बुधवार, 16 अप्रैल 2025

वार्डों के पुनर्सीमांकन के विरोध पर अब क्या होगा? कांग्रेस नेता ओवर ऐज हो गये.

 



* करणीदानसिंह राजपूत *

सूरतगढ़ 16 अप्रैल 2025.

कांग्रेस पार्टी ने नगरपालिका के वार्डों के पुनः सीमांकन में अनेक खामियों का वर्णन करते हुए उपखंड अधिकारी संदीपकुमार काकड़ को ज्ञापन दिया। कांग्रेस ने सीमांकन दुबारा कराने की मांग की। वार्डों को गलत ढंग से काटा जोड़ा गया। 2011 की जनगणना के आधार पर यह हुआ लेकिन 2011 में क ई कालोनियां नहीं थी,जहां आबादी नहीं थी वहां अब लोग काफी संख्या में बस गये हैं। विधायक डुंगरराम गेदर ने कहा कि वोटर लीस्ट बनेगी तब यह मालुम होगा कि अनेक वार्ड 900-1000 के रह गये और अनेक वार्ड 2500-3000 के बन गये।

* नगरपालिका का पुनः सीमांकन किया उन्हीं को ज्ञापन देने का जिलाकलेक्टर डा.मंजू  का आदेश ही त्रुटि पूर्ण है। नगरपालिका के प्रशासक पद पर उपखंड अधिकारी संदीपकुमार काकड़ है जिनकी निगरानी में ही पुनः सीमांकन हुआ है।  असल में जब पुनः सीमांकन के आदेश हुए थे उसी समय कांग्रेस या अन्य के सुझाव काफी प्रभावी होते। लेकिन बात तो रूचि की और सजगता की है जो कांग्रेस में दिखाई नहीं दे रही।   लोगों को कांग्रेस पदाधिकारी ही पसंद नहीं आ रहे और उनके कारण लोग धरना प्रदर्शन में नहीं आते। विरोध प्रदर्शन और सभा में 45 वार्डों से केवल 50-60 लोग हों और उनमें महिला एक भी नहीं हो तो नेताओं को सोचना चाहिए। कांग्रेस के सारे पदाधिकारी आए और साथ में दो चार आदमी नहीं लाए। एक वार्ड से 4-5 आदमी होते तो सभा में 200 तो होते। परसराम भाटिया का आह्वान था और उनके आह्वान पर लोग आते नहीं। भाटिया पर नगरपालिका अध्यक्ष रहते भ्रष्टाचार के अनेक आरोप हैं और वे आरोप अभी बीज ही हैं, उगेंगे तब हालत और बुरी होगी। विधायक डुंगरराम गेदर को सब कुछ मालुम है मगर उनकी टीम में कोई आदमी नहीं जो भाटिया जितना काम कर सके।

भाटिया के स्थान पर किसी ओर को ब्लॉक अध्यक्ष बनाना संभव नहीं क्योंकि भाटिया और विधायक एक ही हैं। अब विधायक गेदर भी आह्वान करें तो भीड़ नहीं होती। विधानसभा चुनाव में कासनीया के विरोध के वोट मिले और गेदर रिकार्ड बना गये। करीब 57 हजार अधिक से जीते और अब सभी बिखर गये। 

* विधायक डुंगरराम गेदर की एकेले की यह दुर्दशा नहीं हुई है, बाकी नेताओं के भी हाल बुरे हैं। पूर्व विधायक राजेंद्र सिंह भादु तो भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर चुनाव में निर्दलीय खडे़ हुए बुरी तरह से हारे और कोई रास्ता नहीं होने पर कांग्रेस में घुसे। कांग्रेसियों को कोई परवाह नहीं,कुनबे में ये भी पड़े रहेंगे। भादु भी पांच आदमी नहीं ला सकते। बलराम वर्मा, जे.पी.गहलोत और नेता भी पांच आदमी नहीं ला सकते। आदमी साथ नहीं जुटने का बड़ा कारण कि ये खुद जनता के काम कराने को घरों से बाहर नहीं निकलते। असल में ये सभी ओवर ऐज हो गये हैं जिनसे काम नहीं होता। जब किसी के साथ नहीं, जनता में नहीं, तब कौन साथ आए। भाजपा राज में जो कुछ स्थानीय विभागों में हो रहा है, वहां कांग्रेस नेता परेशान लोगों के साथ नहीं। परेशान कर रहे किसी भी अधिकारी कर्मचारी की शिकायत नहीं।

* कांग्रेस ने अब वार्डों में घूमकर रिपोर्ट बनाई लेकिन पहले कभी वार्डो में नहीं घूमे। आज के ज्ञापन में मेहनत करते। सभी वार्डों के वोटों की संख्या बताते कि आनुपातिक रूप से संख्या सही नहीं है। जो आज हालत देखी है उससे लगता नहीं है कि कोई दुबारा कार्य होगा। यह सब दबाव से होता है। दबाव जनता डालती है या जनता साथ होती है तो नेता भी दबाव से काम करवा सकते हैं। प्रशासनिक रूप से तो अब कुछ होने की उम्मीद नहीं है। 

* कांग्रेस जनता के साथ लगे। वार्डों का और अध्यक्ष का चुनाव लड़ने की जो सोच रहे हैं वे कई तो बैठकों सभा प्रदशर्नों में भी नहीं आते। ०0०







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