बुधवार, 30 मार्च 2016

पधारो म्हारे देसःराजस्थान दिवसःगीत संगीत नृत्य


श्रीगंगानगर, 30 मार्च। जिला प्रशासन द्वारा राजस्थान दिवस 30 मार्च-2016 के अवसर पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम बुधवार की सायं  इंदिरा वाटिका जवाहरनगर में आयोजित किया गया। मुख्य अतिथि अतिरिक्त जिला कलक्टर श्री करण सिंह ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया।
    आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में विभिन्न विद्यालयों के छात्र-छात्राओं द्वारा आकर्षक रंगोली बनाई तथा राजस्थानी गीतों द्वारा सांस्कृतिक नृत्य प्रस्तुतियां दी गई।


मंगलवार, 29 मार्च 2016

पीलीबंगा थानाधिकारी से संजय धुआ व दीपक भाटिया दोनों मिले थे-घूस प्रकरण:


थानाधिकारी विजय मीणा को 12 लाख रूपए की घूस दिए जाने का आरोप:
- स्पेशल न्यूज:करणीदानसिंह राजपूत -
सूूरतगढ़। ईओ राकेश मेंहदीरत्ता के पीलीबंगा थाने में दर्ज जालसाजी आरोप के एक मुकद्दमें में जाँच कर रहे थाना अधिकारी विजय मीणा को 12 लाख रूपए दिए जाने का आरोप ईओ की पत्नी शिमला द्वारा लगाया गया है। इस प्रकरण की पुलिस जाँच शुरू है। जिस समय संजय धुआ पीलीबंगा थाने में गया और थानाधिकारी से मिला तब उसके साथ में सूरतगढ़ निवासी दीपक भाटिया भी था। अब जाँच में दीपक के बयान भी जरूरी हो गए हैं।
जिस बंद पैकेट को देना बताया जा रहा है उसमें क्या था?
मेंहदीरत्ता पर सूरतगढ़ में घोटाले का एक प्रकरण भ्रष्आचार निरोधक ब्यूरो में दर्ज कराने वाले वरिष्ठ वकील पूर्व विधायक स.हरचंदसिंह सिद्धु ने इस प्रकरण की सही जाँच कराने की मांग एसपी हनुमानगढ़ से की है जिसमें लिखा है कि संजय धुआ इतनी बड़ी रकम 12 लाख रूपए कहां से लाया? उसके श्रोत की भी जांच होनी चाहिए कि वह रकम कहां से लाई गई?
सिद्धु का कहना है कि यह रकम कहां से लाई गई? किस प्रकार के नोटों में थी? इस प्रकरण में अभी संजय धुआ व दीपक भाटिया के बयान नहीं हुए हैं।

संजय धुआ 12 लाख की घूस वाली राशि कहां से लाया-हरचंदसिंह सिद्धु:


पूर्व विधायक सिद्धु ने हनुमानगढ़ के पुलिस अधीक्षक को दिए पत्र में यह मांग की है:
ईओ राकेश मेंहदीरत्ता को मुकद्दमें में बचाने के लिए रकम पीलीबंगा थानाधिकारी विजय मीणा को दिए जाने का आरोप:
आरोप मेंहदीरत्ता की पत्नी शिमला ने लगाया है:
- करणीदानसिंह राजपूत -
ईओ राकेश मेंहदीरत्ता को गिरफ्तार करने के लिए हनुमानगढ़ आवास पर दबिश देने वाले पीलीबंगा के थानाधिकारी विजय मीणा को 12 लाख रूपए दिए जाने का आरोप ईओ की पत्नी शिमला ने लगाया है। आरोप में लिखा गया है कि पति के मित्र संजय धुआ सूरतगढ़ ने यह राशि थानाधिकारी को दी। ईओ की पत्नी ने हनुमानगढ़ के जिला पुलिस अधीक्षक को यह पत्र दिया व रूपए दिलवाए जाने की मांग की है। इस पर पुलिस जाँच शुरू हो गई है लेकिन पुलिस का प्रथम दृष्टि में यह मानना है कि इतनी बड़ी रकम यूं लेना संभव नहीं लगता। पुलिस ने जाँच शुरू कर दी है।
पूर्व विधायक स.हरचंदसिंह सिद्धु ने इस रकम और आरोप पर कई सवाल उठाते हुए सही जाँच किए जाने की मांग पुलिस अधीक्षक से की है। सिद्धु स्वयं एसपी कार्यालय गए तथा उनको अपना पत्र सौंपा।
सिद्धु ने अपने पत्र में महत्वपूर्ण सवाल उठाए हैं।
1.संजय धुआ जो खुद कई मामलों में फंसा हुआ है इतनी बड़ी रकम

कहां से लाया? यह रकम किसी एकाऊंट से आई है या काली रकम है? सिद्धु ने लिखा है कि संजय धुआ से यह जाँच बहुत जरूरी है तथा वह किसी अन्य का नाम लेता है तो उससे भी जांच जरूरी है।
सिद्धु ने लिखा है कि संजय धुआ खुद एक मुकद्दमें में फंसा हुआ जिसमें ईओ राकेश मेंहदीरत्ता भी फंसा हुआ है।
सिद्धु ने एसपी को कहा कि घूस का यह प्रकरण तेजी से जाँच किए जाने वाला है।
पत्र में लिखा है कि नगरपालिकाओं में घोटाला कर राज्य सरकार को करोडों रूपयों का घाटा पहुंचाने वाले ईओ राकेश मेंहदीरत्ता और इ्रओ पृथ्वीराज जाखड़ के प्रकरण पुलिस के पास विचाराधीन है लेकिन पुलिस महीनों से पत्रावलियां लिए बैठी है। इन दोनों के विरूद्ध सिद्धु ने प्रकरण दर्ज करवाए हुए हैं। पृथ्वीराज जाखड़ के विरूद्ध दस्तावेजी साक्ष्य होते हुए भी पुलिस ने दो बार अंतिम रिपोर्ट लगा दी तथा वह प्रकरण वर्तमान में रावतसर के पुलिय उप अधीक्षक के पास में पड़ा है।
सिद्धु ने कहा कि करोड़ों रूपयों के घोटालों के विरूद्ध लढ़कर सरकार का साथ देने वाले लोगों का साथ पुलिस नहीं दे रही है और मुकद्मों की सही व तेजी से जांच नहीं कर रही है जिस कारण घोटालेबाजों का दुस्साहस इतना बढ़ गया है कि वे पुलिस व संघर्ष करने वालों पर झूठे मुकद्दमें दर्ज करवा रहे हैं। 

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सोमवार, 28 मार्च 2016

सूरतगढ़ सुपर थर्मल पावर स्टेशन 1 हजार करोड़ रू. के महाघाटे में:


सरकार इसे बार बार बंद कर प्राईवेट कंपनियों से बिजली खरीद रही है:
इंटक ने प्रदेश की बिजली कंपनियों का निजीकरण का विरोध किया:
स्पेशल रिपोर्ट- करणीदानसिंंह राजपूत

