जयपुर। राज्य में विधान सभा चुनाव की आचार सहिंता दो महीने बाद लगेगी लेकिन इसका असर सरकार में अभी से देखने को मिल रहा है।
सचिवालय में आचार सहिंता के होने वाले संभावित असर का आलम यह है कि फाइलों को चलाया नहीं दौड़ाया जा रहा है जिससे सीएमओ तक तत्काल निस्तारण हो जाए।
मंत्री हो या अधिकारी इन दिनों सभी हर तरह से फाइलों को निस्तारण कराने की कोशिश में लगे हुए हैं। मंत्री और अधिकारी इसलिए भी जल्दी में हैं कि मुख्यंमंत्री चुनावी यात्रा में व्यस्त हैं और किसी तरह उनकी फाइल सीएमओ पहुंच जाए और फिर सीएम की तत्काल मंजूरी मिल जाए।
फाइलें लाल बस्तों में नहीं हाथों में जा रही हैं
मंत्री कहीं भी रातों रात रवाना करो कर्मचारी को
साधारण रूप से सचिवालय में फाइलें धीमी से चलती हैं और लाल बस्ते में बंद कर सीएमओ, मंत्री या अफसरों के कार्यालय भेजी जाती है और वापस लाई जाती है। इस प्रक्रिया में दस से पन्द्रह दिन लगना तो आम बात है। लेकिन इन दिनों फाइलें बाबूओं की टेबल से निकल कर मंत्रियों और अफसरों के हाथों में चल रही है। मंत्री और अफसर बिना कोई समय गवांए खुद ही फाइलों को लेकर सीएमओ पहुंच रहे हैं कि उनकी जरूरी फाइलें किसी तरह निस्तारित हो जाएं।
बीते दिनों जनता से सीधे जुडे़ कुछ विभागों में ऐसे मामले भी सामने आए जब फाइल को विभागीय मंत्री से क्लीयर कराने के लिए रातों रात विभागीय कर्मचारी को भेजा गया। अगले दिन विभागीय कर्मचारी मंत्री से फाइल क्लीयर करा कर फाइल को सचिवालय लेकर आ गया। अफसरों का कहना है कि चुनाव आचार सहिंता लगने से पहले जरूरी फाइलों को मंत्री और सीएमओ से क्लीयर कराया जा रहा है क्योंकि आचार सहिंता लगने के बाद फिर अगली सरकार ही फाइलों को लेकर निर्णय लेगी।
सबसे ज्यादा जल्दी सीएमओ जाने वाली फाइलों को लेकर
जानकारी के मुताबिक उन फाइलों को जल्दी क्लीयर कराने की जल्दबाजी है जिन्हें सीएमओ भेजना है और मुख्यमंत्री की मंजूरी लेनी है। चूंकि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अब पूरे दो महीने प्रदेश के साथ ही दिल्ली के दौरों पर रहेंगी लिहाजा हर विभाग के मंत्री और अफसरों को अपने विभाग की फाइल को क्लीयर कराने की जल्दबाजी है। क्योंकि मुख्यमंत्री को जब भी थोडा बहुत समय मिलेगा वे महत्वपूर्ण और जनता से सीधे जुडे मामलों पर अपनी मंजूरी देंगी।
आचार सहिंता के बाद निर्वाचन विभाग सुपर सरकार
चुनाव आचार सहिंता लगने के दिन से ही सरकार का रिमोट कंट्रोल पूरी तरह से निर्वाचन विभाग के हाथ में आ जाता है। फिर निर्वाचन विभाग कडे परीक्षण के बाद ही किसी पत्रावली पर आयोग से क्लीयरेंस लेता है। हालांकि आयोग भी जनहित से जुडे मामलों में अनुमति देता आया है। से अनुमति लेनी होगी, आचार सहिंता लागू होने के बाद महत्वपूर्ण मामलों की पत्रावलियों पर मंजूरी लेने के लिए सीएमओ समेत अन्य विभागों को चुनाव आयोग की अनुमति लेनी होगी। वैसे जनता से जुडे मसलों पर चुनाव आयोग सकारात्मक रवैया अपनाता रहा है और जनहित को देखते हुए अपनी मंजूरी जारी कर देता है और फिर राज्य सरकार अपनी स्वीकृति देती है।
साभार