मंगलवार, 31 जनवरी 2023

अजगरी जा सकने की चिंता से अजगर परेशान.राजूरोग से भूख गायब.










* करणीदानसिंह राजपूत * 


अजगर बीमार है। बीमार नहीं है तो किसी बीमारी के आने के लक्षणों के दिखने से महसूस करने से परेशान जरूर है। यह परेशानी भीतर भीतर काया को खाए जा रही है। काया सिकुड़ते हुए पतली होने लगी और रंग अधिक काला। समय रहते वजन कराकर ईलाज कराना भी जरूरी। 


चिकित्सक भी चैक करता है तो पूछता जाता है। वजन भी करवा लेता है। 

' भूख लगती है? खुराक पहले और अब में कितना फर्क आया? भूख लगना कब से बंद है?

अजगर को भय लगने लगा है कि उसे पिंजड़े में बंद कर देंगे तब क्या होगा? वह खुद अपना बचाव करने के लिए चुपचाप सब छोड़ चला जाए। लेकिन यह भी कोई बता नहीं रहा।

राजेन्द्र जैन ने अजगर कहानी लिख कर सारा जीवन किरकिरा कर दिया और अब दूर खड़ा तमाशा देख रहा है।


 मील पाल रहे थे। अजगर मोटा लंबा होते रोजाना फैलती काया से खुश। मौका मिलने वाला था।  मील को चखने का स्वाद मिलता। अच्छे दिन लगातार नजदीक आ रहे थे। अचानक कहानी ने सब उलटपुलट कर दिया। मील ने भोजन पानी सब पर खोजबीन शुरू कर दी। 

खुला खेल तो चल नहीं सकता। रोजाना टटोल रहे हैं कि पूर्व में किस दिन क्या खाया? छिप नहीं रहा। इस खोजबीन रिकॉर्ड से खानापीना छूटने लगा। अब यह रोग नहीं। मगर रोग से कम भी नहीं। चिंता सबसे बड़ा रोग। चमकती काया सिकुड़ कर आधी रह गई। अचानक सामने आया कि यह तो राजूरोग है और  राजरोग बन रहा है। कसूता रोग।


 रोग में नया खून बनता नहीं। साथियों से खून मांगना हैं। यहां भी सोच सोच कर परेशानी बढ रही है। नजदीकी साथियों ने मना कर दिया तब क्या होगा? बड़ी आफत खड़ी कर दी कहानी ने।


न जाने कब क्या हो जाए। सोच सोच चिंता कर ही राजरोग बढ रहा है। चुड़ैल सी विशाल चिंता पीछा नहीं छोड़ रही। माफी मांगना उचित। मगर माफी तो नहीं मांगता। मन कहता है सात आठ महीने की बात है। निकाल टैम जैसे तैसे। चुनाव तक हाथाजोड़ी।०0०


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