्रष्टाचारियों का बचाव और जनता वह मीडिया का गला घोटने वाला मामला है।

सोशल मीडिया में भी नाम पहचान का कोई  प्रकाशन नहीं कर सकते हैं। अगर छापा तो 2 साल कैद की सजा होगी।

एक तरह से यह तो तानाशाही की ओर सरकार बढ़ रही है। सरकार के पास 200 के सदन में 163 भारतीय जनता पार्टी का बहुमत है इसलिए सरकार चाहे जो कर सकती है मगर इसका नतीजा आने वाले समय में सरकार को पदच्युत कर सकता है। सरकार ने यह सारा तामझाम भ्रष्टाचार के मामले में अपनी बदनामी को रोकने के लिए किया है और इसलिए भी किया है कि चुनाव के दिनों में सरकार के ऊपर कोई लोकसेवक का मामला पेश करके लांछन नहीं लगाया जा सकता।

 देश की जागरूक जनता इस प्रकार के कानूनी बदलाव और अंकुश से बेचैन दिखाई दे रही है। निश्चित रूप से राष्ट्रवादी कहलाने वाली भारतीय जनता पार्टी का यह रवैया सही नहीं कहा जा सकता है । 

सरकार  का कहना है कि ईमानदार लोकसेवकों को झूठे मामलों की बदनामी से बचाने के लिए यह किया जा रहा है।

इससे पहले सरकार को बताना चाहिए था कि कितने लोक सेवकों पर झूठे मामले दायर कर परेशान किया गया?

कितने  लोकसेवकों पर मुकदमों में सजा हुई? सरकार ने कितने मामलों में मुकदमा चलाने की स्वीकृति नहीं दी और क्यों नहीं दी? असल में सरकार को मामले पकड़ने चाहिए लेकिन उसके अधिकारी बिना काम वेतन लेते हैं।जनता भ्रष्टाचार से लड़ती है। अब जनता पर रोक लगाने की यह तैयारी है।


इस विधेयक को जाने क्या है इसमें।


‌आपराधिक कानून (राजस्थान संशोधन) अध्यादेश, 2017 के अनुसार ड्यूटी के दौरान किसी जज या किसी भी सरकारी कर्मी की कार्रवाई के खिलाफ कोर्ट के माध्यम से भी प्राथमिकी दर्ज नहीं कराई जा सकती। इसके लिए सरकार की स्वीकृति अनिवार्य होगी। हालांकि यदि सरकार स्वीकृति नहीं देती है तब 180 दिन के बाद कोर्ट के माध्यम से प्राथमिकी दर्ज कराई जा सकती है।


अध्यादेश के प्रावधानों में यह भी कहा गया है कि इस तरह के किसी भी सरकारी कर्मी, जज या अधिकारी का नाम या कोई अन्य पहचान तब तक प्रेस रिपोर्ट में नहीं दे सकते, जब तक सरकार इसकी अनुमति न दे। इसका उल्लंघन करने पर दो वर्ष की सजा का भी प्रावधान किया गया है।


पीयूसीएल ने किया विरोध

इस पर पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) ने ऐतराज जताया है। पीयूसीएल अध्यक्ष कविता श्रीवास्तव ने बताया कि इसके विरोध में 21 अक्टूबर को प्रेस सम्मेलन किया जाएगा।


पीयूसीएल की तरफ से जारी बयान में कहा गया है,  ‘PUCL स्तब्ध है की वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली राजस्थान सरकार अपने गलत कारनामो को ढकने के लिए अब संवैधानिक व उच्चतम न्यायलय के घोषित कानून के विरुद्ध जाकर इस तरह के संशोधन लायी है की लोक सेवकों के अपराधों के विरुद्ध  न कोई पुलिस FIR दर्ज़ कर सकती, ना जांच कर सकेगी, न मजिस्ट्रेट अनुशंधान आदेशित कर सकेगा न खुद कर पायेगा, जब तक सरकार आज्ञा नहीं देती। साथ ही इसके बारे में कोई लिख नहीं सकता, छाप नहीं सकता, जब तक आदेशित न हो।


रविवार, 22 अक्तूबर 2017

रणजीत सिंह कंग Retd. जज की स्मृति में गुरु द्वारा श्री गुरु सिंघसभा सूरतगढ़ में कमरे का निर्माण होगा



सूरतगढ़ 22.10.2017.