 
राजस्थान सरकार की गलत नीतियों के कारण बिजली कम्पनियां घाटे में जा रही है। दो वर्ष पूर्व तक मुनाफा कमाने वाला सूरतगढ़ थर्मल प्लांट वर्तमान में हजारों करोड़ के घाटे में चल रहा है। इसी कड़ी में वर्ष 1999 -2000 से वित्तीय वर्ष 2013-14 तक उच्च उत्पादन सहित राष्ट्रपति सहित अन्य राष्ट्रीय पुरुष्कार जीत चुका सूरतगढ़ सुपर थर्मल पावर स्टेशन भी विगत दो वर्षो में करीब एक हजार करोड़ रूपये के घाटे में है। 

गुरुवार, 24 मार्च 2016

ईओ राकेश मेंहदीरत्ता की तलाश:पीलीबंगा पुलिस की हनुमानगढ़ में छापामारी:

पीलीबंगा में ईओ रहते किया था दस्तावेजी घोटाला:
प्लॉट के नियमित करने में अशोक भाटिया का नाम फर्जी जोड़ा गया था:
- करणीदानसिंह राजपूत -
सूरतगढ़ 24 मार्च 2016.पीलीबंगा थाने में दर्ज आपराधिक मुकद्दमें में वांछित ईओ राकेश मेंहदीरत्ता की तलाश में 23 मार्च को पीलीबंगा पुलिस ने मेंहदीरत्ता के हनुमानगढ़ टाउन की सूर्यनगर कॉलोनी में मकान में छापा मारा। थानाधिकारी विजयसिंह मीणा रात को करीब साढ़े आठ बजे पुलिस जाब्ते के साथ ईओ के निवास पर पहुंचे और दबिश दी। हनुमानगढ़ थाना पुलिस भी साथ में थी। काफी देर तक पुलिस घर में चप्पे चप्पे को देखती रही लेकिन मेंहदीरत्ता नहीं मिला।
पीलीबंगा थाने में ईओ राकेश मेंहदीरत्ता के विरूद्ध मुकद्दमा नं 598/2015 गणेश बंसल ने दर्ज कराया था। उसमें ईओ मेंहदीरत्ता पर आरोप लगाया गया था कि सन् 2012 में प्लाटों नियमन करते वक्त इम्पावर्ड कमेटी की रिपोर्ट में पेज नं 3 को बदल दिया गया था। पेज नं 3 स्केन करके नया लगा दिया गया था। असली पेज नं 3 में 7 व्यक्तियों के नाम थे और बदले गये पेज नं 3 में आठ नाम कर दिए गए जिसमें अशोक भाटिया का नाम फर्जी जोड़ दिया गया था। अभियान में नियमन के लिए बनी इम्पावर्उ कमेटी में पालिकाध्यक्ष,ईओ,एपीपी और कनिष्ठ अभियंता सदस्य थे। 
उक्त मुकद्दमा दर्ज होने के बाद पुलिस ने तत्कालीन पालिका उपाध्यक्ष कमलापति जैन के बयान लिए व जाँच मेें आगे की कार्यवाही के लिए ईओ राकेश मेंहदीरत्ता को वांछित पाया। इसलिए उसकी तलाश में यह दबिश दी गई।
ईओ राकेश मेंहदीरत्ता वर्तमान में अनूपगढ़ नगरपालिका में नियुक्त है। ईओ राकेश मेंहदीरत्ता भ्रष्टाचार के विभिन्न मुकद्दमों जाँचों व यौन शोषण मेंकद्दमें में घिरा हुआ है।



मंगलवार, 22 मार्च 2016

आपात काल 1975 लोकतंत्र सेनानियों का उदयपुर सम्मेलन 20-3-2016


लोकतंत्र की जडं इतनी अधिक गहरी कर जाएं कि कोई इस पर कुठाराघात का दुस्साहस कभी न कर सके।पीढिय़ों को सँवारने अनुभवों का लाभ पहुंचाएं - प्रो. देवनानी शिक्षा राज्यमंत्री
उदयपुर, 20 मार्च/शिक्षा राज्यमंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी ने आपातकाल के क्रांतिचेताओं से कहा है कि वे लोकतंत्र के सजग प्रहरी के रूप में देशभक्ति की ज्वाला को सदैव प्रज्वलित रखते हुए लोकतंत्र की जडं इतनी अधिक गहरी कर जाएं कि हर किसी को लोकतंत्र का सम्मान करना ही पड़े, कोई इस पर कुठाराघात का दुस्साहस कभी न कर सके।
शिक्षा राज्यमंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी रविवार को उदयपुर में हिरणमगरी स्थित विद्यानिकेतन  सभागार में राजस्थान भर से आपातकाल के दौरान मीसाबंदी के रूप में जेलों में रहे जागरुक लोगों के राज्य स्तरीय सम्मेलन को सम्बोधित कर रहे थे।  सम्मेलन आयोजकों ने प्रो. देवनानी  को उपरना पहनाकर स्वागत किया व साहित्य भेंट किया। 
शिक्षा राज्य मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी ने कहा कि राष्ट्रभक्त, सुसंस्कारित और सामाजिक सेवाव्रती पीढिय़ों के निर्माण के लिए उन्हें भारतीय गरिमा और गौरव से रूबरू कराने वाले इतिहास की जानकारी देने, संस्कार निर्माण वाली शिक्षा देने तथा श्रेष्ठ नागरिक निर्माण की सभी जरूरतों को पूरी करने की आवश्यकता है इस दिशा में राजस्थान सरकार बहुत प्रयास कर रही है।
उन्होंने बताया कि पीढिय़ों को सुसंस्कारित राष्ट्रभक्त व ओजस्वी-तेजस्वी बनाने के लिए भारतीय संस्कृति पर गर्व अनुभव करने लायक, वीर-वीरांगनाओं की गाथाओं की जानकारी देने, देशभक्त पीढ़ी बनाने और राष्ट्रीय चरित्र व स्वाभिमान जगाने के लिए राजस्थान में प्रेरक पाठ्यक्रम की पहल की गई है। इसके लिए अब बच्चों को परिवर्तित पाठ्य पुस्तकों से अध्ययन कराया जाएगा। न केवल  इतिहास बल्कि विज्ञान में भी अब भारतीय संस्कृति व  गरिमामय ?तिहासिक विभूतियों का समावेश किया गया है। 
देवनानी ने प्रदेश भर से उपस्थित संभागियों से आह्वान किया कि वे यथा अवकाश कम से कम एक घण्टा किसी न किसी स्कूल में जायें तथा अपने ज्ञान तथा अनुभवों से नई पीढ़ी में प्रेरणा जगाएं, सामाजिक नवनिर्माण व सेवा के अवसरों का लाभ लें तथा समाज का नेतृत्व करते हुए लोकतंत्र की जोत को जलाये रखें। 
शिक्षा राज्यमंत्री ने बताया कि स्कूल पुस्तकालयों में ज्ञानवर्धक व प्रेरक साहित्य की कड़ी में अब श्रीमद्भगवद्गीता भी शामिल की गई है जिससे कि नई पीढ़ी गीता के कर्मयोग को अपना कर जीवन संवार सके। 
उन्होंने कहा कि बच्चों में संस्कार देशभक्ति व समाजसेवा के बुनियादी संस्कारों की नींव मजबूत करने के लिए प्रार्थना सभा में वन्दे मातरम् गान, योग, सूर्य नमस्कार, नैतिक शिक्षा का विशेष महत्व है। 
उन्होंने कहा कि स्वार्थी तथा देश विभाजक ताकतें देश की नींव कमजोर करना चाहती हैं ताकि उनके नापाक मंसूबे आसान हो जायें। इस मामले में इतिहास विकृत करने के साथ ही विश्वविद्यालयों तक में चौतरफा सुनियोजित षडय़ंत्र रचे जा रहे हैं। इसका हमें मुँहतोड़ जवाब देना होगा। शिक्षा मंत्री ने बताया कि बच्चों की प्रारम्भिक शिक्षा की नींव को मजबूत करने के लिए अब 5वीं तथा 8वीं की परीक्षा होगी।  
इस सम्मेलन में राष्ट्रीय संरक्षक सांसद मेधराज जैन,राष्ट्रीय अध्यक्ष कैलाश जी जैन,प्रदेशाध्यक्ष पूर्व मंत्री राजेन्द्र जी गहलोत,विधायक मोहनलाल गुप्ता एवं पूर्व मंत्री शांतिलाल चपलोत ने संबोधित किया।
विधायक मोहनलाल गुप्ता संगठन में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया
जयपुर से तीसरी बार विधायक चुने गए मोहनलाल गुप्ता को लोकतंत्र सेनानियों के राष्ट्रीय संगठन में उपाध्यक्ष मनोनीत किया गया है। राष्ट्रीय अध्यक्ष कैलाशजी सोनी से विचार करके राष्ट्रीय महासचिव राजेन्द्रजी गहलोत ने यह मनोनयन किया। सम्मेलन में इसकी घोषणा की गई। इससे राजस्थान के संगठन में और अधिक सक्रियता आएगी। गुप्ता जी ने राजस्थान सरकार को पत्र लिखा है जिसमें आग्रह किया है कि मीसा व डीआइआर के साथ अन्य धाराओं में गिरफ्तार किए गए लोकतंत्र सेनानियों को भी वर्ग भेद न करके सम्मानित किया जाए।
राजस्थान भर के 400 सेनानियों ने इस सम्मेलन में भाग लिया।
इस सम्मेलन को सफल बनाने में सौभाग्य जी नाहर,दलपतसिंह जी दोषी व उनकी टीम को बधाई दी गई।



