मंगलवार, 18 जुलाई 2017

हम चाहती थीं, पंख लगा कर,आकाश में उडऩा,तुमने छीन लिया, हम से संसार


मैं बेटी हूं ,मुझे भी जीने का अधिकार दो - मंजु रांगेरा

देव भूमि भारत में कन्याओं की भ्रूण में हत्या होना चिंताजनक

सेठ राम दयाल राठी राजकीय उ.मा. विद्यालय में गर्भस्थ शिशु संरक्षण समिति का आयोजन

करणीदानसिंह राजपूत

सूरतगढ़, 13 अगस्त। सेठ राम दयाल राठी राजकीय उ.मा. विद्यालय में गर्भस्थ शिशु संरक्षण समिति की ओर से  भ्रूण में हत्या रोकने पर विचार गोष्ठी का आयेजन किया गया। गोष्ठी की अध्यक्षता प्रधानाचार्य पृथ्वीराज धांधल ने की। गोष्ठी में विद्यार्थियों ने खुले रूप में विचार रखते हुए हत्या के अपराध में कड़ी सजा दिए जाने की मांग की।

    छात्र देवेन्द्र ने अपराधियों का सामाजिक बहिष्कार करने की मांग की। अजय ने एक कविता सुनाई जिसके बोल थे, मत मारो कन्या को। सुनील ने कन्या हत्या को रोकने पर सुझाव दिए। दीपचंद ने एक कविता सुनाई, नन्ही बेटी को जीवन का वरदान दो। छात्र पूनम पूनिया ने देव भूमि भारत में कन्याओं की हत्या पर चिंता प्रगट की। छात्र हरप्रीत सिंह ने अग्रेजी कविता के माध्यम से कन्या को बचाने का आह्वान किया। 



छात्र बबलू ने  एक कवित सुनाई जो कन्या के बोल पर थी। जिसके बोल थे- हम चाहती थीं, पंख लगा कर,आकाश में उडऩा,तुमने छीन लिया, हमसे संसार।



    विनय वधवा ने कहा कि कन्या भ्रूण हत्या का एक कारण दहेज की कुप्रथा है, मगर कोई बड़ी समस्या नहीं है कि, समाज चाहे और वह खत्म ना हो सके। व्याख्याता जयसिंह शेखावत ने कहा कि सबसे अधिक भ्रूण हत्याएं भारत में हो रही है, जबकि कन्या की मानसिक शक्ति लडक़े के मुकाबले में कई गुना अधिक होती है।

    व्याख्याता मंजु रांगेरा ने कविता के माधम से कहा कि, मैं बेटी हूं ,मुझे भी जीने का अधिकार दो। समिति के सदस्य हेमंत चांडक ने कहा कि जिस घर में बेटी ना हो उस घर का पानी तक पीना पाप समझा जाता है। मुरलीधर पारीक ने छात्रों को कन्या भ्रूण हत्या रोकने का संकल्प दिलवाया। समिति के अध्यक्ष परस राम भाटिया ने कन्या भ्रूण हत्या रोक पर हो रहे कार्य का विवरण दिया। व्याख्याता प्रवीण भाटिया ने इस कार्यक्रम का संयोजन किया।



प्रथम प्रकाशन 13-8-2011. कार्यक्रम 11-8-2011

अपडेट 18-7-2017

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