रविवार, 14 दिसंबर 2014

छापै री खबर कोनी काढ़णी- कविता


बड़ी बड़ी दुकानां माथे
छापा पडिय़ा
बिजळी चिमके ज्यूं
सगळै सैर री गळी गळी
मांय चरचा फैली अर
अैड़ी फैली जाणै लाय लागगी
घण करा दुकानदार
भरी दुपारां ताळा कूंची कर
भाग छूट्या।
आयकर महकमे रा छापा
बड़ा बड़ा सेठ मालिक
जकां रा दिमाग रैवे
सातवें आभै सूं ऊंचा
ब भी भाग नाठ्या।
थोड़ी ताळ होई
अर मोबाइल पर घंटियां बाजण लागी
भाईजी
बड़े भईया
पत्रकार साब
आ छापै आळी खबर काढ़णी कोनी
अ म्हारा बेली दोस्त है
यूं समझ लिया कै छापा पड्या ही कोनी
आपरो आदेस है सा
तो म्हैं कुण हां खबर काढ़ण वाळा
आपरो आदेस सिर माथै
आप म्हाने इण मिस याद तो कर्या
आगले दिन फेरूं
मोबाइल पर घंटियां बाजी
भाईजी थै बिसवास दिलायो हो कै
खबर  काढ़ां कोनी
थे तो खबर काढ़ नाखी।
ना सा आपरौ कहणो मान्यो सा
थै देखलो खबर कोनी काढ़ी
आ तो रपट है सा।

रपट काढ़ी है सा
थै म्हाने खबर काढ़ण सारूं मना कर्या हा।
म्है खबर कोनी काढ़ी
आ तो रपट है सा।
म्है भी पूरो फर्ज निभायौ है सा
थारा बेली दोस्त
जका म्हारा बेली
दोस्त
- करणीदानसिंह राजपूत,
पत्रकार
सूरतगढ़
94143 81356
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