सोमवार, 21 मार्च 2016

रेतमें जन्मा नया नेता राकेश बिश्रोई:पृथ्वीमील ने सवाल उठाए:


सिंगरासर माइनर आँदोलन शांतिपूर्ण चल रहा था तब राकेश बिश्रोई कानौर हैड पर क्यों चढ़ा?
राकेश बिश्रोई चुनाव लडऩा चाहता है:
पुलिस लाठी चार्ज पर नेता वहीं थे मगर लाठी वर्षा में फोटो किसको सूझती.
- करणीदानसिंह राजपूत -
सिंगरासर माइनर आँदोलन पर मेरे कई लेख व रपटें छपी हैं। एक लेख था-राकेश बिश्रोई रेत में जन्मा नया नेता। 
इस लेख को पढऩे के बाद पृथ्वीराज मील ने राकेश की कार्य प्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि वह चुनाव लडऩा चाहता है। पृथ्वीराज मील का यह फोन 21 मार्च को दोपहर में पौने दो बजे आया। इसमें जो सवाल उठाए गए हें। वे आँदोलनकारियों व इलाकें के लोगों को मालूम पड़े इसलिए सामने रखने में कोई संकोच नहीं है। मुझे ऐसा लगता है कि इस आँदोलन में भीतर ही भीतर कई प्रकार के विचार चल रहे हैं और इतने नेता व दल हैं तो सभी के विचार भी भिन्न होने लाजिमी है। आँदोलन में कई लोग जुड़े हैं जिनमें कुछ चुनाव लडऩे के ईच्छा रखते हैं। पृथ्वीराज भी चुनाव लडऩें के ईच्छुक हैं। पृथ्वीराज की सोच है कि राकेश बिश्रोई यह सब चुनाव लडऩे के लिए ही कर रहा है।
1. पृथ्वीराज मील का सबसे बड़ा सवाल है कि सिंगरासर माईनर आँदोलन शांतिपूर्ण चल रहा था। उस समय राकेश बिश्रोई बिना किसी को बतलाए बिना सलाह किए कानौर हैड पर चढ़ा और धमकी देने लगा जिसके बाद हिंसा भड़की। मील का मानना है कि लोगों की पिटाई इस कारण से हुई। 
मील ने कहा कि राकेश बिश्रोई चुनाव लडऩा चाहता है। 
मेरा जवाब था- किसी को चुनाव लडऩा है तो उसे रोका तो नहीं जा सकता। राकेश ने चुनाव लडऩे के लिए यह किया या वहां की परिस्थितियां ऐसी बनी हो जिसके कारण अचानक निर्णय लिया हो। यह मैं नहीं कह सकता।
2. पृथ्वी मील ने कहा कि लाठी चार्ज के वक्त नेता भागे नहीं थे।
 मैंने कहा कि- लाठी चार्ज की एक भी फोटो नहीं आई न छपी। 
 मील ने कहा कि पत्रकारों के कैमरे छीन लिए गए थे।
 मैंने कहा कि नेता अपने मोबाइल कैमरों से फोटो ले लेते। तब मील ने कहा कि जब लाठियां पड़ रही हो तब फोटो की किसे सूझती। 
 मेरी सोच है कि लाठियां लोगों पर पड़ी थी किसी नेता के ऊपर नहीं पड़ी। नेता ये फोटो ले सकते थे जो मुकद्दमें में काम आती।
 मैंने कहा कि गाडिय़ों के तोड़े जाने की भी कोई फोटो नहीं ली गई। जो पुलिस का चेहरा बतलाती।
 मील ने कहा कि- लोगों ने खुद ने तो तोड़ी नहीं।
ऐसा लग रहा है कि यह आँदोलन शुरू चाहे किसी भी रूप में हुआ हो लेकिन उसमें नेता लोग भविष्य के चुनाव का लाभ तो देखते ही हैं। लोग भावी नेता की छवि अपने दिल दिमाग में लेकर चलें तो भी कोई हर्ज नहीं है। आँदोलनों में नए नेता नए वक्ता सामने आते ही हैं जो जनता में छा भी जाते हैं। इस प्रकार के आंदोलनों में किसी को अपनी जमीन खिसकती लगती है तो किसी को जमीन बनती हुई लगती है। ऐसे नेता भी हैं जो इस आँदोलन से दूर हैं और उनकी सोच सबसे अलग है। 
वैसे एक सवाल अभी दबा हुआ पड़ा है जो राकेश बिश्रोई के कानौर हैड पर चढऩे से संबंधित ही है। पृथ्वीराज मील और अन्य सभी आँदोलनकारी नेताओं से है कि कानौर हैड पर 11 मार्च को कब्जा करने की घोषणा की हुई थी और हैड पर चढ़े बिना वह घोषणा पूरी कैसे होती? राकेश बिश्रोई ने तो वह संकल्प पूरा किया जो सभी नेताओं ने किया था। अब पृथ्वीराज मील ही बता सकते हैं कि कानौर हैड पर चढ़े बिना ही कब्जा करने की घोषणा पूरी कैसे हो सकती थी? सवाल तो अन्यों पर होता है कि वे घोषणा को पूरी करने के लिए हैड पर क्यों नहीं चढ़े?
पृथ्वीराज मील की तरह संभव है अन्य कोई नेता भी अपनी अलग सोच रखता हो इसलिए चर्चा हो तो अच्छा है। 

