मंगलवार, 5 जुलाई 2016

लोककुंवरी रो स्वयंवर - कहाणी -


- करणीदानसिंह राजपूत-
लोककुंवरी रो स्वयंवर फेरूं मंड ग्यो। लोककुंवरी घणी फूठरी। गरीब अमीर सगळा रो दिल ललचावै। दो घड़ी रो साथ मिल जावै जकौ भी बतौ। ओ साथ तो पांच सालां रो। जै लोककुंवरी चुन लेवे तो फेर तकदीर रो कांइ कहणो। सगळे इलाके मांय डंको बाजै। आपणै सहर रो राजा भी मूंछ मरोड़ त्यार। लारलै पन्द्रह सालां सूं कसरत करण लाग रया हा पण पार नीं पड़ी। कीं न कीं कमी रह जावंती अर बारातियां री भीड़ कोई दूजो ले भागतो। लोककुंवरी कोई दूजो परणीज जातो जणा सकल कोयला खदान रै मजूर जैड़ी हो जावंती। काळी कुट। हार री मार राजा रै इसी पड़ती कै कई दिनां तक कोठी मांय दुबक जावतो।



लारलै स्वयंवर मांय पिट जावण रै पाछै राय मसविरा लेता लेता राजा जैपर मांय एक ठिकाणो बणा लियौ। बडा बडा नेतावां सूं मेल मिलाप। गुप चुप। सांठ गांठ सूं बारातियां नै जुटावण रो पान्नो भी कबाड़ लियौ। दूजां नै ठा पड्यौ कै राजा पान्नै रा करोड़ सूं बत्ता रिपिया कई मईना पैली राख दिया हा। ओ जग रो दस्तूर। जितो बड़ो ठिकाणो उतनो बड़ो दस्तूर। गुप चुप जाण पिचाण सूं भेंट हो सकै इसौ निजराणौ। नां किनै कहणो ना किनै सुनावणो। बात करै जका झूठा लम्पट। पान्नो जिकै न ना मिलै बो ऐड़ा कूड़ा आरोप लगावै।
अपणै राजा पान्नो जुटा लियो पण फेरूं कोई कमी नीं रह जावै ईं वास्तै दफ्तर खोल दिन रात हाथा जोड़ी अर पांवाधोक मांय गळी गळी अर गांव गांव ढ़ाणी ढ़ाणी चक्कर पर चक्कर मारण लाग्या।
गळी गळी गांव गांव डूंडी सी पिट गई। लोग बागां में दिन रात चरचा हथाई। कुंवरी नै परणीजण वास्तै कुण कुण त्यार। किण खनै कितनी कितनी बारातियां री भीड़। लोगां मांय इण रो बंतळ अर इण रो विवाद।
लोककुंवरी सूं ब्याव करण वास्ते ना मच्छी की आँख फोडऩी अर ना डूंगर चढऩो। ना कोई कुस्ती ना कोई दौड़ भाग। ना सकल सूरत। स्वयंवर री अजीबो गरीब शरत राख्योड़ी। जकै खनै सगळा सूं बत्ता बाराती होसी उण रो ब्याव लोककुंवरी सागै हो जासी।
    लोककुंवरी परणीजण सारूं जवान बुढ़ा राजा फकीर सगळा त्यार। जी सगळा रो ललचावै। पण बारातियां री भीड़ जुटावण वास्ते आंटी में लाखो लाख कोडा भी तो चाहिजै।
इलाके रा लोक दो लाख जका स्वयंवर मांय जा सकै। पण बींद बनण री ताकत तो दस पन्दराह सूं ज्यादा लोगां मांय नीं दीखी। आप आपरी ताकत दिखा दिखा बारातियां न जुटावण वास्तै दफ्तर खोल लिया गया। अखबारां मांय टीवी चैनलां मांय घणो घणो परचार। पतरकारां रै सागै सौदेबाजी। घणै सूं घणा समाचार खबरां अर फोटूआं छापणी सरू।
