रविवार, 5 मार्च 2017

होली की परिक्रमा का अनूठा नजारा:महिलाएं पुरूष बच्चे गाते बजाते करते हैं परिक्रमा:


सूरतगढ़ में रेलवे सीमा में होली और उसमें शामिल होते हैं आसपास के हजारों नर नारी:
प्रह्लाद रूपी हरी डाल को जलती होली में से निकाल कर बचाने की परंपरा:
- करणीदानसिंह राजपूत - 

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24-3-2016.

up date 5-3-2017.

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सूरतगढ़। रेलवे परिसीमा में मनाई जाती होली में अनूठा नजारा देखने को मिलता है। हर वर्ग के नर नारी बच्चे काफी संख्या में पहुंचते हैं। होली का पूजन विधि विधान से पंडित करवाते हैं जिसमें काफी लोग शामिल होते हैं। आसपास के चुने हुए प्रतिनिधि और समाजसेवी लोग भी जुटते हैं। होली का पूजन होता है। बड़कूले चढ़ाकर महिलाएं पूजन करती हैं। 
होली मंगलाने यानि कि दहन की क्रिया के बाद जलती होली की परिक्रमा गाते बजाते की जाती है। होली में प्रह्लाद के रूप में हरी डाली लगाई जाती है जिसे कोई कुंवारा निकाल कर पानी में छोड़ कर बचाता है। यह मान्यता है कि जो कुंवारा प्रह्लाद को आग में से बचाता है उसका विवाह जल्दी होता है।
होली की अग्रि में गेहूं की बालें और हरे चने भून कर खाए जाते हैं।
होली की आग को अपने घरों में ले जाना और उसे अगले वर्ष तक रखना शुभ माना जाता है। अगले दिन होली की राख से गणगौर पूजन करने वाली कन्याएं महिलाएं आदि पींडी बनाती है जिनका पूजन चलता है। 
इस होली के दृश्य यहां प्रस्तुत है।



















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