रविवार, 15 जनवरी 2023

श्मशान में सब राख होते देखते हैं: वहां मिलता है ज्ञान और कालचक्र का संदेश.

 



* सीख कथा:करणीदानसिंह राजपूत *


श्मशान में जलती चिता के समीप  नगर के नगर पालिका अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा, शिप्रा कॉलोनी के मालिक भाजपा नेता शरण पाल सिंह मान,कांग्रेस के नेता हनुमान मील, कानून के ज्ञाता नोटरी एन.डी.सेतिया और  धनसंपदा के कई  धरती मालिकों से मिलना हुआ। हर बार होता है जब श्मशान में आते हैं कोई न कोई धन संपदा और नेता जनप्रतिनिधि मिलते ही हैं। मैं गुणी ज्ञानी लोगों से मिलता हूं और कुछ सीखता हूं। श्मशान में तो सभी गुणी ज्ञानी होते हैं।

* श्मशान में मृत के प्रति सुनते हैं।*

'अचानक चला गया। कष्ट नहीं पाए। किसी से सेवा नहीं करवाई।'

'बहुत भोग रहा था। काया से मुक्ति मिली,भगवान ने उठाकर अच्छा किया।'

'भला आदमी था।आदमीयतता इंसानियत थी'

जितने आदमी उतने ही बोल और सभी अनमोल।


* आज तो दिन भी महान पवित्र मकर संक्रांति  पर्व का दिन और पवित्र मुक्ति स्थल शमशान में जलती चिता जो सब भस्म कर देती है।

श्मशानिया वैराग ( मसाणिया बैराग) यहीं होता है। श्मशान वह स्थान जहां सबको सबसे अधिक ज्ञान की प्राप्ति होती है और  एक दूसरे को ज्ञान दिया जाता है लिया जाता है।

* सब कुछ पद, अथाह चल अचल संपत्ति, बैंक बैलेंस, अट्टालिकाएं आदि  कोई साथ नहीं जाती। मृत देह को जलते हुए राख में बदलते हुए सभी देखते हैं। सब कुछ आंखों के सामने होता है।यहां बैराग उत्पन्न होता है। संसार तुच्छ नजर आता है। यही चिंतन मनन करते हुए सभी अपने अपने घरों को लौट भी जाते हैं।

श्मशान घाट आते हैं तब आवाज उठती रहती है 'राम नाम सत्य है सत्य बोलो गत है', लेकिन लौटते वक्त सब चुपचाप लौटते हैं।

श्मशान से बाहर निकलते ही पुनः अपना पद अपना कद अपनी नेतागिरी अपनी संपत्ति अपनी अट्टालिकाएं अपना व्यवसाय अपना वैभव नजर आता है और सभी उसमें खो जाते हैं। 

अपने को सबसे ऊंचा और दूसरों को सबसे नीचा मानते ही नहीं बल्कि दूसरे को नीचा दिखाने के सारे प्रयत्न पुन: शुरू कर देते हैं। देख कर के आए हैं कि शरीर मर जाता है। उसे जला दिया जाता है।कुछ भी साथ में नहीं जाता।लेकिन कुर्सी पर बैठते ही नेतागिरी भी शुरू होती है और पद कमीशन ठेके लेन देन भी शुरू हो जाता है। मानव स्वभाव है, यह कहा जाता है। मर जाता है तब भगवान की इच्छा कहकर नमन कर देते हैं।


 एक दूसरे से बात कर कहते हैं। जनता के साथ मीठे वचन और सदाचरण का व्यवहार होना चाहिए। लेकिन अपना अभिमान शुरू हो जाता है। इसे मानव स्वभाव कह लेते हैं।

जब कोई जानकर भी मानता नहीं। जब कोई जन की सेवा नहीं करता। जब कोई जन की नहीं सुनता। तब अदृश्य कालचक्र प्रगट होता है। वह सब कुछ छीन लेता है शिखर से धरती पर पटक देता है। मान सम्मान वैभव धूलधूसरित हो जाते हैं। केवल एक ही आवाज़ अकेले को सुनाई देती है 'मैं समय हूं,पल पल बदलता हूं क्षण क्षण बदलता हूं और काल रूप में प्रगट होता हूं।०0


15 जनवरी 2023.

करणीदानसिंह राजपूत,

पत्रकारिता लेखन 1965-66 से निरन्तर.

( राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय से अधिस्वीकृत स्वतंत्र पत्रकार)

सूरतगढ़ ( राजस्थान )

94143 81356.

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