बाबा गुरमीत राम रहीम के डेरा सच्चा सौदा सिरसा में जमीन में नरकंकाल दफन होने का असली सच सामने आया है, जो होश उड़ा देगा। एसआईटी से पूछताछ में मंगलवार 19 सितंबर को डेरा सच्चा सौदा प्रबंधन कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ. पीआर नैन ने बड़ा खुलासा किया है। नैन ने एसआईटी को बताया है कि डेरे की जमीन में 600 लोगों की अस्थियां दबी हैं। नैन ने इससे जुड़ा सारा रिकॉर्ड एसआईटी को सौंप दिया है। पीआर नैन मंगलवार शाम 5.40 बजे शहर थाने में आया था।
एसआईटी इंचार्ज डीएसपी कुलदीप बेनीवाल ने उससे रात आठ बजे तक करीब ढाई घंटे में 50 सवाल किये। एसआईटी ने एक दिन पहले सोमवार को डेरा सच्चा सौदा की चेयरपर्सन विपसना इंसा से करीब सवा तीन घंटे तक पूछताछ की थी। एसआईटी ने मंगलवार शाम डॉ. पीआरनैन से शहर थाने में पूछताछ की। एसआईटी ने पीआर नैन को नोटिस भेजकर जांच में शामिल होने का निर्देश दिया था।
बताया जाता है कि डेरा सच्चा सौदा में खेती की देखरेख का जिम्मा पीआर नैन का है। इसलिए एसआईटी ने उनसे पहला सवाल किया कि डेरे की जमीन में पेड़-पौधों के नीचे क्या नर कंकाल दबे हैं? इस पर नैन ने जवाब दिया कि डेरा अनुयायियों का ऐसा विश्वास है कि मौत के बाद अगर उनकी अस्थियां डेरे की जमीन में दबाई जाएंगी तो उन्हें मोक्ष मिलेगा।अनुयायियों की इच्छा के चलते डेरा प्रबंधन ने जर्मनी के एक वैज्ञानिक से इस बारे में सलाह ली तो उसने बताया कि हड्डियों में फास्फोरस की मात्रा अधिक होती है, जो जमीन की उपजाऊ शक्ति को कई गुणा बढ़ा देगी। जर्मन वैज्ञानिक के कहने पर डेरा प्रबंधन ने अनुयायियों की अस्थियों को डेरे की जमीन में दबाना शुरू किया। पीआर नैन पहले गुरूसर मोडिया में डेरा चिकित्सालय में थे। ढाई घंटे की पूछताछ में एसआईटी ने पीआर नैन से 50 सवाल किए. इन सवालों में पंचकुला हिंसा और मेडिकल कॉलेज भेजे गए शवों से संबंधित सवाल भी शामिल थे.
नैन ने कहा कि मेडिकल कॉलेजों को शव लोग सीधे ही भेजते थे। नैन ने कुछ सवालों के जवाब दिए, जबकि बाकी सवालों पर वह खामोश रहे. पेशे से चाइल्ड स्पेशलिस्ट 76 साल के डॉक्टर पीआर नैन ने एसआईटी से कहा कि वह हार्ट पेशेंट है और उन्हें शुगर और लो ब्लड प्रेशर की भी बीमारी है.नैन ने एसआईटी को बताया कि वह डेरे से कई सालों से जुड़े हैं. वह डेरा मुखी गुरमीत राम रहीम के गांव गुरुसर मोडिया में बने डेरे के अस्पताल में सीओ थे. बाद में डेरा प्रमुख ने उन्हें सिरसा डेरे की खेतीबाड़ी की जिम्मेदारी सौंप दी.
पूर्व सेवादारों का आरोप है कि हत्या करने के बाद शव डेरे की जमीन में गाड़ दिए जाते थे और ऊपर पेड़ लगा दिए जाते थे। इन पेड़ों को काटने की अनुमति नहीं थी। एसआईटी इन आरोपों पर भी जांच कर रही है।