रविवार, 15 नवंबर 2015

नेहरू और इंदिरा की भारत सरकार के विज्ञापनों से स्मृति बंद:बाल दिवस नजर नहीं आया:


एक बार में ही करोड़ों रूपए अनुत्पादक विज्ञापन अखबारों व चैनलों पर दिए जाते थे:
- करणीदानसिंह राजपूत -
भारत सरकार की ओर से पूर्व प्रधानमंत्रियों का सरकारी विज्ञापनों के जरिए स्मरण संभवत बंद कर दिया गया है। करोड़ों रूपए के विज्ञापन एक बार में अखबारों व चैनलों पर दिए जाते थे। इस प्रकार के विज्ञापनों से कोई आय नहीं होती थी केवल सरकारी खजाने पर भार पड़ता था।
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा प्रियदर्शिनी का निधन 31 अक्टूबर को हुआ था जब उन पर गोलियां चलाई गई थी। इसी दिन भारत के प्रथम गृहमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल का जन्म दिवस है। इस दिवस पर भारत सरकार ने इंदिरा प्रियदर्शिनी के विज्ञापन प्रकाशित नहीं किए। इस दिन सरदार बल्लभ भाई पटेल की जयंती के विज्ञापन प्रकाशित करवाए गए।
उसी दिन यह समझ लिया गया था कि भाजपा के केन्द्रीय सरकार ने अपनी नीति में प्ररिवर्तन शुरू कर दिया है।
पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का जन्म दिन 14 नवम्बर देश भर में बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। उनको चाचा नेहरू के नाम से संपूर्ण संसार में ख्याति मिली हुई थी। बाल दिवस पर स्कूलों में और अन्य स्थानों पर कार्यक्रम होते थे। भारत सरकार ने इस दिन के विज्ञापन भी जारी नहीं किए। इससे स्पष्ट हो गया है कि नीति में परिवर्तन हो चुका है। सरकार कह सकती है कि सरकारी कोष पर करोड़ों का भार क्यों डाला जाए?
कोई माने या न माने इस वित्तीय भार से कांग्रेस पार्टी को ही लाभ हुआ करता था। भाजपा गठबंधन सरकार ने यह भार खत्म कर दिया।
कांग्रेस ने भी जब इंदिरा गांधी का विज्ञापन 31 अक्टूबर नहीं देखा तो आगे के लिए समझ लिया और नेहरू जयंती पर कांग्रेस ने विज्ञापन छपवाया। आगे के लिए भी यही नीति रहेगी। वैसे भी सरकार ने विज्ञापनों की संख्या में कमी कर दी है।
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