रविवार, 31 अक्टूबर 2021

बढ़ते नशे बिगड़ते युवा दोषी कौन? पुलिस या फिर हम सब

 





* करणीदानसिंह राजपूत *
शराब की लत ने घरों को परिवारों को समाज को तहस-नहस कर दिया और उसके ऊपर फिर स्मैक का नशा दवाइयों का नशा इतना बढ़ गया है कि हर घर कहीं ना कहीं प्रभावित हो रहा है।
सामान्य रूप से हर समय पुलिस सामने खड़ी नजर आती है और सभी कह देते हैं कि नशा बढ़ रहा है और पुलिस कोई कार्यवाही नहीं कर रही लेकिन क्या यह आरोप सत्य है या फिर हम अनजाने में यह लगा देते हैं? हो सकता है कि पुलिस की कुछ ढील से नशे की प्रवृत्ति पर रोक लगने में बाधा आ रही हो। लेकिन पुलिस आबकारी विभाग ड्रग कंट्रोलर आदि सभी के निरीक्षण जांच छापे आदि की कार्यवाही के नियम बने हुए हैं। अनेक नियम ऐसे हैं जिसमें पुलिस सीधे कोई कार्यवाही नहीं कर सकती। मेडिकल स्टोर पर नशे की गोलियां बिकने के आरोप लगते हैं लेकिन पुलिस ड्रग इंस्पेक्टर के बिना वहां कार्यवाही नहीं कर सकती। शराब की दुकान पर पुलिस छापा नहीं मार सकती वहां पर आबकारी विभाग कार्यवाही करता है। अवैध शराब सार्वजनिक स्थल पर पी जाती है बेची जाती है नियम के विपरीत अधिक मात्रा में कहीं स्टॉक होता है या अवैध परिवहन हो रहा है तो पुलिस कार्यवाही कर सकती है।आबकारी विभाग को बहुत से अधिकार दिए हुए हैं।
नशे के अनेक रूप हैं और हर रूप व्यक्ति के स्वास्थ्य को बिगाड़ने वाला है। समाज का हर व्यक्ति यह बात जानता है।जो व्यक्ति नशा ले रहा है वह भी इस बात को जानता है।
कार्य गलत हो रहा है।कानून के विपरीत हो रहा है।अवैध आपराधिक कार्य करने वाले लोग हमारे आस पास के होते हैं लेकिन आरोप पुलिस पर लगता है कि सरेआम नशा बेचा जा रहा है और पुलिस कार्यवाही नहीं कर रही।
जो व्यक्ति गैर कानूनी ढंग से चोरी-छिपे नशे की सामग्री बेचता है। वह गुप्त होते हुए भी कहीं कम कहीं ज्यादा आसपास के लोगों को मालूम होता है कि फलां व्यक्ति यह कार्य कर रहा है। लेकिन वह व्यक्ति परिवार का है।परिवार का है इसलिए उसकी शिकायत नहीं होती। परिवार के व्यक्ति की शिकायत कैसे करें? समाज का व्यक्ति है उसके विरुद्ध शिकायत नहीं हो सकती। पड़ोस का व्यक्ति है उसके विरूद्ध भी शिकायत नहीं हो सकती। मिलने वाला है मित्र है परिचित है उसके विरूद्ध भी शिकायत नहीं हो सकती।
बेचारा गरीब है। यह धंधा करके अपने बच्चों का पेट पाल रहा है जैसे तैसे परिवार चला रहा है। अब उसके विरुद्ध भी शिकायत नहीं हो सकती तो फिर शिकायत किसके विरुद्ध हो। लोक प्रसिद्धि में एक ही विभाग बचता है जो सामने नजर आता है। वह पुलिस विभाग है। उसके कांस्टेबल पर थानेदार पर निरीक्षक पर चाहे जब आरोप लगा दें। बड़े आराम से यह चलता है।
कोई पूछ ले कि कहां बिक रहा है नशा? कौन बेच रहा है नशा? तब लोग बताना नहीं चाहते। अगर लोग बताएं तो फिर निशा बिकेगा भी नहीं लेकिन ऐसा किया नहीं जाता। पुलिस पकड़ ले तो गलत को पकड़ लिया, कहने वाले भी आगे आ जाते हैं। 
राजनीतिक प्रभावी लोग दबाव से नशा बिकवाते हैं और पुलिस पकड़ धकड़ कर भी लेती है तो उस अधिकारी की खैर नहीं। उस पर अनेक दबाव। वहां उस अधिकारी के पक्ष में लोग और संस्थाएं सामने नहीं आती। उस नेता के राजनीतिक दल के सदस्य हैं तो शिकायत क्यों करें? पुलिस या अन्य अधिकारी जाएगा तो नया आ जाएगा। नेता से क्यों बिगाड़ी जाए? लोगों की हर कदम पर पलट जाने की प्रवृत्ति में अधिकारियों की पुलिस की क्या हालत होती है? यह  हर कोई जानता है।
हां, कुछ मामलों में लोग भयभीत रहते हैं कि नशा बेचने वाला गुंडा प्रवृत्ति का है। वह मारपीट करने में आगे रहने वाला है तब सामान्य रूप से लोग उसके विरुद्ध शिकायत नहीं करते। 
हालांकि पुलिस विभाग आबकारी विभाग चिकित्सा और स्वास्थ्य विभाग सभी की ओर से कहा जाता है कि व्यक्ति अवैध कार्यों की शिकायत गुप्त रूप से कर सकता है। उसका नाम उजागर नहीं होगा लेकिन फिर भी लोग भयभीत रहते हैं।
सच्चाई को समझा जाए तो जरूरी नहीं है कि व्यक्ति सामने आए। वह किसी भी तरह की गोपनीयता रखते हुए नाम छुपाते हुए शिकायत कर सकता है।
हमारे आसपास दारू का नशा ही नहीं है। अब नया रूप स्मैक जिसे चिट्टा नाम मिला है मतलब सफेद। वह चिट्टा बढ़ रहा है। मेडिकल नशा बढ़ रहा है। हजारों नशीली दवाइयों की गोलियां हर रोज पकड़ी जा रही हैं। सजा भी बहुत है जुर्माना भी बहुत है,मगर फिर भी लाखों रुपए कमाने के चक्कर में ये अपराध बढ़ रहे हैं  और इसमें नए-नए लोग गैर कानूनी कार्यवाहियों में लिप्त होते जा रहे हैं।
ऐसे लोगों को बदलने,सही रास्ते पर लाने के लिए कदम बढ़ाए जाएं तो कोई भी कार्य मुश्किल नहीं हो सकता। नशे की प्रवृत्ति को रोकने के लिए व्यक्ति को सामाजिक संस्थाओं को आगे आना ही होगा।
दि. 31 अक्टूबर 2021.
करणी दान सिंह राजपूत
पत्रकार (राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय से अधिस्वीकृत)
सूरतगढ़ ( राजस्थान)

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