लोगों की कड़तू कुटवा कर विधायक जी लगे मौज मस्ती में:


सिंगरासर माईनर विधायक जी का ड्रीम प्रोजेक्ट है और यह जयपुर में बतलाते हैं। सूरतगढ़ में संघर्ष कर रहे लोगों को पुलिस ठोकती है तो यहां पर उनका मुंह नहीं खुलता:
- करणीदानसिंह राजपूत -
राजेन्द्रसिंह भादू को इलाके की जनता समझ नहीं सकी और अभी भी नहीं समझ रही,अगर भादू को सही मायने में समझ जाती तो उसकी कड़तू पुलिस नहीं कूट पाती। सिंगरासर माइनर की मांग को राजेन्द्र भादू ने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट में बताया है। यह बात विधायक ने यहां नहीं कही। विधायक ने यह बात जयपुर में राजस्थान पत्रिका को कही। इसका मतलब है कि इसको बनाने का विधायक जी का सपना है। इस सपने को पूरा कराने की मांग कर रही जनता की कड़तू कुटवाने का कौनसा ड्रीम प्रोजेक्ट है यह भी जनता को समझा दिया जाना चाहिए। 
ही इलाके की जनता को साथ लेकर 2007 में शुरू किया। 
यह बात लिखने का कारण है कि एक तरफ तो लोगों की कड़तू कुटवाने और उन पर मुकद्दमा बनाने वाली सरकार के विधायक जी मौज मस्ती में जुट गए। विधायक जी ने राजस्थान पत्रिका के मौज मस्ती वाले मेले का उदघाटन किया ।
राजेन्द्रभादू का ड्रीम प्रोजेक्ट और मौज मस्ती को समझना चाहिए कि इसके पीछे कितनी धूर्तता भरी है। 
राजेन्द्र भादू का विधायक बनने का सपना था और उसने सींगरासर माइनर का सपना इलाके के लोगों को दिखलाया। विधायक राजेन्द्र भादू ने अपना सपना तो पूरा कर लिया और जनता को सपना पूरा होने के बजाय कड़तू तुड़वानी पड़ी। इस घटना का विधायक ने कहीं भी दुख प्रगट नहीं किया। विधायक जी की सरकार ने कड़तू तो ठोकी साथ में सरकारी सम्पति को नुकसान पहुंचाने का मुकद्दमा भी सैंकड़ों लोगों पर ठोक दिया। अपना सपना पूरा करने वाले विधायक राजेन्द्र ने मुकद्दमा निरस्त करवाने और गिरफ्तारियां नहीं होने देने की घोषणा नहीं की है। 
लोगों को सपना दिखलाकर राजेन्द्र भादू ने वोट बटोरे और विधायक बनने के बाद भूल गए। एक एक करके जब राजस्थान सरकार का तीसरा बजट आ गया और उसमें सिंगरासर माइनर के लिए एक पैसे की घोषणा नहीं हुई तो लोगों का संघर्ष जायज था। अब आगे कैसे विश्वास किया जा सकता है कि विधायक राजेन्द्र भादू इस माइनर के लिए वसुंधरा राजे से बात कर लेंगे और बजट भी रखवा लेंगे। वसुंधरा राजे से बात करते हुए मंत्रियों की हिम्मत नहीं होती वहां पर भादू कहां से अपनी बात रख देंगे और भादू को अपनी बात रखनी थी तो अब तक क्यों नहीं रखी? क्या लोगों की कड़तू कुटवाने का इंतजार था?
इसी माइनर के निर्माण का सपना दिखला कर गंगाजल मील ने 2008 के चुनाव में जीत हासिल की और विधायक बने। उन्होंने कागजी घोषणा करवाई और बाद में भूल गए। अब राकेश बिश्रोई के नेतृत्व में संघर्ष शुरू हो गया तब सभी को अपनी जमीन ख्सिकती नजर आने लगी और मांग के समर्थन में लग गए। लेकिन उसमें कितने शामिल हुए हैं? इसका प्रमाण कड़तू कुटवाने से हो सकता है कि इनकी यानि कि गंगाजल मील साहेब,पृथ्वी मील,गगनदीप विडिंग आदि किसी की कड़तू पर एक भी लठ नहीं पड़ा। जब लोगों की कड़तू पुलिस कूट रही थी तब ये महान नेता कहां पर थे?  
लोगों को अभी तक मालूम नहीं है कि मील में और राजेन्द्र भादू में कोई फर्क नहीं है। एक ही सिक्के के दो पहलू नहीं बल्कि समझना चाहिए कि एक ही सिक्का है। 
भादू को समझने के लिए एक और सबूत है। सूरतगढ़ अनूपगढ़ सड़क को निर्माण करवाने का सपना दिखलाया और जिन लोगों ने इस मंाग को उठाया उन पर मुकद्दमें बनवा दिए। इतना ही नहीं 31 दिसम्बर 2015 को तीन चार पत्रकारों को बुलाकर उनके सामने घोषणा तक कर डाली। भास्कर में 1 जनवरी 2016 को और पत्रिका में 2 जनवरी 2016 को सड़क निर्माण शुरू होने का समाचार छपा। विधायक जी ने इतना तक कहा कि 1 सप्ताह में टेंडर प्रक्रिया भी शुरू हो जाएगी। आजतक यह प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है।
लोगों को कुटवा कर, उन पर मुकद्दमें बनवा कर मौज मस्ती में खो जाने वाले विधायक आगे क्या क्या सलूक लोगों से करेंगे और प्रशासन से करवाऐंगे? लोगों को सावधान रहना चाहिए। यह आगे का दो साल का समय सतर्क रहने का है जाते जाते न जाने कौनसा सपना दिखा जाऐं?



होली: हंसी मजाक चुटकियों से भरी ठिठोली 2016.