स.रणजीतसिंह कंग सेवा निवृत्त सेशन जज की स्मृति में गुरु द्वारा श्री गुरु सिंघसभा सूरतगढ़ में एक कमरे का निर्माण किया जाएगा। स्व.कंग के पुत्र इस कमरे  निर्माण कराएंगे।

रणजीत सिंह कंग ने अपनी पत्नी छविन्द्रकौर की स्मृति में  यहां कमरे का निर्माण कराया था। अब उसी कमरे के चिपते ही रणजीत सिंह कंग की स्मृति में कमरे का निर्माण होगा।

गुरु द्वारा में सहज पाठ हो रहा है जिसका भोग 24 अक्टूबर को व अंतिम अरदास होगी।

वरिष्ठ वकील एवं पूर्व विधायक सरदार हरचंद सिंह सिद्धू के साले सरदार रणजीत सिंह कंग का स्वर्गवास ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर में हो गया था।

उनकी उम्र करीब 66 वर्ष थी। (कंग की बहिन निर्मल कौर का विवाह स. हरचंद सिंह सिद्धू से हुआ। वे करीब सात आठ वर्षों से सिडनी में अपने पुत्र के साथ निवास कर रहे थे।

स्व.कंग मूलरूप से 14 पीएस(रायसिंहनगर) के थे और सूरतगढ़ में बसने के बाद वर्षों तक यहां वकालत की। स्व.कंग राजस्थान न्यायिक सेवा में भी रहे और सेशन न्यायाधीश के पद से स्वयं ने सेवा निवृत्ति प्राप्त की। न्यायिक सेवा में वे अजमेर,बारां, प्रतापगढ़, जोधपुर में रहे थे। वे बहुत मिलनसार थे।

कंग के निधन के बाद लोग सूरतगढ में हरचंद सिंह सिद्धू एवं निर्मल कौर के पास शोक व्यक्त करने को पहुंचने लगे। इनके निवास सिद्धु सदन पर बैठक रखी हुई है।

जनसंघ काल से जुड़े भाजपा के वरिष्ठ सदस्यों का सम्मान


 सूरतगढ 21.10.2017.

 भारतीय जनता पार्टी की ओर से भारतीय जनसंघ की स्थापना दिवस 21 अक्टूबर को यहां अत्यंत वरिष्ठ भाजपा सदस्यों का सम्मान किया गया जो जनसंघ काल से जुड़े हुए हैं।

महादेव प्रसाद पेड़ीवाल,प्रयाग चंद्र अग्रवाल, पत्रकार करणीदानसिंह राजपूत,  श्याम कुमार मोदी, बलदेव राज,प्रभु दयाल मनचंदा, मुरलीधर उपाध्याय,स.गुरनाम सिंह कम्बोज, एडवोकेट नोटरी एन.डी.सेतिया, डॉक्टर टी.एल.अरोड़ा और नंदकिशोर सोमानी का सम्मान किया गया।

भारतीय जनता पार्टी के नगर मंडल अध्यक्ष महेश कुमार सेखसरिया, महामंत्री सुभाष चंद्र गुप्ता, नगरपालिका के उपाध्यक्ष पवन कुमार ओझा, पूर्व पार्षद सुनील कुमार छाबड़ा एवं भाजपा युवा नेता अमित भादू आदि ने वरिष्ठ कार्यकर्ताओं का सम्मान किया।

शनिवार, 21 अक्तूबर 2017

राजस्थान के अधिकारियों कर्मचारियों जजों पर बिना स्वीकृति मुकदमा नहीं: नाम प्रकाशन भी नहीं

