शनिवार, 23 अप्रैल 2016

सूरतगढ़ थर्मल में कोयले की गुणवत्ता रिपोर्ट में फेरबदल: करोड़ो की चपत:


असली गुणवत्ता से बढाचढ़ा कर दी जा रही है रिपोर्ट:
कोयला सप्लाई कं को अनुचित लाभ देने को किया जा रहा है घोटाला:
-स्पेशल रिपोर्ट- करणीदानसिंह राजपूत-                                   
सूरतगढ़ 23~4~2016.
 सूरतगढ़ सुपर थर्मल पॉवर स्टेशन की सभी छह इकाईयो से बिजली उत्पादन में काम आने वाले कोयले की सप्लाई करने वाली कम्पनियो को फायदा पहुंचने के लिए कोयले की गुणवत्ता रिपोर्ट में फेरबदल कर उत्पादन निगम को करोड़ो का नुकसान पहुंचाया जा रहा है।
थर्मल की सभी 250-250 मेगावाट की सभी छ इकाईयो से बिजली उत्पादन के लिए रोजाना 20 हजार टन कोयला खपत होता है। जिसके लिए परियोजना प्रशासन ने चार कम्पनियो से अनुबन्ध कर रखा है। परियोजना में आने वाले वाश, रॉ और आयातित कोयले की गुणवत्ता जांचने के लिए अक्टूबर 2014 में एक कमेटी का गठन किया गया था। लेकिन उक्त कमेटी द्वारा वर्ष 2014 में किये गए विश्लेषणों में कम्पनी को फायदा पहुंचने के लिए किये गए गड़बड़ झाले से परियोजना को भारी नुकसान हुआ है।
कोयले में निर्धारित मापदण्डों से अधिक गुणवत्ता-
इसी वर्ष  कोयला सप्लाई करने वाली कम्पनी पी क़े सी एल को दिए गए कार्यदेशो के अनुसार कोयले का मूल्य 31 प्रतिशत राख तथा 4700 किलोकेलोरी प्रति किलोग्राम (ग्रोस केलोरिफिक वेल्यु) कोयले की ऊष्मा पर मूल्य निर्धारित किया गया था। परन्तु सूरतगढ़ थर्मल की कमेटी द्वारा किये गए कोयले के विश्लेषण में राख की मात्र 28. 96 से 30.11  प्रतिशत एयर ड्राई बेसेज तथा जी सी वी 4700 किलोकेलोरी प्रति किलो से अधिक बताई गई है।
जो सीधे सीधे कोयले के स्पेशिफिकेशन से अधिक है। जबकि जितनी कम राख कोयले से बनेगी उसकी जी सी वी उतनी ही अधिक होगी। विशेषज्ञो की माने तो रिपोर्ट के अनुसार आई राख की मात्रा से जी सी वी 4700 से अधिक आनी चाहिए।

कम्पनी को फायदा पहुंचाने के लिए बदली रिपोर्ट-
13 से 27 अक्टूबर 2014 तक पी के सी एल कम्पनी द्वारा थर्मल में भेजे गए कोयले के रेक ( 58 डिब्बों की गाड़ी) नंबर 1332,1340,1363,1366,1372,1386 एवम् 1396 के कोयले की विश्लेषण रिपोर्ट में जी सी वी (कोयले की ऊष्मा) 4592 से 4730 किलो केलोरी प्रति किलो बताई गई। लेकिन कम्पनी को फायदा पहुंचाने की नियत से रिपोर्ट को बदल कर कोयले की ऊष्मा 4770 से 4850 किलो केलोरी प्रति किलो कर दी गई।

 सूरतगढ़ थर्मल में कोयला पहुंचने से पहले ही विश्लेषण रिपोर्ट तैयार-

थर्मल में आने वाले अत्यधिक ऊष्मा वाले आयातित कोयले की गाडिय़ा परियोजना में पहुंचने से पहले ही उनकी विश्लेषण रिपोर्ट तैयार किये जाने का मामला भी प्रकाश में आया है।आयातित कोयले की गाडियो की अन लोडिंग तारीख से पूर्व अथवा उसी दिन विश्लेषण रिपोर्ट तैयार कर दी गई है।विशेषज्ञो की माने तो थर्मल में कोयला पहुंचने के बाद करीब 72 घण्टे विश्लेषण में लग जाते है।( संलग्न प्रतिलिपि 4) वही थर्मल में आने वाले वॉशकोल के कार्यादेश में 10 प्रतिशत से अधिक नमी एवम् 31 प्रतिशत से ज्यादा राख की मात्रा होने पर कम्पनी पर जुर्माने का प्रावधान है। लेकिन कम्पनी को फायदा पहुँचाने के लिए कोयले की नमी 10 प्रतिशत एवम् राख 30 प्रतिशत के आस पास रखी जा रही है केवल जी सी वी को कम दर्शाया जा रहा है जो सम्भव नही है। कोयले की नमी अथवा राख की मात्रा बढ़ेगी तभी ग्रोस केलोरिफिक वेल्यु कम होगी।
इंटक यूनियन ने की  उच्चस्तरीय जाँच की मांग-

सूरतगढ़ विद्युत उत्पादन मजदूर यूनियन (इंटक) के अध्यक्ष श्याम सूंदर शर्मा ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर थर्मल में कोयले की जांच में चल रहे भ्र्ष्टाचार की उच्चस्तरीय जांच करवाने तथा दोषी अधिकारियो के खिलाफ अतिशीघ्र कार्रवाई की मांग की है ताकि उत्पादन निगम के घाटे को कम किया जा सके।

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