शनिवार, 15 जुलाई 2023

घग्घर से पीड़ा का लेख 1990 जरूर पढें. पत्रिका का राज्यस्तरीय प्रथम पुरस्कार मिला.





* करणीदानसिंह राजपूत *

 घग्गर नदी वर्षों बाद सन् 2023 में फिर उफान पर है। हनुमानगढ़ और श्रीगंगानगर जिला कलेक्टर ने सतर्कता के संदेश और प्रशासन को आदेश दिए हैं। बचाव और सुरक्षा। बहाव क्षेत्र और घग्गर डिप्रेशन ( झीलें) में पानी की बहुत आवक रहेगी। बहाव क्षेत्र में नुकसान होता था। रेलें बंद हो जाती थी। खेत डूब जाते थे। 


* बाढ़ और उसके बचाव में सिंचाई के लिए पानी रेतीले टिब्बों के डिप्रेशन गहराई वाले क्षेत्र में छोड़ने की सन्1962 में योजना बनी। घग्गर बाढ नियंत्रण विभाग बना। पानी डिप्रेशनों ( कृत्रिम झीलों में छोडा जाने लगा। झीलों के रिसाव से हनुमानगढ़ गंगानगर जिले की 30,000 से अधिक एकड़ उपजाऊ कृषि भूमि नष्ट हो गई। किसानों की भूखे मरने की हालत।  सैंकड़ों गांवों के लोग दयनीय हालत में आ गए थे। उनकी पीड़ा कोई सुनने वाला नहीं था। सरकारें क्या करती रही?

 * उप प्रधानमंत्री चौधरी देवी लाल, मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर, कुंभाराम आर्य आदि ने जो कुछ किया बोला वह बहुत दर्दनाक था। यह दर्दनाक स्थिति नेताओं के दौरे मैंने देखे। 

सन् 1975 से किसानों के दर्द को बहुत नजदीकी से जाना और कार्यक्रमों में दर्द और पुकार सुनने के बाद में 15 सालों के दर्द पर मैंने एक लेख * घग्घर झीलों के रिसाव की त्रासदी भोग रहे हैं सैंकड़ों गांव" लिखा। 

राजस्थान पत्रिका में कड़वा मीठा सच स्तंभ में 1 अगस्त 1990 को प्रकाशित हुआ जिस पर राज्य स्तरीय प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ। 7 मार्च 1991 को एक भव्य समारोह में महारानी सिसोदिया बाग में मुझे सम्मानित किया गया। भारत में टीवी का श्री गणेश करने वाले महान व्यक्तित्व गोपाल दास जी ने पुरस्कार प्रदान किया। राजस्थान पत्रिका के संस्थापक कर्पूर चंद कुलिश ने भी अन्य लोगों के साथ तालियां बजाकर मुझे सराहा। यहां पर मेरे उक्त  लेख की फोटोकापी फुल साइज में प्रदर्शित है। पढ सकते हैं। प्रिंट निकलवा सकते हैं।



* किसानों का दर्द समझ में आएगा। उस समय बड़ोपल के सरपंच आत्माराम भादु ने बहुत संघर्ष किया। पुलिस की मार और मुकदमें सहन किए।

गुरूशरण छाबड़ा के साथी किशन मुंधड़िया ने सुझाव दिए थे। पुरखाराम सिल्लु ने भी सुझाव दिए। 

* घग्घर बाढ और झीलों के रिसाव पर सैंकडों लेख रिपोर्ट्स छपी। इतवारी पत्रिका दिनमान आदि में छपी।

* राजस्थान पत्रिका में राज्यस्तरीय तीन प्रथम और एक द्वितीय पुरस्कार रिकार्ड रहा। ०0०










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