आपराधिक कानून (राजस्थान संशोधन) अध्यादेश, 2017 के अनुसार ड्यूटी के दौरान किसी जज या किसी भी सरकारी कर्मी की कार्रवाई के खिलाफ कोर्ट के माध्यम से भी प्राथमिकी दर्ज नहीं कराई जा सकती। इसके लिए सरकार की स्वीकृति अनिवार्य होगी। हालांकि यदि सरकार स्वीकृति नहीं देती है तब 180 दिन के बाद कोर्ट के माध्यम से प्राथमिकी दर्ज कराई जा सकती है।


अध्यादेश के प्रावधानों में यह भी कहा गया है कि इस तरह के किसी भी सरकारी कर्मी, जज या अधिकारी का नाम या कोई अन्य पहचान तब तक प्रेस रिपोर्ट में नहीं दे सकते, जब तक सरकार इसकी अनुमति न दे। इसका उल्लंघन करने पर दो वर्ष की सजा का भी प्रावधान किया गया है।


पीयूसीएल ने किया विरोध


इस पर पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) ने ऐतराज जताया है। पीयूसीएल अध्यक्ष कविता श्रीवास्तव ने बताया कि इसके विरोध में 21 अक्टूबर को प्रेस सम्मेलन किया जाएगा।


पीयूसीएल की तरफ से जारी बयान में कहा गया है,  ‘PUCL स्तब्ध है की वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली राजस्थान सरकार अपने गलत कारनामो को ढकने के लिए अब संवैधानिक व उच्चतम न्यायलय के घोषित कानून के विरुद्ध जाकर इस तरह के संशोधन लायी है की लोक सेवकों के अपराधों के विरुद्ध  न कोई पुलिस FIR दर्ज़ कर सकती, ना जांच कर सकेगी, न मजिस्ट्रेट अनुशंधान आदेशित कर सकेगा न खुद कर पायेगा, जब तक सरकार आज्ञा नहीं देती। साथ ही इसके बारे में कोई लिख नहीं सकता, छाप नहीं सकता, जब तक आदेशित न हो।


शुक्रवार, 20 अक्तूबर 2017

राजस्थान के मेड़तारोड स्टेशन पर कश्मीर के 3 आतंकी पकड़े गए

नागौर 20अक्टूबर 2017.

मेड़तारोड में जीआरपी और आरपीएफ ने कुलगाम ( जम्मू कश्मीर) पुलिस अधीक्षक की सूचना पर जम्मूतवी एक्सप्रेस में 302, 307 में वांछित अपराधियों के होने की सूचना पर पकड़ा है।

 इन पर जम्मू कश्मीर में पुलिस जीप पर बम फैंकने और एक पुलिस अधिकारी की हत्या के आरोप हैं।

मेड़तारोड़ जीआरपी इंजार्च चेना राम चैधरी ने बताया कि कुलगाम पुलिस अधीक्षक ने सूचना दी कि अहमदाबाद से जम्मूतवी जा रही एक्सप्रेस ट्रेन में तीन जने यात्रा कर रहे हैं जो कि जम्मू कश्मीर में पुलिस अधिकारी की हत्या व पुलिस जीप को बम से उड़ाने के मामले में वांछित हैं।

इस सूचना पर आरपीएफ और जीआरपी की एक संयुक्त टीम गठित की गई। टीम ने संयुक्त रुप से कार्यवाही करते हुए जम्मू जा रही ट्रेन में इन तीन संदिग्धों को पकड़ा। इनमें सोहेल मोहम्मद, गुलाम मोहम्मद और मोहम्मद पोरा शामिल हैैं। इन तीनो की उम्र 25 वर्ष से कम है।


गुरुवार, 19 अक्तूबर 2017

गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा में जन्मदिवस पर मेरी अरदास करणी दान सिंह राजपूत




 दीपावली के दिन 19 अक्टूबर 2017 को 73 वें वर्ष में प्रवेश पर बहुत ही मंगल शुभ वक्त आया और मैं गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा सूरतगढ़ में पहुंचा।

