
राजस्थान में शराबबंदी और सशक्त लोकपाल की स्व.गुरूशरण छाबड़ा की मांग पर ही था आमरण अनशन:
छाबड़ा से हुए समझौतों को लागू करने के लिए अध्ययन हो रहा है:सरकार ने 3 माह का वक्त मांगा:
जयपुर में छाबड़ा के नाम पर सड़क और सूरतगढ़ राजकीय महाविद्यालय का नामकरण छाबड़ा के नाम पर सहमति:
जयदेवसिंह मीणा संतोकपुरा का आमरण अनशन भी खत्म:
स्पेशल रिपोर्ट- करणीदानसिंह राजपूत
गुरूशरण छाबड़ा के आमरण अनशन में 3 नवम्बर 2015 को बलिदान होने के बाद उनकी माँगों पर उनकी पुत्रवधु पूजा छाबड़ा ने 23 नवम्बर 2015 आमरण अनशन शरू कर दिया था तथा उसको मिल रहे व्यापक समर्थन से राजस्थान की भाजपा वसुंधरा राजे सरकार पर लगातार दबाव बढ़ रहा था। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कई बार कहा कि सरकार को पूजा छाबड़ा से बात करनी चाहिए और गुरूशरण छाबड़ा के निधन हो जाने की गलती को सुधारना चाहिए।
वसुंधरा राजे की सरकार के 2 साल पूर्ण होने जा रहे हैं और 13 दिसम्बर को जयपुर में बड़ा आयोजन होने वाला है। भाजपा पर राजनैतिक हमले होने की आशंका भी बढ़ चली थी। आखिर सरकार ने समझौते की ओर कदम बढ़ाया।
राजस्थान सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अरूण चतुर्वेदी ने लोक संघर्ष मोर्चा की प्रांतीय संयोजक पूजा छाबड़ा के साथ वार्ता की और दोनों पक्षों की राय के बाद मंत्री अरूण चतुर्वेदी ने फलों का रस पिला कर पूजा छाबड़ा का अनशन खत्म करवाया।
अरूण चतुर्वेदी ने अपने राज्य सरकार के कार्यक्रम बाबत बतलाया।


इसी बातचीत में यह सहमति हुई है कि जयपुर में गुरूशरण छाबड़ा के निवास के पास की मुख्य सड़क का नाम और सूरतगढ़ में शिक्षण संस्थान का नामकरण छाबड़ा के नाम पर किया जाएगा। इसके लिए सरकार ने 3 माह का वक्त मांगा है। सूरतगढ़ में राजकीय महा विद्यालय है जो गुरूशरण छाबड़ा के जनता पार्टी के विधायक चुने जाने के बाद भैरोंसिंह शेखावत के मुख्यमंत्री काल में सन् 1977 में खुलवाया गया था। इसका नामकरण छाबड़ा के नाम पर किया जाएगा।
बाबूसिंह खीची ने बताया कि शहीद स्मारक पर से पूजा छाबड़ा को उठाया गया तब उनके स्थान पर जयदेवसिंह मीणा संतोकपुरा आमरण अनशन पर बैठ गए थे। मीणा का अनशन भी खत्म करवा दिया गया है।

