मंगलवार, 3 सितंबर 2024

बनवारीलाल पर सीवरेज केस:करोड़ों हड़पने का आरोप:पुलिस को जांच सौंपी

 

 * करणीदानसिंह राजपूत *

 सूरतगढ 3 सितंबर 2024.

नगरपालिका के पूर्व अध्यक्ष बनवारीलाल मेघवाल पर आरोप है कि सीवरेज डालने के दिखावटी फर्जी कागजात तैयार करके कर्मचारियों, ठेकेदार कं से मिल कर करोड़ो रूपये हड़प कर गये जो सीवरेज कहीं दिखाई नहीं देती न कहीं इस्तेमाल हो रही। ईओ प्रियंका बुडानिया के पत्रों से राज खुला और महेंद्र सिंह जाटव ने मौका देखा रिकॉर्ड निकलवा कर देखा तो बड़ा फर्जी वाड़ा सामने आया।

महेंद्र जाटव ने एसीजेएम न्यायालय सूरतगढ में परिवाद धाराओं

166, 167, 420, 467, 468, 471, 120 बी आई.पी.सी.पेश किया। न्यायाधीश ने 2 सितंबर 2024 को महेंद्र सिंह जाटव से जानकारी लेते हुए बयान लिए। इसके बाद में सीआरपीसी की धारा 202 के तहत सूरतगढ सिटी पुलिस को जांच के आदेश दिए।

आरोप है कि नगरपालिका की निधि को हडप करने के आशय से तत्कालीन अधिषाशी अधिकारीयों, नगरपालिका कर्मचारियों, व राविल के अधिकारियों कर्मचारियों कम्पनी के अधिकारियों कर्मचारियों से मिलकर षडयन्त्र रचकर सूरतगढ नगरपालिका के क्षेत्र के सीवरेज प्रोजेक्ट में काम की बजाय, नुमाईषी काम से धनराषि हडपने की योजना बनाई। जब कि तत्कालीन चैयरमेन, अधिषाशी अधिकारी, राविल/रूफडिको आदि मुल्जिमानका दायित्व व्यवहारिक, लागू होने योग्य सीवरेज प्रोजक्ट डीपीआर के माध्यम से सुनियोजित मल निकासी योजना को लागू करना था। 

4. यह कि जब परिवादी को सूरतगढ के वार्डों में भ्रमण के दौरान सीवरेज 

समस्या का पता चला जिस पर परिवादी ने सीवरेज संबंधी पत्रावाली प्राप्त की तो पता चला कि सूरतगढ में कई वार्डों में  सीवरेज लाईन कागजों में पूर्व में बिछायी हुई है और भौतिक सत्यापन करने पर मौके पर सीवरेज डीपीआर के मुताबिक डालने के सबूत नहीं मिले और न ही रहवासियों केकोई कनेक्षन सीवरेज से जुडे थे। इस पर वार्डो के निवासियों  से पूछताछ की तो पता चला कि मौके पर कई जगह सीवरेज के चैम्बर दिखावे के लिये रख दिये गये और न ही कोई आउटर लाईन सभी सीवरेज को जोड़ते हुये बनाई गई और न ही वार्डो में बायोडाईजेस्टर बनाये गये और न ही ट्रंक लाईन डाली गई अर्थात सीवरेज/ मल डिस्चार्ज की कोई व्यवस्था नहीं की गई। अलग-अलग दूरी पर स्थित वार्डों का चयन किया जिसके लिए कोई कनेक्टिविटी नहीं थी। 

5. यह कि परिवादी को पता चला कि आईएचएसडीपी योजना के अंतर्गत सूरतगढ में सीवरेज डालने के कार्य हेतु नगरपालिका सरतगढ व राविल के साथ वर्श 2010 में एमओयू किया गया तथा जिसके तहत सूरतगढ के वार्ड न0 1, 2, 12, 13, 16, 17, 25, 7, 8, 9, 10, 11, 4, 5, 6 में कुल 63.305 किलोमीटर सीवरेज डालने हेतु लागत 1016.76 लाख निर्धारित की गई थी। 

6. यह कि नगरपालिका सूरतगढ के तत्कालीन अधिषाशी अधिकारी प्रियंका बुडानिया पत्र ने क्रमांक /नपासू/2015/3733 दिनांक 15-10-2015

