गुरुवार, 10 जुलाई 2025

सूरतगढ़:प्लांड एरिया के अतिक्रमण कब हटाएंगे.

 

* करणीदानसिंह राजपूत *

सूरतगढ़ 10 जुलाई 2025.

भाजपा कार्यकर्ता बाबू सिंह की शिकायत के बाद हो रही जांच में पाना देवी का पट्टा  सन् 2024 तो निरस्त कर दिया गया है लेकिन इससे पहले भी पट्टे जारी हुए हैं। आवासीय आरक्षित क्षेत्र में अनेक मकान अभी भी बिना पट्टों के बने हुए हैं। सवाल यह है कि क्या नगर पालिका पाना देवी के मकान पर कब्जा लेने के बाद में अन्य पट्टे भी निरस्त कर भूमि कब्जे में लेगी?   जिनके पट्टे भी नहीं बने हैं उनको कब हटाएगी?

*  बाबू सिंह की शिकायत में ईओ पूजा शर्मा और सहायक अभियंता मेजरसिंह पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए पाना देवी मामले में मुकदमा दर्ज कराने आदि के लिए लिखा गया था। दोनों अधिकारियों को  सस्पेंड करने का भी लिखा गया था। 

इसी दौरान अधिशासी अधिकारी पूजा शर्मा ने पाना देवी के  नाम जारी पट्टे को अभियान में जारी होना बताते हुए निरस्त कर दिया। नगर पालिका ने निर्माण स्थल पर अपने कब्जे का बोर्ड भी लगा दिया। 

* पाना देवी की के विरुद्ध शिकायत और जांच के दौरान यह बात भी  जनता में उजागर हुई कि आरक्षित भूमि पर 2003 से भी पट्टे  दे दिए गए हैं। उनका क्या होगा यह तो पता नहीं लेकिन स्थिति यह है कि 1988 में जो आवासीय क्षेत्र के लिए आरक्षित घोषित की गई थी वहां पर मकान बनने ही क्यों दिए गए? उनको अब तक तोड़ा क्यों नहीं गया?  

*सन् 1998 से 2023 तक के मास्टर प्लान में क्या यह स्थान आवासीय योजना के तहत आरक्षित घोषित किया गया है या बदल दिया गया? यह भी जांच का विषय है? जिन लोगों के पास में उक्त मास्टर प्लान उपलब्ध है वे यह जगह देख सकते हैं। यह जगह उसमें आरक्षित दिखाई गई है या नहीं दिखाई गई?  

* एक सवाल पैदा होता है कि बाबू सिंह ने केवल मात्र एक ही पट्टे की शिकायत क्यों की?  बाबू सिंह को मालूम था कि वहां पर अनेक पट्टे दिए हुए हैं और अनेक अतिक्रमण भी हैं। अतिक्रमणों को हटाने के बारे में बाबू सिंह ने कुछ भी नहीं लिखा,लेकिन प्रशासन की ड्यूटी बन गई है कि उस आरक्षित स्थान को संपूर्ण खाली करवाए। 

* बाबू सिंह की शिकायत के बाद चर्चाओं में एक पट्टा सन 2003 में तत्कालीन नगर पालिका अध्यक्ष कृष्णा भाटिया के हस्ताक्षरों से मनोज सोमानी पुत्र रतनलाल सोमानी को जारी किया गया।  मनोज सोमानी उस प्लॉट में रहता नहीं है। यह पट्टा पूरी तरह से जांच का विषय है वहां पर चार दिवारी बनी हुई है आसपास के किसी मकान का वर्णन नहीं है। केवल मात्र पट्टे का भूखंड 40 गुना 70 फुट लिखा गया। श्री गंगानगर सड़क पर दिखाया गया है जो आज नेशनल हाईवे है। इस आवासीय पट्टे में विशेषता भी है कि आगे व्यावसायिक दर ली गई है और पीछे आवासीय दर ली गई है जब मनोज सोमानी वह रहता नहीं है तो इसके रहने के शपथ पत्र किसने दिए? यह भी जांच का विषय है? 

बाबू सिंह ने पानादेवी के भूखंड को करोड़ों का बताया हुआ है और पानादेवी के भूखंड के साईज से मनोज सोमानी का भूखंड बड़ा है। मनोज सोमानी का भूखंड उससे भी अधिक कीमत का है। मनोज सोमानी का भूखंड भी पानादेवी के भूखंड( अब निरस्त) की सड़क पर ही है। दोनों के बीच कुछ फुट की दूरी है।

* बाबू सिंह की शिकायत के बाद एक पट्टा और उजागर है जो बनवारी लाल मेघवाल के अध्यक्षता काल में जारी हुआ। बनवारी लाल मेघवाल का अध्यक्षता काल 2008 से 2013 तक था। यह पट्टा बूटासिंह के नाम से जारी हुआ। 

👌शिकायतकर्ता बाबूसिंह खीची ने केवल पानादेवी के एक पट्टे की शिकायत की,लेकिन वहां प्लांड एरिया में अन्य कीमती भूखंडों के पट्टों व अतिक्रमणों की शिकायत नहीं करता। परसराम भाटिया के अध्यक्षता काल में पट्टों के घोटालों की जांच की भी शिकायत नहीं करता। 

👌 परसराम भाटिया के अध्यक्षता काल में पट्टा घोटालों में नगरपालिका के पूर्व अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा ने पट्टों के विवरण सहित स्वायत्त शासन निदेशालय में शिकायत की हुई है। विभाग द्वारा तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी गई।

 ईओ पूजा शर्मा ने रिपोर्ट भेज दी। कुछ के गलत तथ्य भी भेजे। वह शिकायत शक्तिहीन होकर  बीच में लटक रही है। फर्जी रिकॉर्ड से पट्टे लेने वालों में भाजपा के लोग भी हैं। कांग्रेस के परसराम भाटिया ने बड़ी उदारता से पट्टे दिए।

* नगरपालिका प्लांड भूमि से अतिक्रमण कब हटाएगी और गलत पट्टों को कब निरस्त करेगी? इसके लिए कोई दबाव नहीं है और न कोई नयी शिकायत है।०0० 







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