गुरुवार, 11 मई 2017

आपातकाल 1975 बंदियों बाबत राजस्थान सरकार ने समिति का गठन किया

- करणीदान सिंह राजपूत -

राजस्थान में आपातकाल में सीआरपीसी की विभिन्न धाराओं में रासुका और मिसा में बंदी रहे कार्यकर्ताओं को स्वतंत्रता सेनानियों के समकक्ष दर्जा देने,पेंशन व विभिन्न सुविधाएं देने, रेल यात्रा, चिकित्सा, आपातकाल में बंदी रहे नाबालिग को भी पेंशन देने, आदि की सुनवाई के लिए राजस्थान सरकार ने एक समिति का गठन किया है।
श्री श्याम सिंह राजपुरोहित IAS की अध्यक्षता में इस का गठन किया गया है।इसके दो अन्य सदस्य गौरव चतुर्वेदी और ईश्वर मोटवानी हैं। समिति कितने समय में अपनी रिपोर्ट सरकार को देगी।किन-किन बातों की सुनवा करेगी।राजस्थान में मीसा और रासुका बंदियों को पेंशन सुविधा शुरू कर दी थी लेकिन सीआरपीसी के तहत जेल यात्रा वालों को कोई लाभ नहीं मिला।सीआरपीसी के तहत आंदोलन करने जेलों में बंद रहने वालों की ओर से पेंशन सुविधाओं की मांग मीसा बंदियों रासुका बंदियों की तरह दी जाने की चल रही थी। राजस्थान सरकार को लगातार ज्ञापन दिए जा रहे थे। इस बाबत एक रिपोर्ट मुख्यमंत्री के पास पिछले डेढ़ साल से पड़ी हुई है जिसमें बहुत कुछ विवरण है।
पेंशनन दिए जाने के प्रावधान पर ही यह रिपोर्ट तैयार करवाई गई थी। राजपुरोहित की अध्यक्षता में गठित समिति के बारे में जो भी पूर्ण विवरण मिलेगा देने की कोशिश की जाएगी।
 विदित रहे कि 25 जून 1975 की मध्यरात्रि को आपातकाल लगने के बाद राजस्थान में सूरतगढ़ शहर में पहली विरोध सभा 26 जून 1975 को हुई थी।
सूरतगढ़ से 24 लोगों की गिरफ्तारियां हुई जिसमे 12 कार्यकर्ता रासुका में थे। रासुका बंदियों को पेंशन शुरू हो चुकी लेकिन सीआरपीसी की धाराओं में जेलों में बंद किए गए जिनको पेंशन आदि की सुविधा अभी शुरू नहीं हुई है जहां से भी यह मांग उठ रही है।

(करणीदान सिंह राजपूत भी आपातकाल में श्री गंगानगर जेल में बंद रहे।उस समय साप्ताहिक भारत जन का  संपादन प्रकाशन कर रहे थे। सरकार ने सेंसर लगाया। विज्ञापन बंद किए। संपादक को जेल में डाल दिया गया था।)

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