को कार्यकारी निदेषक रूफडिको जयपुर को पत्र लिखकर पूर्व  के 

अधिषाशी अधिकारी व कम्पनी की कारगुजारियों से अवगत करवाया कि 852.00 लाख के भुगतान के पश्चात केवल 19.94 किलोमीटर सीवरेज ही डाली गई है। अर्थात 63.305 किलोमीटर सीवरेज में से केवल 19.94 किलोमीटर सीवरेज डालने पर ही 80 प्रतिशत भुगतान कर दिया गया। 

इसके अलावा राविल ने बिना स्वीकृति के  ही संशोधित डीपीआर 3017.43 लाख रूपये में 83.746 किलोमीटर सीवरेज लाईन डालना प्रस्तावित कर दिया जो कि पूर्व की निविदा से कहीं अधिक रेट पर मोटेंकार्लो कम्पनी को फायदा पहुॅंचाने के लिए प्रस्तावित किये गये थे। संशोधित

डीपीआर की कोई स्वीकृति रूफडिको से नहीं ली गई तथा लागत बढाकर 3017.43 होने से 2000.67 लाख रूपये की अतिरिक्त राशिकी आवश्यकता है। इस प्रकार इसमें  कटीजेंसी चार्जे, एजेंसी चार्जेज, टीपी मिला कर 4184.74 इसकी काॅस्ट से संशोधित डीपीआर के जरिये बढा दी गयी। 

7. यह कि उपशासन सचिव के पत्रांक. एफ 55 पीए/एसई/डीएलबी/08/आईएचएसडीपी /2604-2606 दिनांक 2-8-2008 के मुुताबिक प्रोजेक्ट के संधारण व रख रखाव की अवधि 5 वर्ष थी। अधिषाशी अधिकारी नगरपालिका की भी इस कार्य के लिए पूर्ण जिम्मेदारी थी। ठेकेदार को कार्य करने के बाद जलापूूर्ति पाईप लाईन व सीवर लाईन डालने के पश्चात तकनीकी मानदण्डों के 

अनुसार पक्की डामर या सीमेंट कंक्रीट रोड का निर्माण भी करना था

लेकिन मुल्जिमानों ने षडन्त्र रचकर कई वार्डो में  न तो जलापूूर्ति पाईप 

लाईने डाली औरक्षन ही सडकों का निर्माण करवाया और इस बाबत 

धनराशि का भुगतान कर धनराशि हड़प कर गये। 

8. यह कि मुल्जिमान ने मैसर्स कैडकाॅन कन्सलटेन्ट प्रा0 लि0 जयपुर से 

ड्राईग, डीपीआर, डिजाईन, एस्टीमेट तैयार करवाया जिसे राजस्थान सरकार 

के स्थानीय निकाय विभाग के पत्र दिनांक 19-5-2011 के

जरिये डी-बार किया किया हुआ था इसका पता नगरपालिका सूरतगढ के 

अधिकारियों कर्म चारियों को था और इस बाबत् एईएन जेईएन बसन्त 

बोहरा को विषेश रूप से निर्दिश्ट भी किया हुआ था। नगरपालिका सूरतगढ के सिविल इंजीनियर तत्कालीन अध्यक्ष बनवारीलाल मेघवाल व अन्य 

मुल्जिमान स्वीकृत 15 कच्ची बस्ती वार्डाे में मौके पर आधी अधूरी 

नुमाईषी खानापूति करने के उदेष्य से कही कही सीवर लाईन बिछाई 

गई एवं कई जगह बिना कार्य किये ही गलत सर्वे करवाकर, मेजरमेंट

बुक में फर्जी व कूटरचित इन्द्राज कर/करवा कर सांठ-गांठ कर फर्जी 

तरीके से भुगतान कर राजकीय कोष को हानि पहुॅंचाकर धनराशि हड़प 

कर गये। 

15.यह कि इसके बाद सूरतगढ के बाकी के वार्डो मेन आरयूआईडीपी योजना के तहत प्रोजेक्ट स्वीकृत किया गया जिसमें  पूर्व में 15 कच्ची बस्ती वार्डो में सीवरेज लाईन डली होने को संचालित मानकर कम कर दिया गया। 

इससे इन क्षेत्रों में रह रहे लोगों को सीवर लाईन का कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है  एवं इन लोगाों को भविष्य में सीवर लाईन मिलने की कोई संभावना नहीं हैं। 

