मंगलवार, 6 फ़रवरी 2018

सुब्रमण्यम स्वामी ने रक्षा मंत्री के खिलाफ राष्ट्रपति को लिखा खत

  जम्मू-कश्मीर में सेना के जवानों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी का मामला बड़ा सियासी मुद्दा बनता जा रहा है। भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने खुद अपनी ही सरकार की रक्षा मंत्री के खिलाफ महामहिम राष्ट्रपति को पत्र लिखा है। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के खिलाफ राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को लिखे खत में स्वामी ने महामहिम से आग्रह किया है कि वे रक्षा मंत्री को तलब कर उनसे सैनिकों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी मामले पर स्पष्टीकरण लें। 

राष्ट्रपति को संविधान की धारा 78 (सी) का स्मरण कराते हुए स्वामी ने लिखा है कि इस धारा के तहत यदि राष्ट्रपति चाहें तो मंत्रिमंडल के किसी भी मंत्री के निर्णय पर वे पीएम से पूछताछ कर सकते हैं। राज्य की मुख्यमंत्री के जरिए सैनिकों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को बेहद संवेदनशील मुद्दा बताते हुए स्वामी ने राष्ट्रपति से सीधे रक्षा मंत्री को तलब कर पूछताछ करने की मांग की है। 

मंगलवार 6 फरवरी 2018 को राष्ट्रपति को लिखे दो पन्नों के खत में स्वामी ने जम्मू-कश्मीर में सैनिकों के खिलाफ दर्ज हुए प्राथमिकी को लेकर सीधे रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण पर आरोप जड़ा है। स्वामी ने लिखा है कि अफसपा (एफएसपीए कानून) कानून की धारा 7 के तहत प्राथमिकी दर्ज करने के लिए केंद्र सरकार से अनुमति की जरूरत होती है।

अब सवाल यह उठता है कि क्या यह लागू हुआ है, यदि हां तो अनुमति किसने दी है। राष्ट्रपति को लिखे खत के साथ स्वामी ने मामले में पीएम को लिखा खत भी भेजा है। स्वामी ने लिखा है कि उन्होंने मामले में निर्मला सीतारमन से पूछा है लेकिन वे बीते 10 दिनों से चुप्पी साधे हुए हैं। 

स्वामी का आरोप निर्मला की अनुमति से सेना के खिलाफ हुआ एफआईआर

स्वामी ने आरोप लगाया है कि जम्मू-कश्मीर में सेना के खिलाफ दर्ज एफआईआर रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की अनुमति से हुआ है। राष्ट्रपति को लिखे खत में इसका प्रमाण देने के लिए स्वामी ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा में मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के जरिए दिए वक्तव्य का हवाला दिया है। जिसमें महबूबा ने विधानसभा में कहा है कि सेना के खिलाफ दर्ज हुआ एफआईआर रक्षा मंत्री की अनुमति के बाद राज्य सरकार के निर्दश पर हुआ है। स्वामी ने कहा है कि महबूबा के इस बयान के बावजूद भी रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन पिछले 10 दिनों से मामले में चुप्पी साधे हुए हैं। 

स्वामी का आरोप है कि सरकार का यह कदम सेना के मनोबल को गिराने वाला है।

राष्ट्रपति को उन्होंने जानकारी दी है कि इस मामले में उन्होंने रक्षा मंत्री से स्पष्टीकरण भी मांगा था। लेकिन अब तक रक्षा मंत्री का स्पष्टीकरण नहीं आया है। स्वामी का आरोप है कि सरकार का यह कदम सेना के मनोबल को गिराने वाला है। जोकि देश की रक्षा के लिए सीमा पर रोजाना अपने जान गंवा रहे हैं।

स्वामी ने संविधान की धारा 77 (1) का हवाला देते हुए लिखा है कि भारत सरकार की सभी कार्यकारी कार्यवाई राष्ट्रपति के नाम पर होती है। इसलिए राष्ट्रपति को सीधे रक्षा मंत्री को तलब कर मामले में पूछताछ करनी चाहिए। 

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