गुरु ग्रंथ साहिब के समक्ष सर नवाया और अरदास की।

'मुझे सत्य लिखने के लिए शक्ति प्रदान करते रहें।'

श्रीगंगानगर के आदित्य नर्सिंग होम में 24 अप्रैल 2017 को मेरा एक ऑपरेशन हुआ। 25 अप्रैल को  चिकित्सालय के कक्ष 5 में विश्राम पर था। मेरे सामने 10 में गुरु सरबंस दानी गुरु गोविंद सिंह की तस्वीर लगी हुई थी। मैं एकटक उस ओर निहार रहा था। मुझे आश्चर्यजनक एहसास हुआ गुरु गोविंद सिंह कह रहे थे' तुझे अभी लोगों की और सेवा करनी है।'

मैंने सिख गुरुओं का इतिहास पढ़ा जो मुझे ग्रामोत्थान विद्यापीठ से भेंट में मिला था। शिक्षा संत स्वामी केशवानंद जी के द्वारा वह लिखवाया गया था। गुरुओं का इतिहास पढ़ते समय कुर्बानियां मुझे जोश दिला रही थी और उन कुर्बानियों को पढ़ते-पढ़ते नयनों में नीर भी झरता रहा था। करीब 1 माह में मैंने वह इतिहास पूर्ण किया। ऐसी कुर्बानियां कोई नहीं दे सकता जो गुरुओं ने मानव रक्षा के लिए  दी।  ये कुर्बानियां हिंदू धर्म की रक्षा के लिए दी गई थी।


मुझे पीड़ितों दुखियारों के लिए  लिखने की प्रेरणा मिलती रहेगी। मेरे सिर पर गुरुओं का वरदहस्त रहेगा। यही मेरी आस्था है कि मैं जो लिखूं वह लोगों के काम आए। 

दिनांक 19 अक्टूबर 2017.

करणीदानसिंह राजपूत,

सूरतगढ़, राजस्थान, भारत (इंडिया)

 संपर्क 91 9414381356. 

रावला तहसील घोषित :अनूपगढ़ जिला बनने का दबाव बढ़ा-करणीदानसिंह राजपूत -


 राजस्थान सरकार ने 18 अक्टूबर 2017 को रावला मंडी को राजस्व तहसील घोषित करने की अधिसूचना जारी कर दी। राजस्थान सरकार ने इलाके की कई सालों की मांग को दीपावली के अवसर पर पूरा कर अनूपगढ़ क्षेत्र के सीमा क्षेत्र निवासियों को यह उपहार दिया है। रावला मंडी के राजस्व तहसील घोषित होने के बाद अनूपगढ़ को जिला बनाने की संभावनाएं प्रबल हो गई है। इससे अनूपगढ़ को जिला बनाए जाने के लिए दबाव भी बढा है।  अनूपगढ़ को जिला बनाने की मांग को लेकर अनूपगढ इलाके के सभी प्रकार के संगठन पिछले कई सालों से लगातार धरना प्रदर्शन करके आंदोलन खड़ा किए हुए हैं। यह आंदोलन अभी भी जारी है। वर्तमान स्थिति में देखें तो रावला मंडी तहसील घोषित होने के बाद अनूपगढ़ को जिला बनाने की मांग में रावला मंडी घड़साना अनूपगढ़ और श्री बिजय नगर तहसीलें शामिल हैं।

सूरतगढ़ को जिला बनाए जाने की मांग भी पिछले 40 सालों से चल रही है। सूरतगढ़ उपखंड में अभी केवल सूरतगढ़ राजस्व तहसील और राजियासर व जैतसर उप तहसीलें हैं। राजस्थान सरकार यदि अनूपगढ़ को जिला बनाने की घोषणा करती है तो श्री गंगानगर जिले के पुनर्गठन में संभव है श्री बिजय नगर तहसील सूरतगढ़ में शामिल करके सूरतगढ़ को भी जिला बना दिया जाए। फिलहाल रावलामंडी को अनूपगढ़ को जिला बनाने की मांग में दबाव बढ़ा है। अनूपगढ़ पाक सीमा के अत्यंत नजदीकी कस्बा है इसलिए संभव है जिला मुख्यालय बनाने पर संकट बना रह सकता है। सीमा क्षेत्र के अत्यधिक नजदीक जिला मुख्यालय बनाने की घोषणा होने में अवरोध है मगर राजनीतिक दबाव से सब कुछ संभव हो सकता है।



