मंगलवार, 1 दिसंबर 2015

राजस्थान से शराब भी जाएगी और सरकार भी जाएगी:पूजा छाबड़ा का ऐलान:



सत्तामद और घमंड में डूबी वसुंधरा नहीं समझ रही,मगर भाजपा क्यों नहीं समझ रही:
आगे वही सरकार बनेगी जो शराबबंदी करेगी-न खुद सोऊंगी और न किसी को सोने दूंगी:
- करणीदानसिंह राजपूत वरिष्ठ पत्रकार - सामयिक टिप्पणी
पूजा छाबड़ा ने आमरण अनशन खत्म कराए जाने के बाद जो ऐलान किया है वह वसुंधरा राजे और भाजपा दोनों के लिए अत्यंत गंभीर चेतावनी वाला है। पूजा ने कहा कि राजस्थान में आगे वह सरकार बनेगी जो शराब बंद करेगी। यह भी कहा कि राजस्थान में शराबबंदी और सशक्त लोकपाल की नियुक्ति होने तक उनका संघर्ष जारी रहेगा। वे खुद नहीं सोएंगी और न किसी को सोने देंगी। राजस्थान में जो वातावरण भाजपा और वसुंधरा राजे के विरूद्ध बन रहा है,उससे लगता है कि गरमाए हुए मुद्दे को समझा नहीं गया तो राजस्थान से शराब भी जाएगी और वसुंधरा सरकार भी जाएगी।
लोग समझा करते थे कि आरएसएस में बुद्धिमान लोगों की कमी नहीं है और उनकी पैदाईश भाजपा में भी बुद्धिमान होंगे तथा जब दोनों में बुद्धिमान होंगे तो निश्चित है कि सरकार चलाने वाले भी बुद्धिमान व दूरंदेशी सोच वाले होंगे। मुख्यमंत्री और भाजपा प्रदेशाध्यक्ष से और अधिक सोच वाले होने की उम्मीद रखना गलत नहीं था। लेकिन लोक संघर्ष मोर्चा के गुरूशरण छाबड़ा के सत्याग्रह आँदोलन को समझा नहीं गया। गुरूशरण छाबड़ा या उसके परिवार को या मोर्चे को इससे कोई आर्थिक या राजनैतिक लाभ होने वाला नहीं था।
दोनों ही मांगों की पूर्ति से गरीब दीन हीन लोगों दलितों पीडि़तों को लाभ मिलता। शराब और भ्रष्टाचार से यही वर्ग पीडि़त होता रहा है। चाहे वह किसी जाति समाज व संप्रदाय का हो। इन दोनों ही मांगों को किसी भी तर्क पर गलत नहीं ठहराया जा सकता। पूजा छाबड़ा का अनशन खत्म करवा दिया लेकिन माँगें वहीं की वहीं पड़ी है जो सरकार को चुनौती दे रही है।
राजस्थान में संपूर्ण शराबबंदी और सशक्त लोकपाल की मांगों को लेकर पूर्व विधायक गुरूशरण छाबड़ा आमरण अनशन करते हुए बलिदान हो गए और राजस्थान सरकार ने 33 दिनों तक उनसे बात तक नहीं की। उनके परिवार ने घोषणा कर दी कि वसुंधरा सरकार और जितने बलिदान चाहती है,उतने बलिदान देने को तैयार हैं। उनकी पुत्रवधु पूजा छाबड़ा चेतावनी के बाद आमरण अनशन पर बैठ गई। सरकार अपने गरूर में बात करने नहीं पहुंची लेकिन उनको चिकित्सालय पहुंचा दिया। उन्होंने सरकारी दबाव को ठुकराते हुए अनशन जारी रखा और आठवें दिन की रात्रि में 30 नवम्बर को सरकार कुछ अकल आई व समझौता किया। मंत्री अरूण चतुर्वेदी पहुंचे व पूजा छाबड़ा का अनशन खत्म करवाया।
सरकार ने तीन माह का वक्त मांगा है जिसमें छाबड़ा के साथ हुए समझौते या सुझावों को लागू किए जाने के लिए मनन होगा।
अच्छा होगा कि राजस्थान की सरकार बिहार और महाराष्ट्र की सोच पर मनन करे और दोनों माँगों को पूरा करने का निर्णय ले।


 

- लेखक वरिष्ठ पत्रकार है और गुरूशरण छाबड़ा के आँदोलनों के साथी रहे हैं।
मोबाइल नं. 94143 81356

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