रविवार, 24 सितंबर 2017

सच्च बोलने वाले मीडिया और लोगों को मोदी राज में खरीदा जा रहा है-


-कई मीडिया भारी दबाव व खरीद से सरकारी​ पाले में जा बैठे -


- करणीदानसिंह राजपूत -

मीडिया घरानों का भी मोदी सरकार को लेकर विश्वास डगमगा रहा है. देश की बिगड़ती अर्थव्यवस्था और गिरती विकास दर और भयानक बेरोजगारी ने कई मीडिया घरानों को मोदी सरकार को लेकर दोबारा नए सिरे से अपनी राय बनाने पर मजबूर कर दिया है. राजस्थान पत्रिका के मालिक गुलाब कोठारी ने मोदी सरकार के अर्थव्यवस्था से लेकर रोजगार और विदेशी नीति के मोर्चे पर बुरी तरह से फेल होने पर मोदी सरकार की तीखी आलोचना की है.

कोठारी ने लगाया मोदी पर मीडिया को खरीदने का आरोप


राजस्थान पत्रिका समूह के मालिक गुलाब कोठारी ने मोदी सरकार पर हमला बोल दिया है. उन्होंने आरोप लगाया कि झूठ बोलने के लिए मीडिया और लोगों को खरीदने का काम चल रहा हैं.

झूठ को सौ बार बोलकर सच बना रही मोदी सरकार

मुंबई में आयोजित 14वें अंतरराष्ट्रीय कंसर्न्ड कम्यूनिकेटर अवॉर्ड (सीसीए) समारोह में राजस्थान पत्रिका समूह के मालिक गुलाब कोठारी ने मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला. कोठारी ने आरोप लगाया कि झूठ बोलने के लिए मोदी सरकार मीडिया और लोगों को खरीदने का काम कर रही हैं. कोठारी ने कहा कि आजादी को 70 साल हो गए हैं लेकिन हम आज भी सच को सुनना ही नहीं चाहते हैं. सरकार मीडिया हाउस को शॉर्टलिस्ट कर जनता तक झूठी बातें पहुंचा रही है. झूठ को सच बताकर रखने की कोशिश में लोगों को दिग्भ्रमित किया जा रहा है. क्योंकि यदि झूठ को सौ बार बोला जाए तो वह सच मान लिया जाता है और आज यही हो रहा है.

कुछ मीडिया समूहों ने छोड़ दिया जनता का साथ

सरकार व मीडिया को आईना दिखाते कोठारी ने कहा कि आज अभिव्यक्ति की आजादी पर अतिक्रमण हो रहा है. आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है. जिसे हमने लोकतंत्र व जनता के बीच सेतु माना था, वही मीडिया आज कहां है? कुछ मीडिया समूहों ने आज जनता का पाला छोड़ दिया है और सरकार के साथ जाकर बैठ गए हैं. यह सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में हो रहा है. सोशल मीडिया का अवतार ही झूठ बोलने के लिए हुआ है, क्योंकि कौन आधिकारिक तौर पर कह रहा है और क्या सही है. मीडिया लोकतंत्र का वॉचडॉग नहीं दिखाई दे रहा है. जनता की सोचने वाला कौन बचा है ?


आजादी बचाने को नई पीढ़ी सिर पर कफन बांधकर आगे आऐ


देश में किसान आंदोलनों पर पीड़ा जताते हुए कोठारी ने कहा कि आज इन आंदोलनों को ताकत के साथ दबाया जा रहा है, जो देशहित में नहीं है. सभी को नोटबंदी को लेकर समस्या हुई, लेकिन हम नोटबंदी के बाद के हालात पर चर्चा नहीं करना चाहते हैं. सरकार की नई भर्तियां बंद हो गई हैं, वहीं कई लघु उद्योगों के उजड़ जाने से बड़ी संख्या में बेरोजगारी भी बढ़ी है. न्यूयॉर्क टाइम्स के लेख का हवाला देते हुए कोठारी ने कहा कि वैश्विक स्तर पर तानाशाह सरकारों का दौर है.

ऐसे में सिर्फ अपना प्रोपेगंडा मीडिया के माध्यम से चलाया जा रहा है. ऐसे में विपक्ष को कुछ जिंदा रखने की कोशिश की जाती है, जिससे लोकतंत्र का भ्रम बना रहे. ऐसे हालात में नई पीढ़ी को कफन बांधकर आगे आना चाहिए कि जो आजादी हमें संविधान ने दी है वह बची रहे.

(नई दिल्ली। नेशनल जनमत ब्यूरो)
(  15-6-2017.)

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