लेखन एवं पत्रकारिता के साथ मेरा 73 वें वर्ष में आनन्ददायी प्रवेश-करणीदानसिंह राजपूत:




अपने मन​ की बात


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मेरे जन्मदिन की तिथि 19 अक्टूबर इस बार दीपावली के हर्षोल्लास​ पर्व दिवस पर है जिसे संपूर्ण भारत स्वच्छता और प्रकाश के पर्व रूप में क्षेत्रीय परंपराओं से उत्साह से मनाता है। हर्ष और उत्साह हमारे मानव जीवन को जीने का आदर्श आधार है। मेरे जीवन को हर्ष और उत्साह आपके सहयोग से मिलता रहा है और आगे भविष्य में भी निर्विघ्न मिलता रहेगा। यह सहज रूप में मैं आशा करता हूं। मैं इसके लिए आपका आभारी हूं और आगे भी रहूंगा। मेरी सोच समझ और लेखन में आपकी आलोचना समालोचना से सदा प्रकाश रहेगा। मुझे यह पक्का विश्वास है।

मेरे पत्रकारिता एवं लेखन के बावन वर्षों के  आनन्ददायी अनुभवों व महान लेखकों पत्रकारों की रचनाओं को पढ़ते और उनसे मिलती रही प्रेरणा से मेरे जीवन के बहतर वर्ष पूर्ण हुए एवं 19 अक्टूबर 2017 को तिहेतरवें वर्ष में प्रवेश की सुखद अनुभूति। पत्रकारिता एवं लेखन में नये आने वाले साथी भी अनेक कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका प्रदान करते हैं और मैंने बेहिचक उन्हें भी आत्मसात किया है। पत्रकारिता तो सदा ही चुनौतीपूर्ण रही है,चाहे कोई युग रहा हो व किसी की भी सत्ता रही हो।

मैं अपनी बात कह रहा था।


सीमा क्षेत्र का छोटा सा गांव जो अब अच्छा कस्बा बन गया है अनूपगढ़ जिसमें मेरा जन्म हुआ। माता पिता हीरा रतन ने और परिवार जनों ने वह दिया जिसके लिए कह सकता हूं कि मेरी माँ बहुत समझदार थी और पिता ने संषर्घ पथ पर चलने की सीख दी।

जयपुर के साप्ताहिक ज्वाला में मेरा लेख पहली बार  15 जुलाई 1965 को छपा। 'जल: जीवन और स्वास्थ्य कार्यकर्ता दाता' पहला लेख जीवन विज्ञान पर था।

सन् 1965 में दैनिक वीर अर्जुन नई दिल्ली में खूब छपा और सरिता ग्रुप जो बड़ा ग्रुप आज भी है उसमें छपने का गौरव मिला।हिन्दी की करीब करीब हर पत्रिका में छपने का इतिहास बना।

धर्मयुग और साप्ताहिक हिन्दुस्तान में छपना गौरव समझा जाता था। दोनों में भी कई बार छपा।

छात्र जीवन में वाचनालय में दिनमान पढ़ता था तब सोचा करता था कि इसके लेखक क्या खाते हैं कि इतना लिखते हैं। वह दिन भी आए जब दिनमान में भी लेख खूब छपे।


सन् 1974 में प्राणघातक हमला हुआ। राजस्थान की विधानसभा में कामरोको प्रस्ताव 20 विधायकों के हस्ताक्षरों से पेश हुआ। 48 विधायक बोले और फिर संपूर्ण सदन ही खड़ा हो गया था। मुख्यमंत्री को खड़े होकर सदन को शांत करना पड़ा था। राजस्थान विधानसभा की प्रतिदिन की कार्यवाही उन दिनों छपती थी। मेरे पास वह एक प्रति है। सात दिनों तक यह हंगामा किसी न किसी रूप में होता रहा था। बीबीसी,रेडियो मास्को, वायस ऑफ अमेरिका सहित अनेक रेडियो ने दुनिया भर में वह घटना प्रसारित की। देश के करीब करीब हर हिन्दी अग्रेजी अखबार में संपादकीय छपे।

