* करणीदानसिंह राजपूत *
विशेष दिन पर या उपवास के दिन बड़ी शान से कहा जाता है कि इस दिन शराब मांस के हाथ नहीं लगाता। किसी के साल भर में एक दो दिन विशेष होते हैं तो किसी के 50-60 दिन होते हैं।
* कोई कहते हैं आज मंगलवार है, मंगलवार को शराब के हाथ नहीं लगाते। कोई कहते हैं आज मंगलवार है सो मांस को नहीं छूते।
* कोई एकादशी को तो कोई अमावस्या को तो कोई चतुर्थी को कोई उपवास पर मांस मदिरा को नहीं छूते।
* अब जाति धर्म की बात नहीं। अंडा मांस शराब ऊंचा दिखाने का हाई सोसायटी में होने का फैशन बन बन गया है और यह निरंतर बढ रहा है। जो अहिंसा का नारा लगाते हैं, जीव हत्या नहीं होने, नहीं करने के धर्म को मानते हैं वे अपने धर्म में मांसाहार मदिरा सेवन करने वालों को रोकते टोकते नहीं। कोई बातचीत होती है तो बड़ी लाचारी में कहते हैं, क्या करें आज के युवाओं को समझाना मुश्किल है। वे कहना नहीं मानते।
* मेरा स्पष्ट विचार है कि जो लोग अंडा मांस शराब का सेवन करते हैं वे नाम के साथ उपनाम में अपने उस धर्म का नाम नहीं लिखें जो नशे के और मांसाहार के नियमों पर घोषित है। उपनाम लिखना हो तो जाति लिखें यदि पहचान के लिए लिखनी आवश्यक हो। जैन बिश्नोई सहित अनेक धर्म है जिनमें नियम हैं और मांसाहार, नशे का सेवन नहीं करने का संदेश देते हैं।
** जो धर्म मांसाहार,नशे का विरोध करते हैं नियम बना रखे हैं, उनके सामाजिक धार्मिक संगठनों में पदाधिकारी, सदस्य किसी भी हालत में वे शामिल नहीं किए जाएं जो मांसाहार व नशा करते हैं। मांसाहारियों नशा करने वालों से समाजोपयोगी समारोह कार्यकर्मों में उद्घाटन न कराए जाएं और उनको अध्यक्ष,अतिथि आदि बना कर मंचों पर नहीं बैठाया जाए।
*** साधु संत महात्मा अपने उपदेश कार्यकर्मों में कड़ाई से भी प्रेरित करें। समारोह में कहें कि मांसाहार करने वाले खड़े हों। देखते हैं कितने लोग खड़े होते हैं। फिर उनको कहा जाए कि वे मांसाहार छोड़ने की सौगंध संकल्प लें। ऐसे ही शराब व नशे के लिए समारोह में खड़ा करें और फिर कहा जाए कि नशा नहीं करने की शपथ लें।
* वे समारोह जिनमें शराब नशा मांस अंडे परोसे जाएं उनमें शामिल होने से स्वयं बचें और अपने परिवार के बच्चों को भी दूर रखें।अपना खास हो तब भी समारोह से दूर रहें। जो समारोह देर रात तक चलते हैं, गाने बजाने के चलते हैं उनमें लगभग शराब,नशा मांस अंडे आदि का भोजन होता है, इसलिए ऐसे समारोह में पहुंचने से बचें। कहा जाता है कि शाकाहारी भोजन अलग है मांसाहारी भोजन अलग है,अलग व्यवस्था है, फिर भी इस बड़ाई वाले,हाईसोसायटी वाले मित्र परिचित के समारोह में पहुंचने से खुद को दूर रखें। ऐसे समारोह में पहुंचना जरूरी नहीं है आपके नियम कीमती हैं इसलिए अपने नियमों पर दृढ रहें। ०0०
10 अप्रैल 2025.
* करणीदानसिंह राजपूत,
पत्रकार ( राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क सचिवालय से अधिस्वीकृत. लाईफटाईम)
सूरतगढ़ ( राजस्थान )
94143 81356
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