बुरा ना मानो होली है


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राजेन्द्र भादू  लाठी गोली री सरकार
हरचंदसिंह सिद्धु         तीखा सींगा आळौ सांड
गंगाजल मील         राज रा दुखड़ा
पृथ्वीराज मील         टींगर पणो
बलराम वर्मा बल्ले री टिकट 
रामप्रताप कासनिया  गुड़ गुड़  
अशोक नागपाल           हुण केड़े थां भाईजी
काजल छाबड़ा             हुण आण लग्या कुरसी दा मजा
सुनील छाबड़ा             कुरसी रो हत्थो
श्रीमती राजेश सिडाना      पार्षदगी रो झमेलो
श्रीमती रजनी मोदी         ठिकाणै लागी नेती
हरबक्सकौर बराड़          नुई नेती 
लालचंद सांखला          लूंठो लालो
अमित भादू                  पांच घी में पांच पालिका में
महेश सेखसरिया         कठै गई मोहर
रमेश माथुर                मस्त मौला
मुरली पारीक             पार्टी री खड़ताल
प्रेमप्रकाश राठौड़          खासा नेड़े हां
गौरव बलाना             बिक्या कोनी
नरेन्द्र घिंटाला ऐकर खुद रा काम
बाबूसिंह खीची           ढिल्या पड़ ग्या पेच
अशोक आसेरी         सुवागत रो नेतो
विजय गोयल हांजी हांजी कोनी होवै
राजेन्द्र तनेजा पूल एंड पुश 
पीताम्बरदत्त शर्मा जुगाड़ री खोज 
शरणपालसिंह जाबक ठंडा भाईजी 
परमजीतसिंह बेदी         पार्षद पति 
एन.डी.सेतिया          चुप एकदम चुप
विष्णु शर्मा                आप में बाप
श्याम मोदी मूरती 
डूंगर राम गेदर           कागजी शेर
परसराम भाटिया नुंआ गोडा करसी कमाल
गुरदर्शनसिंह सोढ़ी        लगोतार खेल खत्म
वली मोहम्मद               महाराजा
इकबाल कुरैशी               प्रिंस
बनवारीलाल  मेघवाल     बाबो भली करसी
संजय धुआ     बेली होयो एपीओ
पी.के.मिश्रा                  लैटरबाजी
लक्ष्मण शर्मा    रेल रो लाल
मदन औझा सीट रो सीटू
महावीर भोजक         बडो वीर कनै कोनी तीर
ओम पुरोहित नांव रो शेर
प्रवीण अरोड़ा नं एक
राजकुमार अग्रवाल         मिर्च मसाला
सुशील जेतली             अब कठै जाऊं
महावीर सैनी   शिखर री सेनाणी
रामचन्द्र पोटलिया        अफसरी अर नेतागिरी
फकीर चंद शर्मा          तहसील हीरा मोती आळी         
मोहम्मद आयूब           जै हुंती गस्त 
नारायणसिंह भाटी        कुणसे लोक बजाओ तंबूरो
प्रवीण भाटिया            रंग महल मांय रंग
दिलात्मप्रकाश जैन अब दिल खुश
घनश्याम शर्मा आच्छौ लगावै चंदण
सुखवंत:संदीप डांग नुंवो ब्यौपार
रवि खुराना पीवो पावणा
बीरबल सैनी सूखो बाग

साहित्यकार
मनोज स्वामी सगळां री खेचळ
हरिमोहन रूंख           रूंख पर चिड़कली
परमानन्द दर्द टुकड़ा टुकड़ा शायरी
राजेश चड्ढा               चढायां बाद खुलै गळौ
रामेश्वर दयाल तिवाड़ी प्रभो 
नन्दकिशोर सोमाणी ईब कीं डील बण्यौ
साहबराम स्वामी          बैठ्यौ करै कुचरणी


खबरां रा धणी

करणीदानसिंह राजपूत दादो खबरां रो 
हरिमोहन सारस्वत        कागद सूं मार लटका देवै
जितेन्द्र                  हंसणै सूं मिलसी वरदान
हनुमंत गळतियां रो सिणगार
ब्रह्मप्रकाश राजा री झूठ कोनी चलाऊं
मनोज स्वामी भोळै री चाल
मालचंद जैन             नेड़े आळै नै करै दे चित
राजेन्द्र पटावरी कोई चलावै जणा चालै
विजय स्वामी             हूं इयां कर्यौ हूं बींया कर्यौ
प्रवीण जैन राम मिलाई जोड़ी
शिव सारड़ा हर हर भर भर 
नवल भोजक भाटा भिड़ावणे रो उस्ताद
सुभाष राजपूत बांदर कै उस्तरो लाग्यौ
गोविंद भार्गव सच्च फूलगी
राजेन्द्र उपाध्याय          टेम आवण री उडीक
प्रेमसिंह सूर्यवंशी सत्ता रै सागै
महेन्द्र जाटव शिकार नै आच्छौ बींधै
कैलाश सोनी बोलतो अखबार
सुरेन्द्र निराणियां           सींझया री भाग दौड़
कृष्ण सोनी आजाद    ललकार  
विनय तिवाड़ी             गळै सूं नीचे उतरते होवै एक्टिव
आशा शर्मा                सोमवार री मार

डाक्टरां रो टोळौ
मनोज अग्रवाल            होश में आवैगी बेहोशी
विजय भादू विजय रथ
जितेन्द्र बोभिया           सगळा साथी
राजेन्द्र छाबड़ा खनै राखी छाबड़ी
के.एल.बंसल             मीठा बोल आछो तोल
पर्वतसिंह                गळी मांय गुम
जी.डी.शर्मा जी लगार काटै
अक्षय भंसाली             दुगणो दिखादै
इन्द्र चुघ टाबरां रो धणी
राहुल छाबड़ा              नुंवो पण सांतरो
विजय अरोड़ा             राम राम सा
अरविंद बंसल             मार्केट मंदी में
जे.एम.डे.                  अच्छे दिन अच्छी रात
विशाल छाबड़ा             तीखे दांत
अनिल पैंसिया              दांतों का बरमा
हरप्रीतसिंह                 सबसे प्रीत
सतीष मिश्रा                होम्यौ मिश्री 
रतनलाल जोशी              चूरण 
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ललित सिडाना             ब्यौपारियां रो भलौ चिंतक
दर्शन भगत परनामी        भगती
रायचंद डागा              उपाधियां रो भंडार

