* करणीदानसिंह राजपूत *
सूरतगढ़ सीट पर जीत सुनिश्चित करने के लिए भाजपा और कांग्रेस में चुनावी दांव नये चेहरों पर होंगे और यह जनता की उठ रही मांग को ध्यान में रख कर होगा। पुराने चेहरे रिपीट नहीं हो पाएंगे।
भाजपा में पुराने चेहरों में वर्तमान विधायक रामप्रताप कासनिया (2018), पूर्व विधायक राजेंद्र सिंह भादु( 2013) और पूर्व विधायक अशोक नागपाल(2003) हैं।
कांग्रेस में पुराने चेहरों में पूर्व विधायक गंगाजल मील ( 2008 में जीते मगर 2013 में हारे )
मील परिवार के ही हनुमान मील ( 2018 में लड़े मगर हार गये) कांग्रेस ने सूरतगढ़ सीट कमजोर मान रखी है। मील परिवार की लगातार दो बार की हार का बड़ा कारण ही यहां सीट पर कांग्रेस को कमजोर बता रहा है। सूरतगढ़ में कांग्रेस की बागडोर मील के पास होने और काम नहीं होने का बड़ा आरोप है जो जनता का है। भाजपा से सीट छीनना ध्येय है। भाजपा नया चेहरा उतारेगी इसलिए कांग्रेस को भी नया चेहरा उतरना जरूरी है।
भाजपा मोदी का नाम और काम प्रचारित करते हुए चुनाव लड़ेगी। यह प्रचार शुरू भी कर दिया गया है। कांग्रेस अशोक गहलोत के शासन की उपलब्धियां गिनाते हुए चुनाव लड़ेगी और यह कार्य शुरू हो चुका है। मील के स्वयं की कोई उपलब्धि गिनाने वाले काम नहीं है लेकिन विवाद अधिक हैं। मील और कांग्रेस के अन्य नेताओं के बीच की दूरियां भी नये चेहरे का कारण बनी है।
हनुमान मील की टिकट पक्की वाली बात नहीं है और न उनको कोई हरी झंडी दी गई है। भाजपा में भी अभी किसी को भी हरी झंडी नहीं दी गई है।
* अभी तक कांग्रेस और भाजपा में टिकट का ईशारा नहीं हुआ है।
* कांग्रेस 100 सीटों पर नये प्रत्याशी उतारेगी की ही चर्चा है, मतलब पुराने चेहरे रिपीट नहीं होंगे।
भाजपा भी 100 के लगभग सीटों पर टिकट बदलाव करेगी। कांग्रेस भाजपा में नये चेहरों में टक्कर होगी। यही पक्की संभावना है। ०0०
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