* करणीदानसिंह राजपूत *
बरसाती पानी में कागज की नाव बच्चे चलाते हैं जो कुछ दूर तक बहाव में चलकर डूब जाती है। बरसात से पहले जो नेता नेतियां चुप अपने अपने घरों में पड़े थे या किसी न किसी प्रकार का नाटक कर रहे थे, वे अब कागजी नाव चलाने के लिए बरसात में डूबते लोगों के बीच पहुंच कर जन हितैषी होने का नाटक करने में लग गए हैं। सभी नाटककारों को मालुम है कि उनकी नाव तो कुछ दूरी तक ही चलेगी। नाटककार मोहल्लों में नहीं जा रहे, क्योंकि वहां लोग खरी खरी सुना देंगे इसलिए नगरपालिका में घंटे आध घंटे का धरना प्रदर्शन का या एसडीएम एडीएम कलेक्टर से भेंट करने का नाटक करने में लगे हैं। बड़े नाटककार मंत्रियों से भी मिल रहे हैं। सभी के समाचार विडिओ भी सोशल मीडिया पर चल रहे हैं। यह नाटक ही उनको बरसाती मेंढक साबित कर रहा है।
* नेता नेतियां बरसात से पहले अपने अपने शहरों गांवों में देख लेते कि पानी निकासी की व्यवस्था है या नहीं है? मानसून की बरसात आने से पहले जिलाकलेक्टर का निर्देश होता है कि मई तक नाले नालियां साफ करवाएं। इस संदेश का पालन हुआ या नहीं, यह देखने के लिए ही नाले नालियों पर झांक लिया जाता। अब बरसात शुरू होने के बाद पानी की निकासी नहीं होने, घरों दुकानों में पानी घुसने के बाद,जल भराव वीआईपी लोगों के वार्डों में होने के बाद नाटक शुरू है। गरीबों की कच्ची बस्तियों और उनके मकानों के टूटने बिखरने पर कोई नहीं बोला। अब वीआईपी कहलाने वाले मोहल्लों में पानी भरा है तो मेंढक भी निकल पड़े हैं। वीआईपी लोगों ने अपने आवासों कोठियों के आगे सड़कों पर बड़े बड़े अतिक्रमण कर रखे हैं जो बरसाती पानी के निकास में बाधा बने हैं। अब वीआईपी परिवार घरों में कैद हैं। घरों के आगे पानी भरा है। बाहर निकल नहीं सकते। स्कूटी पानी में तैर रही है। नेता नेतियां वहां कागजी नाव चला रहे हैं। वैसे तो वीआईपी लोगों को कागज की नाव चलाने का खेल भी कर लेना चाहिए। लोगों के आवागमन में बाधा करने वाले अतिक्रमणों को सजाने संवारने वाले बड़े लोगों को शर्म भी नहीं आती। आवासों के आगे मोहल्लों में बरसाती पानी के पोखर तालाब झीलें बन रही है ये सब मौत का बुलावा है। अभी भी चेत जाएं। कागजी नावें चलाने का नाटक बंद करें। ०0०
8 जुलाई 2025.
करणीदानसिंह राजपूत,
पत्रकार,
( राजस्थान सरकार से अधिस्वीकृत)
सूरतगढ़ ( राजस्थान )
94143 81356.
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