राजा रै सामीं फेरूं पाछला बींद खम ठोक त्यार। ईंया सोरै सांस लोक कुंवरी नै कियां छोडै़। पांच साल मजा मारयोड़ा। गांव सूं जैपर तक ईज्जत मान सनमान। कबाड़ा घणा करया पण जात रा अहलकार शिकायतां अर मुकद्दमा नै झूठा बतावण मांय आगै रैया। आपणै राजा भी जात री मान मरजादा राखी। खोट कपट होती रैयी पण बोल्या नीं। पांच सालां चुप चाप पड्या रैया अर स्वयंवर री डूंडी पिटते पाण सामी आ ग्या अर आपरै डील डोल नै सांगो पांग संवार लियौ।
बींद बनण रा सारा नुस्खा। कोई कमी नीं रैयी। ढ़ोल नगाड़ा गाजा बाजा। अबकी आपणै राजा रै लोककुंवरी माळा पैना देसी। सगुन विचार करीज्या। आच्छे मूहरत मांय राजा कोठी सूं निकासी ली।
बींद रो पहनावौ। कीमियां अचकन अर पाजामी। गळै मांय असली सोने अर मोतियां री माळा। सिर माथै राजस्थानी पाग। चमकती जूतियां। हाथ मांय सुनहरी मयानवाळी तलवार। कोई कमी नीं रहण दी। राजा रा यार दोस्त। डूम ड्याढ़ी। बस। एक बात सगळा करै। अबकी राजा जरूर परणीज जासी। कित्तौ सुंदर लागै। फूठरो। कोठी सूं निकासी लेवण सूं पैलां राई लूण कर निजरां उतारी गई। लुगायां पाणी भरयौड़ा कलस सामीं ले र आई। आच्छा आच्छा सुगन करीज्या।
जोर शोर सूं चरचा। अबकी राजा की जीत पक्की। लोककुंवरी वर माळा राजा रै गळे मांय ही पहनासी। ठिकाणै रै पान्नै सूं बारातियां री भीड़ दूर दूर तक रेळम पेळ। की कमी नीं लागी। फेर सामी पिछला बींद जका रै सागै अबकी बाराती कम। इत्ता कम कै लोक कुंवरी बिंयासै सामी भी नईं झांकसी। सत्ता साल रै डैण रे बदन मांय बास। कै होवै जै साफ सुथरा गाबा पहन लिया। लोगां नै ओ मालम पड़ ग्यौ कै मुकद्दमा भी घणा बण्यौड़ा है। लोककुंवरी सूं अै बातां छुपयोड़ी नीं रह सकै। बस। आपणै राजा रो ब्याव ही लोक कुंवरी सागै होसी। सटोरिया शरतां लगा ली। सट्टा भाव इण रा हो ग्या कै राजा री जीत पक्की। ब्याव पक्को।
फूठरी लोककुंवरी अर फूठरो राजा।
लोककुंवरी राजा नै ही चुणसी।
लोग बाग आ भी कहवण लाग्या कै अबकी राजा ने लोककुंवरी वरण नीं करयौ तो पाछै कदई अैड़ो मौको नीं आवै।
घणा नजीक साबित होवण आळा बरोबर कहवण लाग्या। आ ना कैवो। अबकी राजा जरूर जरूर लोककुंवरी नै ब्याह लासी।
बो दिन बो बखत भी आग्यौ।
लोककुंवरी रै सामीं सगळा बींद बण्यौड़ा मिनख निकळया। लोककुंवरी भी सगळा रै सामी सूं निकळी।
बतायौ गयौ कै फैसलो जनता बिचाळै समारोह मांय करयौ जासी।
लोककुंवरी रो फैसलो सुणाइज्यौ।
कांई होयो। कियां होयो।  राजा बींद बणयौडो  लोककुंवरी
राजा रै सागै  चली गई। राजा री तकदीर रो कांइ कहणो।
23-11-2013.
update 5-7-2016.
 लोककुंवरी रो स्वयंवर - कहाणी -

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