16.यह कि मुल्जिम बनवारी लाल मेघवाल ने नगरपालिका के अधिषाशी अधिकारी, कर्म चारियों एवं सीवरेज कम्पनी के अधिकारियों कर्मचारियों से षड़यन्त्र रचकर बिना सीवरेज लाईन डाले ही सीवरेज लाईन डाली बता कर 10 कराेड़ रूपये फर्जी  तरीके से बंदबांट कर बडा घाेटाला किया मुल्जिमान ने अपनी पदीय कर्तव्यों का गलत उपयोग कर मिलीभगत कर सांंठ-गांठ से गबन कर राजकीय कोश को हानि पहुॅंचाई गयी। इससे तत्समय सूरतगढ के 30 वार्डों में से 15 वार्ड सीवर लाईन से वंचित हो गये। 

17.यह कि जब सीवरेज की लाईन जब डाली गई तब भी वर्किंग में नहीं 

थी और आज तक भी वर्किग में नहीं है। सीवर लाईन अलग अलग वार्डो में होने के कारण सीवर के मलबे के निकास/डिस्चार्ज की 

कोई व्यवस्था नहीं हुई और न ही कोई कनेक्टिविटी स्थापित की 

गई। जिन वार्डो में सीवरेज लाईन डालना बताया गया वहाॅं के निवासियों कै न तो तब कनेक्षन किये गये और आज तक भी कनेक्षन सीवर लाईन से नहीं है इससे स्पष्ट है कि महज कुछ पाईपों को दिखावे के लिए डालकर फोटो खींचकर न किये कार्य को किये गये दिखाने की खानापूर्ति की गई तथा मिथ्या 

दस्तावेजों के आधार पर भुगतान उठाकर धनराशि हड़प कर गये।

18.यह कि सीवरेज का कार्य हिडन प्रकृति का होने एवं नया प्रोजेक्ट 

होने के कारण स्थानीय निवासीयों को जानकारी न होने, कार्य में 

अवैध कमाई मलाई अधिक होने के कारण तथा जानकारी के अभाव 

में किसी तरह की आवाज न उठने का फायदा उठाने के लिए मुल्जिमान के हौंसले और बढ गये इसके बाद मुल्जिमान ने वर्ष2013 में नया रिवाईज सीवरेज प्रोजेक्ट स्वीकृत करवाया और वार्ड  न0 1,4,5,6, 12 एवं 13, 25 में  306 मीटर और बढवा लिया और इसका बजट 41.85 करोड बढवा लिया। रिवाईज प्रोजेक्ट में सीवरेज लाईन 37.6 किमी बढाई गई।

19.यह कि मुल्जिमानों ने संशोधित डीपीआर की रूफडिको से कोई 

स्वीकृृति नहीं ली गई और न ही प्रशासनिक वित्तीय व तकनीकी 

स्वीकृति ली गई।

20.यह कि इस मुल्जिमान ने बिना किसी प्लानिंग के स्वयं को सदोश 

अभिलाभ पहुॅंचाने  तथा नगरपालिका से सूरतगढ को सदोश हानि पहुॅंचाकर छल करके धनराषि हड़प कर लेने के आशय से ऐसा 

सीवरेज प्रोजेक्ट तैयार किया जिसकी कोई उपयोगिता नहीं थी। बिना प्लानिंग के अलग अलग वार्डों में सीवरेज का कार्य करवाया जिनकी कोई कनेक्टिवी नहीं थी जिनके  डिस्चार्ज के निस्तारण हेतु कोई व्यवस्था नहीं थी। नगरपालिका निधि को हडपने केे लिए बिना 

व्यवहारिक योजना के प्लान तैयार किये गये तथा कम्पनी जिसको 

टेन्डर दिया गया उसको धनराशि बिना कार्य किये हुये एडवांस दे दी 

गई। कार्य से पूर्व भुगतान करने से नगरपालिका कम्पनी पर आश्रित 

हो गयी। 

21.यह कि मुल्जिमानों का प्लान व षड़यन्त्र को उजागर करते हुये 

तत्कालीन अधिषाशी अधिकारी नगरपालिका सूरतगढ प्रियंका बुडानिया ने कार्यकारी निदेषक, रूफडिको जयपुर को पत्र क्रमांक 3733 दिनांक 15-10-2015 को पत्र लिखकर बताया कि आईएचएसडीपी योजना के अन्तर्गत डाली जारी सीवरेज लाईन के कार्य का एमओयू नगरपालिका ने राविल के साथ वर्ष 2010 में किया गया था जिसके तहत 63.305 किलोमीटर सीवरेज डालने की लागत 1016.76 

