शुक्रवार, 2 अक्तूबर 2015

पाकिस्तान के कब्जे का कश्मीर छुड़ाने की आशा बलवती:मोदी पर आशा:


- करणीदानसिंह राजपूत -
पाकिस्तान ने देश की आजादी के तुरंत बाद ही काबायलियों का आक्रमण करवाया और कश्मीर की आजादी के नाम पर एक हिस्से पर अतिक्रमण कर लिया। कश्मीर के राजा हरिसिंह ने भारत में मिलने का रास्ता अपनाया था। लेकिन उस समय के राजनेता जवाहरलाल नेहरू की राजनीति से यह मामला यूएनओ में चला गया। उसके बाद से आजतक पाकिस्तान में कश्मीर के नाम पर राज चलते हैं। और राज बदलते हैं। पाकिस्तानी सेना चाहे जो करे लेकिन वहां के सत्ताधारी चूं तक नहीं कर पाते। वे केवल समूचे कश्मीर की आजादी का राग अलापते रहते हैं।
पाकिस्तान ने कश्मीर के जिस हिस्से पर कब्जा कर रखा है वहां पर दुनिया में चल रहे विकास को नहीं देखा जा सकता। पाकिस्तान वहां पर ऐसे राज कर रहा है मानो वहां के रहने वाले उसके गुलाम हैं। वहां के रहने वालों को रोजी रोटी तक का संकट आए दिन झेलना पड़ता है। लोग विरोध में आवाज तक उठाने में कतराते रहे हैं। आवाज उठाने पर सेना गोलियों से भून देती रही है। तंग हाल फटे हाल लोगों ने दुनिया में विकास को देखा है। वे लोग भारत वाले कश्मीर में भी विकास की बहती गंगा को देखते हैंञ तो उनके दिल दिमाग में भी आने लगा है कि वे पाकिस्तान में ठगे जा रहे हैं और आने वाली पीढिय़ां भी गुलामी जैसा जीवन जीयेगी।
पाकिस्तान ने वहां पर एक गड़बड़ी और कर रखी है कि काफी इलाका सड़क के नाम पर चीन के हवाले कर दिया है।
अब वहां पर स्वतंत्रता की आवाज उठाई जाने लगी है। वहां की सत्ता और सेना का कुछ कुछ विरोध होने लगा है। लोग अपने घरों से बाहर आकर विरोध करने लगे हैं।
वहां पर इतना ही नहीं भारत के पक्ष में प्रदर्शन होने लगे हैं। अब अधिक समय तक उनको गुलाम बनाए रखना संभव नहीं है।
लोगों को अब विश्वास होने लगा है कि भारत के प्रधानमंत्री कोई साहसिक कदम उठाएं और पीओके यानि कि पाकिस्तान ओक्यूपाई कश्मीर आजाद हो जाए और भारत में वापस आ जाए।
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