शनिवार, 16 सितंबर 2023

सूरतगढ:कांग्रेस टिकट का असली हकदार तो है यह जुझारू:40 साल का संघर्ष एक इतिहास.

 



* करणीदानसिंह राजपूत *
सूरतगढ सीट पर 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की टिकट के 13 दावेदारों में असली हकदार तो है बलराम वर्मा जिसके संघर्षों का इतिहास है और हर संकट में 40 सालों से वर्मा पीड़ित जनता के बीच आवाज उठाता हुआ मौजूद रहा है।
एक बार सूची देखें की सन् 2023 चुनाव के लिए टिकट कौन कौन चाहता है जिन्होंने आवेदन फार्म भरे हैं।
1- हनुमान मील
2- डूंगरराम गेदर
3- बलराम वर्मा
4-परमजीत सिंह रंधावा
5-अमित कड़वासरा
6- जुलेखां बेगम
7-इन्द्रजीत रंधावा
8-अमरसिंह गोदारा
9-प्रभुराम सेन
10-कृष्ण गोदारा
11-बालूराम जालप
12-कालूराम थोरी
13-गगनसिंह वडिंग.
* इन तेरह आवेदकों में जनता के बीच उपस्थित रहने वालों के नाम क्रम से लिखें तो पहले नम्बर पर बलराम वर्मा और दूसरे नम्बर पर डुंगरराम गेदर आते हैं। बलराम वर्मा 40 सालों से संघर्ष में हैं और डुंगरराम गेदर के लगभग आधे यानि 20-25 साल। दोनों ही मूल ओबीसी कुम्हार जाति से हैं। आन्य आवेदकों का संघर्ष का बड़ा रिकार्ड  नहीं है। इतिहास केवल है तो वह नाम केवल बलराम वर्मा का ही है।
* बलराम वर्मा टिकट के असली हकदार पिछले चुनावों में भी रहे मगर जब हर चुनाव में टिकट काटी जाती रही तो इस बार टिकट के लिए 2022 में ही मुंह खोलना पड़ा और साफ चुनौती देनी पड़ी जो बलराम वर्मा की ताकत प्रगट करती है। बोलेगा वही जिसमें संघर्षों की शक्ति होगी और इसी शक्ति ने बलराम वर्मा का मुंह खुलवाया। वर्मा की बात पर गौर करना चाहिए।
बलराम वर्मा ने पत्रकार वार्ता  1 मई 2022 में घोषणा की कि वे पहले कांग्रेस पार्टी से ही  टिकट मांगेंगे और टिकट नहीं मिली तो भी हर हाल में चुनाव लड़ेंगे। वर्मा ने कहा था की हकदार होते हुए भी पहले तीन बार उनकी टिकट काट दी गई ,इसलिए यदि इसबार गड़बड़ी हुई तो हर हालत में चुनाव लड़ेंगे। टिकट काटने का यह खेल बारबार सहन नहीं हो सकता। वर्मा ने बताया कि पिछली बार 2018 में टिकट ऐन मौके पर काटी गई। उस समय समर्थकों ने चुनाव लड़ने का कहा लेकिन सात आठ दिन में तैयारियां करना संभव नहीं था। उस समय समर्थकों की आशाओं को पूरा नहीं कर सका इसलिए 2023 के चुनाव से 18 महीने पहले ही घोषणा की है। इसी घोषणा से ही गांवों में सम्पर्क अभियान शुरू किया। वर्मा गांवों में सबसे अधिक घूम चुके हैं और लोगों से रिकॉर्ड संपर्क भी कर चुके हैं।
बलराम वर्मा ने कहा था कि चुनाव में खर्च करने को लाखों रुपये तो नहीं है लेकिन संघर्षों और समर्थकों का साथ है जिसके बल पर चुनाव लड़ा जाएगा।
वर्मा ने बताया था कि छात्र दिनों से ही संघर्षों में जूझने लगे और अभी भी जनता के मजदूर किसान व्यापारी,नौजवानों  साथ खड़े हैं। कालेज आंदोलन, थर्मल,सिंचाई पानी,सूरतगढ़ फार्म,जिला बनाओ आदि अनेक आंदोलनों का इतिहास रहा है। उन्होंने कहा कि सन् 2008 से जिनको कांग्रेस की टिकट दी जाती रही है उनका कोई संघर्ष आंदोलन में नाम भी नहीं रहा। 
उन्होंने कहा कि कांग्रेस की टिकट कोई भी मांगे, सभी को टिकट मांगने का चुनाव लड़ने का हक है, लेकिन वे इसबार समर्थकों के आग्रह को टाल नहीं सकते। 
उन्होंने कहा कि अनेक चुनावों का अनुभव है।  सूरतगढ़ नगरपालिका पार्षद रह चुके हैं। रामपुरा पंचायत से सरपंच रह चुके हैं। सन 2003 में विधानसभा चुनाव पीलीबंगा सीट पर 18 हजार वोट और सूरतगढ़ सीट पर 40 हजार वोट मिलने का रिकॉर्ड रहा है। वर्मा का वकील पुत्र और उसकी पत्नी भी नगरपालिका में पार्षद रह चुके हैं।
वर्मा से जब पूछा गया कि चुनाव किन मुद्दों पर लड़ेंगे। उन्होंने जवाब दिया था कि सूरतगढ़ शहर और गांवों में अनेक मुद्दे हैं। अकेले शहर में 60 हजार से अधिक वोट हैं जहां मुद्दों की भरमार है।
नगरपालिका भ्रष्टाचारों से भरी है जो सबसे बड़ा मुद्दा है।
बलराम वर्मा ने बताया कि अशोक गहलोत सन 2004 के लोकसभा चुनाव में घर आए और कांग्रेस में आग्रह से शामिल किया। आज भी सूरतगढ़ से जिला और प्रदेश राजधानी जयपुर तक उनका संपर्क हैं जिसका लाभ पीड़ित लोगों की समस्याओं को समाधान कराने में इस्तेमाल करते हैं
कांग्रेस पार्टी में आज टिकट के असली हकदार तो केवल बलराम वर्मा हैं। यह माना जाता है कि बलराम वर्मा को कांग्रेस की टिकट मिले और वे जीते तो उनका घर जनता के लिए हर वक्त खुला मिलेगा। कोई घंटी नहीं बजानी होगी कोई पूछना नहीं पड़ेगा। बलराम वर्मा के बराबर कोई लोकप्रिय नहीं है किसी का संघर्षों का इतिहास नहीं है। फिर भी देखते हैं पार्टी किसको प्रत्याशी बनाती है।
कांग्रेस दो बार लगातार हार चुकी है। दोनों बार टिकट मील परिवार में दिए गये। 2013 में पूर्व विधायक गंगाजल मील को पुनः टिकट दिया लेकिन वे नहीं जीते। 2018 में उसी कुनबे से हनुमान मील को टिकट दी गई और वे भी जीत नहीं पाए। अब लोग बदलाव चाहते हैं। कांग्रेस के टिकट बांटने वाले नेता जनता की आवाज सुनेंगे तो टिकट असली हकदार को मिलेगी।०0०
16 सितंबर 2023.
करणीदानसिंह राजपूत,
पत्रकारिता 59 वर्ष.
( राजस्थान सरकार से अधिस्वीकृत)
सूरतगढ ( राजस्थान)
94143 81356.
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