मंगलवार, 16 दिसंबर 2014

आपातकाल लोकतंत्र सेनानी गोपसिंह की अंतिम यात्रा शहीदों को नमन करते निकाली गई


15 दिसम्बर 1975 को आपातकाल के विरूद्ध गिरफ्तारी दी और 15 दिसम्बर 2014 को संसार से विदाई ली:
अनेक संघर्षों के साथी रहे:
स्पेशल रिपोर्ट- करणीदानसिंह राजपूत
सूरतगढ़ 16 दिसम्बर 2014.
आपातकाल की क्रूरताओं के विरोधी लोकतंत्र सेनानी गोपसिंह सूर्यवंशी की अंतिम यात्रा शहीदों की प्रतिमाओं को नमन करते हुए निकाली गई। सुभाष चौक, महाराणा प्रताप चौक, भगतसिंह चौक,चन्द्रशेखर आजाद चौक, भारत माता चौक और महारी लक्ष्मी बाई चौक होकर अंतिम यात्रा निकाली गई और कल्याण भूमि में अंतिम संस्कार किया गया। अंतिम संस्कार में परिजनों के अलावा सैंकड़ों विभिन्न समुदाय व वर्गों के लोगों ने भाग लिया।
गोपसिंह ने आपातकाल का विरोध किया था।
एक दल में  6 जने गोपसिंह सूर्यवंशी पूर्व पार्षद निवासी लाइनपार वार्ड नं 19 सूरतगढ़, सुगनपुरी जो अब अध्यापक है,महावीर प्रसाद तिवाड़ी जो फार्म में सर्विस में है, नेमीचंद छींपा पूर्व पार्षद हैं,स्व़मदनलाल मेघवाल, चम्पालाल जो आजकल हैदराबाद में हैं। इन्होंने 15 दिसम्बर 1975 को गिरफ्तारी दी थी। इस दल का नेतृत्व गोपसिंह ने किया था। गोपङ्क्षसह ने इसी दिन 15 दिसम्बर को संसार से विदाई ली। गोपसिंह का निधन 15 दिसम्बर 2014 को राजकीय चिकित्सालय श्रीगंगानगर में हुआ। सुबह उनको राजकीय चिकित्सालय सूरतगढ़ में दिखलाया गया व वहां से रेफर होने पर श्रीगंगानगर ले जाया गया था। अंतिम समय में उनके पास उनकी पत्नी श्रीमती रोमिला, बड़े भाई पत्रकार करणीदानसिंह राजपूत व छोटे भाई प्रेमसिंह सूर्यवंशी थे।
राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार ने आपातकाल के रासुका बंदियों को पेंशन स्वीकृत की थी। वह पेंशन गोपसिंह की स्वीकृत हुई। उसके संबंधित स्वयं के फोटो आदि 15 दिसम्बर 2014 को श्रीगंगानगर में पेश करने थे। बलराम वर्मा का फोन आया था कि गोपसिंह को श्रीगंगानगर आने का कहो। लेकिन उस समय गोपसिंह चिकित्सालय में भर्ती थे। ये अजीब संयोग ही रहे। गोपसिंह का पार्थिव शरीर जब राजकीय चिकित्सालय से लिया गया तब बलराम वर्मा व नेमीचंद छींपा मौजूद थे। गोपसिंह के अङ्क्षतम संस्कार के समय उनके साथ गिरफ्तारी देने वाले, आपातकाल का विरोध करने वाले कई साथी मौजूद थे।
गोपसिंह ने सूरतगढ़ में राजकीय महा विद्यालय खुलवाने के आंदोलन में सहयोग दिया। उसके बाद महाविद्यालय में वाणिज्य संकाय खुलवानेके आदोलन में सहयोग दिया। उसी दौरान मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर एक पत्थर वर्षा में घायल हुए और गिरफ्तारियां हुई जिसमें अन्य लोगों के साथ गोपसिंह भी गिरफ्तार हुए और यह प्रकरण अदालतों में 12 साल तक चला। बाद में इसमें सभी बरी किए गए।
राजकीय चिकित्सालय सूरतगढ़ में पहले महिला चिकित्सक नहीं थी जिसके लिए चिकित्सालय के आगे गोपसिंह ने अनशन किया।
विद्यार्थीकाल में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्य रहे।
रेलवे रामलीला में 10-12 साल तक गोपसिंह ने राम और छोटे भाई प्रेमसिंह ने लक्ष्मण का अभिनय किया। जो अत्यन्त प्रसिद्ध अभिनय रहा।
बेडमिंटन खेलने में भी गोपसिंह प्रेमसिंह की जोड़ी सालों तक प्रसिद्ध रही।
सन् 1994 से 1999 तक नगरपालिका में पार्षद रहे।
अनेक आंदोलनों में गोपसिंह शामिल रहे।
सूरतगढ़ के इतिहास में गोपसिंह सूर्यवंशी का नाम रहेगा। 


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