सोमवार, 14 मार्च 2016

कानौर हैड पर लाठी-गोली कानून के विपरीत चलाई ~ पूर्व विधायक हरचंद सिंह सिद्धू


कानौर हैड पर ऐटा-सिंगरासर माइनर की मांग कर रहे
निहत्थे निर्दोष किसानों पर लाठी व रबड़ गोली चलाई जाने की
घटना को वरिष्ठ वकील व पूर्व विधायक स. हरचंद सिंह सिद्धू ने
कानून की धाराओं के विपरीत बताया है। सिद्धू ने आरोप लगाया कि
राह चलते एक जने गोदारा पर रबड़ की गोली मार कर चोट
पहुंचाना पुलिस की गैर कानूनी कार्यवाही का पुख्ता प्रमाण है और
प्रशासन में कहीं भी कानून के प्रति जि मेवारी है तो इस अपराध
को दर्ज कर अनुसंधान करवाए व दोषियों को सजा दिलवाए।
पूर्व विधायक ने इस घटनाक्रम की निंदा करते हुए पुलिस प्रशासन
एवं जिला प्रशासन, कुछ कथित नेताओं की जिन्होंने भड़काऊ भाषण
दिए व पत्रकारों के आचरण को भी गैर जि मेदाराना बताया है
जिन्होंने अपने कैमरे प्रशासन को सौंप दिए। सिद्धू ने कहा है कि
जब नेता भड़काऊ भाषण दे रहे थे तब पुलिस व जिला प्रशासन ने
कार्यवाही क्यों नहीं की?
सिद्धू ने कहा है कि कैमरों के बाबत एतराज नहीं करके
पत्रकारों ने अपनी पत्रकारिता को  कलंकित किया है। पत्रकारों
को एतराज करना था व कैमरे जब्ती की फर्द बनवानी थी। पत्रकारों
की इस कार्यप्रणाली से पुलिस लाठीचार्ज की एक फोटो भी अखबारों
में नहीं आई। मीडिया कर्मियों का इस प्रकार का सहयोग
आपत्तिजनक है। सिद्धू ने सवाल उठाया है कि क्या बेगुनाह और अनजान
लोग पानी मांग कर गुनाह कर रहे थे। उन पर लाठीचार्ज घोर
आपत्तिजनक है।
सिद्धू ने सवाल किया है कि प्रशासन उन 2 व्यक्तियों को दोषी क्यों
नहीं ठहराता जिन्होंने सिंगरासर माइनर वास्ते लोगों को
आंदोलित किया व राजनीतिक रोटियां सेकी। एक पांच साल तक
विधायक रहे व उनकी पार्टी सत्ता में थी तब माइनर स्वीकृत क्यों
नहीं करवाई?
दूसरे व्यक्ति ढाई सालों से विधानसभा सदस्य हैं और उनकी पार्टी
का प्रचंड बहुमत है, फिर क्या कारण रहा है कि यह माइनर
स्वीकृत नहीं हुआ। वे किस मुंह से जनता को गुमराह कर रहे
हैं कि सिंगरासर माइनर मांग नहीं हमारा हक है। विधायक है
मगर जनता को हक दिलाने में असमर्थ हैं।
सिद्धू ने राजेन्द्र नाम संबोधन करते हुए साफ आरोप लगाया है और
सलाह दी है कि चंद चाटुकार अखबारों की बेबुनियाद खबरों को
भूल जाएं और जमीनी हकीकत को पहचानें वरना तुम्हारा हश्र भी
तुम्हारे परिवार की तरह होगा।

अपराध प्रशासन का और लाठी-गोली किसानों पर


करणीदान सिंह राजपूत
कानौर हैड पर आंदोलनकारी किसानों पर लाठियां गोलियां चलाने
की घटना पूरी तरह से प्रशासन और पुलिस की कत्र्तव्यहीनता और
लापरवाही का नतीजा थी। अपनी गलती और अपराध को छिपाने के लिए
किसानों को निशाना बनाया गया।
कानौर हैड पर राकेश बिश्रोई और सत्यप्रकाश सिहाग का
चढऩा और मर जाने की चेतावनी देना कोई बड़ा अपराध नहीं।
ऐसी कितनी ही घटनाएं विगत में हुई है लेकिन उनमें लाठी-गोली
चलाने की गलती नहीं हुई।
दोनों का कानौर हैड पर चढऩे का पूरा घटनाक्रम साबित
करता है कि प्रशासन पूर्ण रूप में दोषी है। प्रशासन ने हैड पर
अवरोधक लगाए जिन पर हजारों रुपये का खर्चा हुआ था। इसके
बावजूद वहां पर राकेश बिश्रोई व सत्यप्रकाश सिहाग कैसे पहुंच
गए? वहां पर अनेक अधिकारियों व सैकड़ों जवानों की ड्यूटी
थी। वे क्या कर रहे थे? इतनी घोर लापरवाही रही। इस
लापरवाही की सजा तो अधिकारियों को मिलनी चाहिए। बड़े पुलिस व
प्रशासन अधिकारी घटना स्थल से बीसियों किलोमीटर दूर थर्मल पावर
स्टेशन की आवासीय कॉलोनी परिसर में बने इरेक्टर हॉस्टल में
क्या कर रहे थे? अपने-अपने मु यालयों से रवाना होने के बाद
इन्हें सीधे घटनास्थल पर ही पहुंचना था। इरेक्टर हॉस्टल में
रहकर घटनास्थल पर नजर रखना उपयुक्त था या घटनास्थल पर
पहुंचकर नजर रखना उचित था?
अपनी आपराधिक त्रुटियों, बोखलाए अधिकारियों ने किसानों पर
लाठी-गोली चलवाई। ऐसा तो अंग्रेजी शासनकाल में भी नहीं हुआ
करता था।
असल में अपराध पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों का रहा। प्रभावित
लोग या अन्य मुकदमा कराएं तो उनके पदों और नामों से करवाएं।
अभी तो सीधे मुकदमें दर्ज कराने की मांग की जा रही है। वह भी
मु यमंत्री वसुंधरा राजे से। जो दर्द दे उसी से इलाज कराने की
गुजारिश क्यों?



शुक्रवार, 11 मार्च 2016

पानी सच में नहीं? लाठी गोली सच में है:


- करणीदानसिंह राजपूत -
राजस्थान में पानी मांगने वालों के लिए सच में पानी नहीं है। सरकार की लाठी गोली सच में है। यह सच बार बार प्रमाणों के साथ सामने आता रहा है। यह सच श्रीगंगानगर जिले में पहले रावला घड़साना में कुछ साल पहले आया जिसमें 6 मौतें पुलिस कार्यवाही में हुई। उस समय राजस्थान में भाजपा का राज था और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे थी।
सूरतगढ़ तहसील में ऐटा सिंगरासर माइनर के लिए आँदोलन चल रहा है और लोगों को पानी की जगह पुलिस कार्यवाही मिली है। पानी नहीं हे लेकिन पुलिस की लाठी गोली है। यह सच एक बार फिर उजागर हो गया है।
इस मांग को सबसे पहले राजेन्द्र भादू ने सत्ता में आने की तड़प के लिए उठाया था जो अब विधायक बन चुके हैं लेकिन जनता से मीलों दूर चले गए हैं।
राजेन्द्र भादू ने जब यह मुद्दा उठा कर आँदोलन चलाया था तब भाजपा का राज था। सन 2008 में चुनाव में यह मुद्दा गंगाजल मील ने हड़प लिया और तेजी से प्रचार कर अपना मुद्दा बना लिया। मील जीत गए। उन्होंने कागजी कार्यवाही करवाई। जिसमें हेराफेरी रही। पहले पानी मांगा जा रहा था इंदिरागांधी नहर से। वहां से एक बूंद पानी मिलना संभव नहीं था और चल रहे पानी में से कोई भी सरकार एक बूंद पानी निकाल नहीं सकती थी। वह मामला केन्द्र सरकार की स्वीकृति से ही निपट सकता था।
राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने गोलमाल किया। इसे लघु सिंचाई का रूप देकर अपने स्तर पर ही मंजूर कर लिया। इंदिरागांधी नहर के बजाए पानी घग्घर बाढ़ की झीलों में उपलब्ध दिए जाने का निर्णय हो गया। पांच गांवों के लिए वह योजना बना दी गई जिसका खूब प्रचार किया गया।
उनका राज चला गया। राज भाजपा का आ गया और विधायक राजेन्द्र भादू बन गए। चुनाव से पहले भादू भी बोलते रहे। भादू इस मुद्दे को इन्कार भी नहीं कर सकते क्यों कि यह उनका ही शुरू किया हुआ था।
सवाल अभी भी कायम है कि क्या पानी उपलब्ध है?
मेंने मील के समय एक लेख लिखा था कि बिना दुल्हन के बयाह जैसी यह कार्यवाही है। बयाह हो जाने के बाद दुल्हल की तलाश होगी। लगता है कि बयाह भी अधूरा है और दुल्हन की तलाश भी है। नेता न जाने कब जनता के सामने सच बोलेंगे? 