आरएसएस का पांचजन्य,वामपंथी विचारधारा और जवाहर लाल नेहरू के मित्र आर.के.करंजिया का ब्लिट्ज,कांग्रेसी टच का करंट और समाजवादी विचार धारा के जॉर्ज फरनान्डीज के 'प्रतिपक्ष 'में 1974-75 में खूब छपा। प्रतिपक्ष साप्ताहिक था जिसने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की नींद हराम करके रखदी थी और बाद में तो इस पर आपातकाल में प्रतिबंध लग गया था।

 आपातकाल  1975 अत्याचार का काल था जिसमें मेरा साप्ताहिक भारत जन भी सरकारी कोपभाजन का शिकार बना। पहले सेंसर लगाया गया। सरकार की अनुमति के बिना कोई न्यूज छप नहीं सकती थी। विज्ञापन रोक दिए गए। अखबार की फाइल पेश करने के लिए मुझे श्रीगंगानगर बुलाया गया और  30 जुलाई 1975 को वहां गिरफ्तार कर लिया गया। आरोप लगाया गया कि पब्लिक पार्क में इंदिरा गांधी के विरोध में लोगों को भड़का रहा था। एक वर्ष की सजा भी सुनाई गई। सवा चार माह तक जेल मे बिताए और उसके बाद एक संदेश मिला बाहर कार्य करने का। उस संदेश के  मिलने पर 3 दिसम्बर 1975 को जेल से बाहर आया। आपातकाल में बहुत कुछ भोगा। मेरी अनुपस्थिति में छोटी बहन,पिता और नानी को क्षय रोग ने ग्रस लिया। इलाज तो हुआ वे ठीक भी हुए लेकिन वह काल बड़ा संघर्षपूर्ण रहा। परिवार ने कितनी ही पीड़ाएं दुख दर्द भोगे मगर यह अनुभव राजपूती शान के अनुरूप था।

गरीबों व पिछड़े लोगों व ग्रामों आदि पर लिखने की एक ललक थी कि दैनिक पत्रों में लिखा जाए तब 1969 में सरकारी पक्की नौकरी छोड़ कर लेखन के साथ पत्रकारिता में प्रवेश किया। अनेक अखबारों में लिखता छपता हुआ सन 1972 में राजस्थान पत्रिका से जुड़ा और 15 मई 2009 तक के 35 साल का यह सुखद संपर्क रहा।

राजस्थान पत्रिका का एक महत्वपूर्ण स्तंभ कड़वा मीठा सच्च था। इस स्तंभ में लेखन में घग्घर झीलों के रिसाव पर सन् 1990 में लेखन पर सन् 1991 में राज्य स्तरीय प्रथम पुरस्कार मिला। इंदिरागांधी नहर पर 12 श्रंखलाएं लिखी जो सन् 1991 में छपी तथा दूसरी बार 1992 में पुन: राज्य स्तरीय प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ। राजस्थान की शिक्षा प्रणाली पर व्यापक अध्ययन कर दो श्रंखलाओं में सन् 1993 में प्रकाशित लेख पर तीसरी बार राज्य स्तरीय प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ। इसके बाद सन 1996 में राजस्थान की चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पद्धति पर व्यापक अध्ययन कर 4 श्रंखलाएं  लिखी। इस पर सन् 1997 में राज्य स्तरीय दूसरा पुरस्कार मिला।

