रविवार, 29 सितंबर 2024

भ्रष्टाचारियों दुराचारियों से संस्थाओं में समारोहों में कैसी प्रेरणा ?

 

* करणीढदानसिंह राजपूत *

भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों पर लिखना छापना प्रकाशित करना लोगों की दृष्टि में अच्छा नहीं। भ्रष्टाचारियों को रोका टोका नहीं जाता उल्टा भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों पर लिखने छापने प्रकाशित करने वालों को सीधा कहा जाता है या किसी से कहलवाया जाता है कि ऐसा नहीं करना था। एक नेक काम करने वाले समाज को परेशानी से भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों से मुक्त करने की कोशिश करने वाले को इस तरह से प्रचारित किया या करवाया जाता है कि उसने बहुत बुरा किया है। समाचार से संस्था की बदनामी हो रही है लेकिन एक भी संस्था पदाधिकारी सदस्य घपला करने वाले को दोष नहीं देते कि उसने भ्रष्टाचार क्यों किया? संस्था के किसी सदस्य पदाधिकारी और अध्यक्ष ने भ्रष्टाचार नहीं किया तब संस्था की बदनामी कैसे हो सकती है? इतना तो लोग पढे लिखे हैं।

ऐसा कहकर घोटालों के प्रमाणित दस्तावेजों के होते हुए भ्रष्टाचारियों को बचाने का प्रयास होता है। वे एक मामले में बचते हैं तो रूकते नहीं और नये घोटाले करते हैं। एक तो घोटालों के समाचार छिपाने की ही कोशिश होती है बहुत प्रयासों से दबाए हुए समाचार निकाल कर लाए जाते हैं और अनेक प्रलोभनों को ठुकरा कर जनता के सामने रखे जाते हैं तो शाबाशी के बजाय आलोचना मिलती है। 

एक बड़ा प्रश्न यह भी है कि संस्थाओं में ऐसे डरपोक पदाधिकारियों और सदस्यों को रहना ही नहीं चाहिए जो सच्च को सच्च कहने से छिपते हों। सेवा का पुण्य लेना चाहते हैं तो फिर ऐसे सेवक घपलों को दबाने के लिए झूठ बोलकर झूठ के साथ खड़े होकर सच्च छुपाने का प्रयास करके पाप क्यों कमाते हैं? 

* भ्रष्टाचार भ्रष्टाचारियों और दुराचारियों से देश समाज की बदनामी मानते हैं और फिर भी भ्रष्टाचारियों और दुराचारियों से समारोहों में फीते कटवा कर नारियल फोड़वा कर पुरस्कार भी बंटवा देते हैं तथा उनके साथ फोटो खिंचवाते हैं और अखबारों में छपवाते हैं। चैनलों पर विडिओ भी चलवाते हैं। यह सोचने समझने का तथ्य है कि ऐसे कृत्य से भ्रष्टाचारी दुराचारी संग खड़े होने से समाज को किस तरह की प्रेरणा देने का सत्कार्य किया जाता है?

29 सितंबर 2024.

करणीदानसिंह राजपूत,

पत्रकार.

(राजस्थान सरकार द्वारा अधिस्वीकृत)

सूरतगढ ( राजस्थान )

94143 81356

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