इंदिरागांधी नहर: कानौर हैड पर आँदोलनकारियों पर पुलिस लाठी चार्ज:


सूरतगढ़ 11 मार्च 2016.
इंदिरागांधी नहर के कानौर हेड पर से आंदोलनकारियों को खदेडऩे के लिए पुलिस ने लाठी चार्ज किया जिसमें कुछ लोगों के चोटें आने की सूचना है। सूरतगढ़ के राजकीय चिकित्सालय में भी घायल भर्ती है। एक बसपा नेता के अनुसार गंभीर घायल गंगानगर भेजे गए हैं। पुलिस की लाठी चार्ज के बाद आँदोलनकारियों को भाग कर अपने को बचाना पड़ा जिनमें सैंकडों की संख्या में साधारण ग्रामीण लोग ही थे। आसपास के खेतों में बनी ढाणियों में भी लोग छुप गए।
इंदिरागांधी नहर की बुर्जी नं 165 पर यह हैड है जहां पर ऐटा सिंगरासर माइनर की मांग करने वाले लोगों का 3 मार्च से बेमियादी धरना शुरू था। आंदोलनकारियों की संघर्ष समिति के संयोजक राकेश बिश्रोई की अगुवाई में यह धरना था और तीन चार दिनों से विभिन्न राजनैतिक दलों के नेता जिनमें पूर्व विधायक आदि भी थे ने यहां पर भाषण भी दिए।
संयोजक व नेताओं का आरोप था कि भाजपा की सरकार ने बजट में इस माइनर के लिए कुछ भी घोषणा नहीं की। इस आक्रोश में 11 मार्च को महापड़ाव व कानौर हैड पर कब्जे का ऐलान किया हुआ था।
इस ऐलान के कारण प्रशासन ने वहां पर भारी पुलिस बंदोबस्त कर दिया था तथा कार्यपालक मजिस्ट्रेट भी लगा दिए थे। भारी पुलिस बंदोबस्त में भी आंदोलनकारी हैड पर पहुंच गए।
अभी पूरी सूचनाएं नहीं है।


लोकतंत्र रक्षा मंच प्रतिनिधि राज्यपाल से मिले:आपातकाल शांतिभंग बंदी पेंशन मामला:


जयपुर , 10 मार्च। लोकतंत्र रक्षा मंच ने राज्यपाल कल्याण सिंह से आग्रह किया है कि आपातकाल के दौरान मीसा एवं डीआईआर के अलावा 107 व अन्य धाराओं में बंद रहे सत्याग्रहियों को समान सुविधा दिलवाने के लिए राज्य सरकार से बात करें। प्रतिनिधिमंडल ने राजभवन में राज्यपाल से मुलाकात में यह आग्रह किया।
राज्यपाल ने भरोसा दिलाया है कि वे इस विषय को देखेंगे और उसके बाद सरकार से बात भी करेंगे। प्रतिनिधिमंडल के सदस्य आपातकाल विजय दिवस 20 मार्च को उदयपुर में मंच के प्रदेश सम्मेलन में राज्यपाल को मुख्य अतिथि के रूप में आने का आग्रह करने के लिए उनसे मिले थे। राज्यपाल ने प्रसन्नता जाहिर की कि मंच इस तरह का आयोजन कर रहा है। उन्होने कहा कि वे खुद भी लोकतंत्र सेनानी रहे है और उनकी इच्छा भी है कि वे इसमें हिस्सा लें लेकिन उसी दिन राष्ट्पति के राजस्थान दौरे के कारण आने में समर्थ नहीं रहेंगे। उन्होने प्रतिनिधिमंडल को आयोजन की शुभकामना दी। प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल को बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार ने लोकतंत्र सेनानी सम्मान अधिनियम पारित किया है। ऐसा अधिनियम राजस्थान में भी पारित होना चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि वे अधिनियम की प्रति मंगवाकर उसका अध्ययन करेंगे और उसके बाद राजस्थान सरकार से बात करेंगे।
 राज्यपाल से मिलने वालों में मंच के प्रदेश मंत्री देवराज बोहरा, उपाध्यक्ष राजेन्द्र डेरेवाला, जिला अध्यक्ष बालगोपाल गुप्ता, कोटा संभाग प्रभारी बालचंद गर्ग, प्रवक्ता जुगल तापडिय़ा व राजेन्द्र राज शामिल थे। 



गुरुवार, 10 मार्च 2016

डिग्री फर्जी है.नजरें नीची रखें:तुम्हारे किसी भी फैसले से गड़बड़:


आरएसएस,आरपीएस,आइएएस कुछ भी बन जाओ.
डिग्री बी.एड,एम.एड हो.फर्जीवाड़े से ली गई सदा अपराध ही रहेगा जब भी पकड़ा जाए।
- करणीदानसिंह राजपूत -
डिग्री फर्जी है। नजरें नीची रखें। नजरें ही नहीं गरदन भी नीचे ताकि नजरें ऊपर उठ नहीं सके। नजरें आमने सामने किसी ऐसे से टकरा गई जो तुम्हारी गड़बड़ी को जानता होगा तो फिर अच्छे पद चाहे आरएसएस का हो चाहे आरपीएस का हो चाहे आइएएस का हो तुम वहां कुर्सी पर बैठ कर काम नहीं कर सकते। पद तो चाहे कितना ही ऊंचा हो चाहे कितना ही बड़ा हो उसकी पावर तुम्हारे में नहीं रहेगी। अपराध बोध तो सदा ही रहेगा। न जाने कब कोई शिकायत करदे? न जाने कब यह किसी सोशल मीडिया में आ जाए? कोई अखबार वाला न जाने कब भेद छाप डाले? गड़बड़ फर्जीवाड़ा भी ऐसा कि उसे किसी प्रकार से छुपाया नहीं जा सके और गायब भी नहीं किया जा सके। ऊंचे पर पावर फुल पद पर जाने के बाद अपराध बोध सताता ही रहेगा कि यह फर्जीवाड़ा क्यों किया? नौकरी कर सरकार के लाखों रूपए पचा लिए चाहे वे वेतन के रूप में मिले लेकिन जिस पद पर लगे वह डिग्री तो फर्जीवाड़े से हथियाई हुई थी। तुम कितने ही होशियार हो मगर अपराध तो कर ही लिया।
डिग्री फर्जीवाड़े से प्राप्त कर सरकारी नौकरी, एक पद से दूसरा पद  और ऊंचा अच्छा पद प्राप्त कर लिया हो चाहे आरएएस बन गए चाहे आइएएस बन गए।
तुम्हारे सामने भी लोगों के मामले आऐंगे। उनके निर्णय पर कोई भी नाराज होकर कभी भी तुम्हारा भेद खोल देगा। सभी के पक्ष में तो निर्णय दिए भी नहीं जा सकते?
तुम्हारा मामला भी कभी न कभी खुल जाएगा।
जितेन्द्र तोमर दिल्ली के कानून मंत्री आम आदमी पार्टी के राज के मंत्री तो बहुत बड़े थे। वे सामना नहीं कर पाए और कई दिनों तक जेल में रहने के बाद बड़ी मुश्किल से जमानत मिली। उनका प्रकरण 18 सालों तक छिपा रहा और जग जाहिर हुआ तो सामने केवल जेल ही थी। कानून मंत्री पद तो कम नहीं होता। कहां से कहां पहुंच गए?उनके पास में डिग्री फर्जीवाड़े से कबाड़ी हुई ही थी। जब वकालत के रजिस्ट्रेशन के लिए डिग्री पेश हुई तब किसी वकील ने शंका प्रगट की लेकिन उस समय गौर नहीं किया गया और वे वकालत करते करते आम आदमी पार्टी के नेता और विधायक चुने जाने के बाद कानूनमंत्री बन गए।
कानूनमंत्री बनाए जाने के बाद वही पुरानी शिकायत चल पड़ी और एक के बाद एक जाँचें और गिरफ्तारी।
तुमने फर्जीवाड़ा कर यानि फर्जी दस्तावेज तैयार करवा कर एक डिग्री ली और उसकी नौकरी से सरकार को लाखों रूपए का चूना लगा दिया। वह डिग्री चाहे पांच साल पहले ली चाहे दस ग्यारह साल पहले। तुम चाहे नए पद पर पहुंच गए हों लेकिन तुम भी जितेन्द्र तोमर की तरह कब  गिरफ्त में आ जाओगे? किसी को भी मालूम नहीं? इसे स्थानीय बोलचाल की भाषा बोली में समझा देना चाहता हूं कि ना जाने कब झल जाओगे?
इसलिए नजरें नीची रखना। यह मजबूरी है।
ये तुम्हारे संगी साथी मीडिया वाले नहीं बचा पाऐंगे। इनकी भी आवाज कितनी है? ये भी तो दो हजार छाप कर दसियों हजार और उससे अधिक रिकार्ड में दिखाकर बताने वाले। तुम्हें न बचा पाऐंगे न कोई इमदाद कर पाऐंगे। इनकी बेचारों की कितनी पावर है। ये तो तुम्हारी पकड़ के फंसने के समाचार छापने में भी देरी नहीं करेंगे। इनको भी यह डर तो सताता ही रहेगा कि रिकार्ड तो ये भी फर्जी तैयार करते हैं।
बस इसलिए यह सीख है। नजरें नीची ताकि बवाल आने का वक्त टलता रहे। खत्म तो नहीं हो सकता। जितेन्द्र तोमर तो फर्जीवाड़े में बनना ही पड़ता है। खतरा तो ऊंचे पद पर पहुंचने के बाद ही शुरू होता है।




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बुधवार, 9 मार्च 2016

गुलाब कोठारी का नवदम्पति रवि साक्षी को आशीर्वाद:


पत्रकार करणीदानसिंह राजपूत के पुत्र रविप्रतापसिंह एवं साक्षी अरोड़ा की शादी:
सूरतगढ 9 मार्च 2016.
राजस्थान पत्रिका ग्रुप के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी ने रविप्रतापसिंह बैंस राजपूत एवं साक्षी जयसिंघानी अरोड़ा की शादी पर आशीर्वाद प्रदान किया है। रवि व साक्षी दोनों ही सोफ्टवेयर इंजीनियर हैं।
यह विवाह समारोह 5 मार्च की रात्रि में यहां के प्रसिद्ध सन सिटी रिसोर्ट में सम्पन्न हुआ। समारोह में दोनों के परिजनों के अलावा गण मान्य ने भाग लिया।
रवि के पिता करणीदानसिंह ने राजस्थान पत्रिका में करीब 35 सालों तक पत्रकारिता की थी।


 

सोमवार, 7 मार्च 2016

पत्रकार करणीदानसिंह के पुत्र रवि व साक्षी के वरमाला दृश्य:


रविप्रतापसिंह एवं साक्षी अरोड़ा की शादी 5 मार्च को हुई।
सूरतगढ 9 मार्च 2016.
रविप्रतापसिंह एवं साक्षी अरोड़ा की शादी 5 मार्च को हुई। रवि व साक्षी दोनों ही सोफ्टवेयर इंजीनियर हैं।
यह विवाह समारोह 5 मार्च की रात्रि में यहां के प्रसिद्ध सन सिटी रिसोर्ट में सम्पन्न हुआ। समारोह में दोनों के परिजनों के अलावा गण मान्य ने भाग लिया।






पत्रकार करणीदानसिंह के सुपुत्र रविप्रतापसिंह और साक्षी के विवाह की आनन्दमयी लहर

रवि प्रतापसिंह व साक्षी दोनों ही सोफ्टवेयर इंजीनियर हैं
करणीदानसिंह राजपूत एवं श्रीमती विनीता सूर्यवंशी परिवार जयसिंहानिया परिवार

सूरतगढ़। वरिष्ठ पत्रकार करणीदानसिंह राजपूत एवं श्रीमती विनीता सूर्यवंशी के छोटे पुत्र रविप्रतापसिंह का विवाह सौभाग्यवती साक्षी पुत्री मीनाक्षी एवं स्व.राकेश अरोड़ा निवासी कोटा के संग सन सिटी रिसोर्ट सूरतगढ़ में भव्य समारोह में 5 मार्च 2016 को हर्षाेल्लास के साथ हुआ। सूर्यवंशी बैंस राजपूत परिवार और जयसिंहानिया अरोड़ा परिवार के इस रिश्ते के समारोह में गणमान्य ने भाग लिया। रवि प्रतापसिंह व साक्षी दोनों ही सोफ्टवेयर इंजीनियर हैं। दोनों के मित्रों व सहेलियों ने भी समारोह में जम्मू कश्मीर,दिल्ली,जयपुर बीकानेर से पहुंच कर भाग लिया। 

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