राजस्थान पत्रिका के श्रद्धेय कर्पूरचंद कुलिश का मेरे पर वरद हस्त रहा और उन्होंने जोधपुर में पत्रकारों के बीच में कहा कि मैं तुम्हारे हर लेख को पढ़ता हूं। यह एक महान गौरववाली बात थी। गुलाब कोठारी और मिलाप कोठारी एक घनिष्ठ मित्र के रूप में आते मिलते और अनेक विषयों पर हमारी चर्चाएं होती। माननीय गुलाब जी सुझाव लेते और वे पत्रिका में लागू भी होते। गुलाब कोठारी ने श्रीगंगानगर में सर्वश्रेष्ठ संवाददाता के रूप में सम्मानित किया तब कई मिनट तक एकदूजे से गले मिले खड़े रहे। आज भी पत्रिका परिवार के साथ घनिष्ठ संबंध हैं।

9 अगस्त 1997 को शिक्षा संस्थान ग्रामोत्थान संगरिया में पत्रकारिता में सम्मानित किया गया।

    रामनाथ गोयनका के इंडियन एक्सप्रेस का विस्तार जब जनसत्ता दैनिक के रूप में हुआ तब जनसत्ता दिल्ली में खूब छपा। जब चंडीगढ़ से छपने लगा तब वहां के संपादकओमप्रकाश थानवी के अनुरोध पर उनके कार्यकाल में चंडीगढ़ में भी खूब छपा। साप्ताहिक हिन्दी एक्सप्रेस बम्बई में भी अनेक लेख छपे।

राजस्थान की संस्कृति,सीमान्त क्षेत्र में घुसपैठ,तस्कर,आतंकवाद पर भी खूब लिखा गया। पंजाब के आतंकवाद पर टाइम्स ऑफ इंडिया बम्बई ने लिखने के लिए कहा तब कोई तैयार नहीं हुआ। वह सामग्री वहां से छपने वाली पत्रिका धर्मयुग में छपनी थी। मैंने संदेश दिया और मेरा लेख सन् 1984 में दो पृष्ठ में छपा। धर्मयुग में लेख छपना बहुत बड़ी बात मानी जाती थी। धर्मयुग में बाद में कई लेख प्रकाशित हुए।

मेरे लेख और कहानियां बहुत छपी।

आकाशवाणी सूरतगढ़ से वार्ताएं कहानियां कविताएं रूपक आदि बहुत प्रसारित हुई हैं।

इंदिरागांधी नहर पर दूरदर्शन ने एक रूपक बनाया जिसमें कई मिनट तक मेरा साक्षात्कार रहा। वह साक्षात्कार मेरे इंदिरागांधी नहर पर लेखन के अनुभवों के कारण लिया गया। दूरदर्शन के दिग्गज प्रसारण अधिकारी के.के.बोहरा के निर्देशन में वह साक्षत्कार हुआ व राष्ट्रीय स्तर पर प्रसारण हुआ।

मेरा लेखन कानून नियम विरुद्ध सामाजिक दायित्व के लिए सच्च के प्रयास में रहा। कई बार ऐसा लेखन अप्रिय भी महसूस होता है लेकिन जिन लाखों लोगों के लिए लिखा जाता है,उनके लिए आगे बढऩे का कदम होता है।

मेरे परिवार जन,मित्रगण और कानून ज्ञाता जो साथ रहे हैं वे भी इस यात्रा, में सहयोगी हैं। मेरे लेखन में माता पिता की सीख रही है।

मैंने मेरे पूर्व के लेखों में लिखा है कि लिखने बोलने की यह शक्ति ईश्वर ही प्रदान करता है और वह परम आत्मा जब तक चाहेगा यह कार्य लेखन और पत्रकारिता चलता रहेगा और लोगों का साथ भी रहेगा।

मेरी वेब साईट  www.karnipressindia.com आज अत्यन्त लोक प्रिय साईट है जो देश और विदेश में प्रतिदिन हजारों लोग देखते हैं।

आपका शुभेच्छु,

करणीदानसिंह राजपूत,

राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क सचिवालय से

अधिस्वीकृत स्वतंत्र पत्रकार,

सूरतगढ़ / राजस्थान/ भारत 

91 94143 81356.

मेरा ई मेल पता.   karnidansinghrajput@gmail.com

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