लाख निर्धारित की गई थी। परन्तु वर्तमान में 852.00 लाख का 

भुगतान के पश्चात 19.94 किलोमीटर सीवरेज ही डाली गयी।

22.यह कि ईओ प्रियंका बुडानिया ने आगे बताया कि राविल द्वारा एक 

संषोधित डीपीआर प्रस्तुत की गई थी जिसकी कोई स्वीकृति नहीं ली गई जिसके तहत 3017.43 लाख रूपये में 83.746 किलोमीटर सीवरेज लाईन डाली जानी प्रस्तावित की गई थी। 

23.यह कि इस संशोधित डीपीआर की कोई स्वीकृति रूफडिको से नहीं 

ली गई और लागत बढकर 3017.43 लाख हो जाने से 2000.67 

लाख रूपये की अतिरिक्त राशि की आवश्यकता थी तत्समय नगरपालिका की वित्तीय स्थिति सीवरेज कार्य को पूर्ण करने में 

सक्षम नहीं थी इसके अलावा राविल द्वारा डाली गई सीवरेज का निस्तारण नहीं होने से इसकी कोई उपयोगिता नहीं थी।यह कि मुल्जिमान इतने शातिर थे कि उन्होंनेे समय समय पर नुमाईशी तौर पर रूफडिको व आवास विकास लि0 को पत्र लिखकर सीवरेज की कमियां बताते रहे ताकि भविष्य में किसी के द्वारा कोई कार्यवाही किये जाने पर अपनी संलिप्तता से अपनी सजगता बताकर बच जाये। मुल्जिमान बनवारी लाल, नगरपालिका सूरतगढ के अधिकारी कर्मचारी व आवास विकास लि. एवं रूफडिको के 

अधिकारी कर्मचारी इस तरह मिले हुये थे कि वे पत्रों पर न तो कोई 

कार्यवाही करते थे और न ही नगरपालिका डीपीआर, डिर्जाइन, ड्राईंग व टेन्डर के मुुताबिक कार्य न होने पर भुगतान रोकते जब कि 

भुगतान नियमित तौर पर, अग्रिम तौर पर करते रहे और न तो संबंधित को कारण बताआओ नोटिस जारी किया न ही संंबंधित को ब्लैकलिस्टेड किया और न ही भुगतान रोका, और न ही विनिर्दिष्ट किया कि कौनसे वार्ड में कौनसे  प्वाइंंट पर कहा पर सीवरेज के नक्शे के मुताबिक किस अधिकारी की जाॅच के बाद क्या खामिया पायी गयी और उन्हें कब दुरस्त किया? जो स्पष्ट तौर पर दर्षाता है कि मुल्जिमान कार्य  करने वाले ठेेकेदार सेे भी शिकायत की आड़ में कार्यवाही का डर दिखाकर रूपये ऐंठने में मशगूल थे।

26.यह कि मुल्जिमान ने बेईमानीपूर्ण आशय से षड़न्त्र रचकर छल करके 

स्वयं को सदोश अभिलाभ तथा नगरपालिका व अन्य को सदोश हानि पहुॅंचाने के लिए कूटरचित दस्तावेज तैयार कर, न किये गये कार्य को किया हुआ दिखाकर, कूटरचित दस्तावेजों का असल के रूप में प्रयोग कर, राज्य सरकार के समय समय पर जारी आदेशों नगरपालिका कानून, नियमों का उल्लंघन, विधि का उल्लंघन करते हुये लोक सेवक होते हुए विधि के निदेश की जो उस ढंग के बारे में हो जिस ढंग से लोक सेवक के नाते उसके आचरण करना है जानते हुए अवज्ञा यह आशय रखते हुये 

कि जिससे परिवादी सहित विधि में यकीन रखने वाले प्रत्येक व्यक्ति को 

क्षति पहुॅंची। इसके अलावा मुल्जिमान ने यह जानते हुए कि लोक सेवक द्वारा प्रख्यापित आदेश से जिसे प्रख्यापित करने के लिए लोक सेवक विधिपूर्वक सशक्त है कोई कार्य करने से प्रविरत बचे रहने के लिए या अपने कब्जे या प्रबन्धाधीन किसी संपत्ति के बारे में कोई विशेष व्यवस्था करने के लिए निर्दिष्ट किया गया है ऐसे निदेश की अवज्ञा की, जिस अवज्ञा से बाधा क्षोभ या क्षति परिवादी व अन्य को कारित हुुई। मुल्जिमान छल करते हुये विधि विरूद्व रूप से भुगतान कर धनराशि हड़प कर गये। ०0०

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