*स्वामी आनंद प्रेम (हनुमान मल सेठिया)का ईश्वर में लीन होना*
* करणीदानसिंह राजपूत*
मेरे मित्र मेरे भ्राता ओशो भक्त स्वामी आनंद प्रेम करीब 70 वर्ष की उम्र में 30 अक्टूबर 2020 को संसार से चले गए। पिछले छह सात दिनों से रुग्ण हुए और बीकानेर की फोर्टिस ब्रांच में देह त्यागी। अंतिम संस्कार 31 अक्टूबर 2020 गंगाशहर बीकानेर में। कोरोना महामारी में एकदम सीमित परिजन।
सरकारी नौकरी में बहुत ईमानदारी कर्तव्यनिष्ठा से कार्य किया। श्रम और रोजगार विभाग में अधिकारी पद से बीकानेर से सेवानिवृत्ति हुई। श्रीगंगानगर बीकानेर अजमेर बाड़मेर आदि विभिन्न स्थानों पर भी रहे और हर जगह है अपनी कर्तव्यनिष्ठा की छाप छोड़ी।
श्रम और रोजगार विभाग में पंजीकृत होते नौकरी की आयु में 2 या 3 दिन बाकी होते उन बेरोजगारों को प्राथमिकता से तुरंत नौकरी लगाने के लिए कोई न कोई व्यवस्था करने में आगे रहते थे। ऐसे अनेक लोगों को सरकारी नौकरी में लगाया था।
छात्र रूप में जब थे तब गंगा शहर के निवास पर मैं अनेक बार रुका। बडे़ भाई स्व.इन्द्र चंद सेठिया,स्व.छगनमल सेठिया सहित यह संयुक्त रूप से रहते थे। सबसे बड़े भाई स्व.भंवरलाल सेठिया थे जो ठेकेदारी करते थे।
हम आधी आधी रात तक हम विभिन्न विषयों पर बहस किया करते थे चर्चा किया करते थे। यह वक्त था 1967 सेे 70 के आसपास का। उनके बड़े भाई इंद्र चंद सेठिया भारतीय जीवन बीमा निगम के अधिकारी रहे। एक बड़े भाई छगन मल सेठिया सूरतगढ़ में व्यवसाय और सूझबूझ वाले भाजपा नेता रहे।
हम चारों यानि इन्द्रचंद,छगन,हनुमान और मै गंगाशहर के घर में किसी किसी विषय पर चर्चा शुरू करते और अनेक विषयों को समेटने के बाद में आधी रात बीतने के बाद ही को सोया करते थे।
अनेक बार मिलना हुआ लेकिन अभी पिछले काफी समय से मैं मिल नहीं पाया।
सूरतगढ़ में मिलना विभिन्न कार्यक्रमों में होता रहा।
*स्वामी आनंद प्रेम का पूर्व नाम हनुमान मल सेठिया था।ओशो प्रेम में रंगने के बाद उन्होंने अपना नाम बदल लिया और सरकारी सेवा में भी नया नाम स्वामी आनंद प्रेम हो गया।
उन्होंने अपने आप को ज्यादा ध्यान मग्न अवस्था में डाल दिया था।
ओशो के बारे में भी चर्चाएं होती थी कैसेट भी सुनते थे।ओशो के मीरा महावीर कृष्ण के अलावा विदेशी महापुरुषों पर भी जो वक्तव्य हुए उनकी भी बहुत सी किताबें ग्रंथ रूप में मैंने भी पढी। बहुत चर्चाएं होती थी। अनेक ओशो सेमिनारों में ध्यान ज्ञान केंद्र समारोह आदि में वे भाग लेते थे। उनके अनेक मित्र इस विचारधारा के विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न स्थानों पर कार्यरत हैं।
करीब 10-12 साल पहले जब वे सेवानिवृत्त हो गए उसके बाद में अधिक से अधिक ध्यान लगाने में ही रहे । 70 वर्ष की आयु में ईश्वर में विलीन होना प्रकृति का नियम। जब मिलते संसार मृत्यु जीवन इन विषयों पर भी चर्चा होती थी। मृत्यु से क्या डरना है वह तो स्वाभाविक
रूप से आएगी और कभी भी आ सकती है।
* स्वामी आनंद प्रेम के दो पुत्र हैं। पत्नी सरकारी अध्यापिका और अब सेवा निवृत्त हैं। एक पुत्र चार्टेड एकाउंटेंट और एक लेक्चरार है।
गंगाशहर बीकानेर में इनका निवास है।
*सूरतगढ़ में उनके भतीजे मनोज कुमार सेठिया एलआईसी में है माणक सेठिया सुशील सेठिया व्यवसायिक क्षेत्र में है*
* स्वामी आनंद प्रेम आयु में मेरे से करीब छह साल छोटे थे। नमन!*