* करणीदानसिंह राजपूत *
सूरतगढ़ 29 नवंबर 2024.
भारत का रंगीला राजस्थान और उसमें एक शर्मनाक स्थान जहां रोजाना 2000 के लगभग लोग दीवारों पर या फिर झाड़ियां में मूतने को मजबूर हैं। औरतों की क्या हालत होगी यह अनुमान लगाया जा सकता है?
* प्रधानमंत्री की स्वच्छ भारत योजना को यहां अधिकारियों ने पलीता लगा दिया है। किसी को कोई परवाह नहीं है। यह शर्मनाक हालत राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले की सूरतगढ़ मंडी यार्ड की है। जहां अनाज व्यापारियों की 200 के लगभग दुकानें हैं। रोजाना हजारों किसानों का यहां आना-जाना होता है।सैकड़ो मजदूर स्त्री और पुरुष यहां काम करते हैं। लेकिन टॉयलेट की सुविधा नहीं है। मजबूरी में हजारों लोग मंडी की दीवारों पर गर्दन नीचे करके मूतते हैं या फिर झाड़ियों में जाकर के मूतते हैं।समझलें कि झाड़ियां यहां वरदान है।
👌 प्रधानमंत्री का स्वच्छ भारत अभियान योजना के तहत हर व्यक्ति को घर में टॉयलेट बनवाने के लिए मजबूर किया गया था कि अगर टॉयलेट नहीं बनाया तो उसको सरकारी सुविधा नहीं मिलेगी। एक प्रकार से उसे दंडित किया गया और गरीब से गरीब व्यक्ति को भी घर में टॉयलेट बनाने के लिए मजबूर किया गया। लेकिन आश्चर्य यह है कि सूरतगढ़ की कृषि उपज मंडी समिति यार्ड में टॉयलेट की सुविधा पर उचित व्यवस्था नहीं होने से सफाई नहीं होने से बरसों पहले ताला लगा दिया गया। पहले पुरुषों के लिए पेशाब घर के स्थान को खुला रखा गया लेकिन वहां भी भयानक गंदगी हो गई। यहां पर हजारों व्यापारी मजदूर और किसान रोजाना सरकार की अधिकारियों की लापरवाही से शर्मनाक हालत में शंका और लघु शंका दीवारों पर और झाड़ियों में करते हैं। स्थानीय अधिकारियों को कोई परवाह नहीं है। जिला स्तर के अधिकारी केवल बैठकों में भाषण देते हैं निर्देश देते हैं लेकिन किसी को भी कोई परवाह सफाई की नहीं है।
👌सवाल यह है कि योजनाओं की दुर्गति करने वाले अधिकारियों पर कार्यवाही कौन करेगा? जब अधिकारी निरीक्षण ही नहीं करते तब बुरे हालात का मालूम भी कैसे हो? जहां टॉयलेट भयानक दुर्गंध मार रहा है, वहीं पास में किसानों का कलेवा घर है। कुछ ही दूरी पर आस्था का केंद्र मंदिर बनाया हुआ है। पूरी धान मंडी के अंदर सफाई व्यवस्था चौपट है। जगह-जगह झाड़ झंखाड़ खड़े हैं।
* व्यापार मंडल को कोई परवाह नहीं है। किसी व्यापारी को कोई परवाह नहीं है। समाज सेवा में लगे हुए जो दुकानदार हैं उन्होंने भी कभी इस और ध्यान नहीं दिया है। आश्चर्य तो यह है कि राजनीतिक दलों के नेताओं की दुकानें और व्यापार भी यहां पर है। किसी ने भी कभी सरकार को ध्यान दिलाने की कोशिश नहीं की अधिकारियों को दंडित करने की मांग नहीं की। फसल के मौसम में हालत बहुत बुरे होते हैं जब लोगों की संख्या बहुत होती है।
* सबसे बड़ा सवाल यह है कि अव्यवस्था फैलाने वाले जितने भी अधिकारी यहां आए और गए और वर्तमान में है उन पर क्या जिले की सरकार यानि जिलाकलेक्टर की ओर से कार्यवाही होगी? यहां पर कितने दिनों में धान मंडी के अंदर सफाई हो जाएगी? टॉयलेट की सुविधा कब तक हो जाएगी? क्या कोई जिला अधिकारी यहां पर तुरंत पहुंचकर निरीक्षण करेगा?
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