रविवार, 20 सितंबर 2015

एसडीएम के सरकारी आवास पर नगरपालिका के 8 लाख क्यों लगे?पार्षदों ने नहीं पूछा


- करणीदानसिंह राजपूत -
एसडीएम के सरकारी आवास पर नगरपालिका सूरतगढ़ के लगाए गए 8 लाख रूपयों के बारे में बोर्ड की बैठक में किसी भी पार्षद ने अध्यक्ष काजल छाबड़ा से सवाल नहीं किया कि यह रकम गैरकानूनी रूप से क्यों लगाई गई? नगरपालिका ने एसडीएम के सरकारी आवास की चारदीवारी निर्माण के टेंडन निकाले और निर्माण करवाया। एसडीएम का सरकारी आवास राजस्व विभाग का है तथा वहां पर सार्वजनिक निर्माण विभाग ही निर्माण व मरम्मत आदि करवाता है। अन्य किसी भी नगरपालिका द्वारा ऐसा निर्माण करवाना सामने नहीं आया है।
पूर्व विधायक स.हरचंदसिंह सिद्धु ने आरोप लगााया था कि एसडीएम के सरकारी आवास की मरम्मत के लिए जिला कलक्टर ने 4 लाख रूपए दिए थे तब वहां पर आठ लाख रूपए लगाए जाने का पूरा प्रकरण ही घोटाला है। सिद्धु के आरोप के बाद में पालिका बोर्ड की बैठक हुई थी मगर फिर भी सवाल नहीं किए गए।
नगरपालिका एक तरफ तो फंड की कमी का रोना रोती रहती है और दूसरी तरफ यह फंड नियमों के विपरीत खर्च करना आश्चर्यजनक लगता है।
नगरपालिका की दमकल की मरम्मत कराने के लिए ढाई लाख रूपए चाहिए जो नहीं हैं। उसके अभाव में पुरानी दमकल की मरम्मत नहीं हो रही है। ढाई लाख नहीं है और आठ लाख थे जो खर्च कर दिए गए। इस बाबत पार्षदों की ओर से कोई सवाल नहीं पूछा जाना साबित करता है कि पार्षद अपने वोटरों व नगर वासियों के प्रति कितने वफादार हैं?
दो बार आग लगने पर पालिका की नई छोटी दमकल चल ही नहीं पाई। उसमें पैट्रोल ही नहीं था। दो बार यह घटना हुई और आश्चर्य है कि पार्षदों ने बड़ी दमकल का तो कहा लेकिन पैट्रोल नहीं होने पर सवाल नहीं किया। आखिर किसी कर्मचारी की तो जिम्मेदारी थी। उसके विरूद्ध कार्यवाही क्यों नहीं की गई? आखिर दमकल का पैट्रोल कहां पर जाता है? यह मालूम करना तो पार्षदों का ही फर्ज बनता है।
खाँचा भूमि आवंटन की पत्रावलियां कभी भी पार्षद देखते नहीं और सभा में ये रखी तक नहीं जाती। बस पहले चर्चा और बाद में प्रस्ताव पारित। चाहे खाँचा भूमि के लिए आवेदक हकदार हो या न हो पार्षद सवाल नहीं करते। खाँचा भूमि में सड़क की भूमि मांग ली जाए और पार्षद कोई सवाल ही न करे कि सड़क की भूमि पर अवैध कब्जा कैसे हुआ? पहले हुआ तब तोड़ा गया। दुबारा कैसे हुआ? उस कब्जाधारी को खाँचा भूमि देने के बजाय तो आपराधिक मुकद्दमा दर्ज करवाया जाना चाहिए जो पालिका नियमों में स्पष्ट लिखा हुआ है।
नगरपालिका के घोटालों की रिपोर्टं अखबारों में छपती रहती है लेकिन पार्षद उस बाबत भी कोई सवाल नहीं करते। भ्रष्टाचार निरोधक विभाग रिकार्ड ले जाता है मगर पार्षद बोर्ड की बैठक में सवाल नहीं करते।
सड़कों नालियों और पुलियों के निर्माणों में घोटालों के आरोप लगते रहते हैं मगर पार्षद सवाल नहीं करते।
आखिर पार्षद किसके प्रति अपना दायित्व निभाते हैं?

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