शनिवार, 13 मई 2023

सूरतगढ को बढते नशे के कारोबार ने नशागढ बना डाला.

 

* करणीदानसिंह राजपूत *

सूरतगढ़ में नशे के बढते कारोबार से आम आदमी पीड़ित हो रहा है घर बर्बाद हो रहे हैं मगर आम आदमी रिस्क लेकर नशा फैलाने वालों के विरुद्ध कोई कार्रवाई शिकायत कर नहीं पाता और पुलिस कार्रवाई कर नहीं रही है।

 सूरतगढ़ में हालात बेकाबू से हैं।अंधेरा होते ही रात को नशेड़ी टोलियां घूमती हैं।  नशा बिकता  है। नशा खरीदा जाता है।  लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हो रही। हिस्ट्रीशीटर नशा बेचे, नशा युवकों को सेवन कराए,मौत हो जाए तब भी पुलिस उसे ठंडे बस्ते डालती है और पीड़ित परिवार को अभियुक्त से बात कर लेने के लिए बुलाती है। नशे के विरुद्ध मौत होने पर मुकदमा दर्ज होने पर किसी को भनक नहीं पड़ती और बड़े अखबार के संवाददाता मुकदमे में दर्ज नाम छापने से ही दूर रहते हैं। जब अखबार वाले ही नाम  न्यूज़ को दरकिनार करें तब पुलिस पर नकेल डालने वाला तो कोई बाकी भी नहीं बचा।


 नशा बेचने वाले बिकवाने वाले सत्ताधारियों के इधर-उधर रहते हैं। यह कोई नई बात नहीं है।हर अपराधी सरंक्षण चाहता है और यह संरक्षण मिलता भी है। जब कोई खबर ही नहीं लगे तब लोगों को पता कैसे लगे कि शहर में नशे का कारोबार भयानक रूप से फैल चुका है और सूरतगढ़ नशा गढ बन चुका है। 

जिनकी जिम्मेदारी है। समाज में विकास के बढ़-चढ़कर के दावे करते हैं।गली मोहल्लों में कीर्तन करते हैं धार्मिक कथाएं करवाते हैं जगराते करवाते हैं। सभी नेतृत्व करने वाले सूरतगढ़ में बढ़ते नशे पर मौन है। कोई भी व्यक्ति और राजनीति में हिस्सा लेने वाला मामूली सा भी रिस्क नहीं लेना चाहता और पुलिस को सूचना नहीं देना चाहता।

👍 पुलिस खुद खोज खबर करना नहीं चाहती। पुलिस के मुखबिर नशे के मामले में बेचने वाले खरीदने वाले घर-घर में जहां मोहल्लों में नशा है मालूम होते हुए भी पुलिस को सूचना नहीं देना चाहते। बहुत नाजुक मोड़ पर सूरतगढ़ पहुंच गया है।शहर के 45 वार्ड हैं जिनमें कुछ वार्डों में रात को स्ट्रीट लाइट रहती है मगर दूरस्थ बस्तियों में कच्ची बस्तियों में मोहल्लों में अंधियारे के बीच रात के सब कुछ चलता है। 

युवाओं की टीमें और टुकड़ियां रात में 10:11 बजे और उसके बाद में भी घूमें तो कोई रोक-टोक नहीं है। कोई पूछने वाला नहीं है कि आधी रात को युवकों की टोलियां क्यों घूम रही है?

 सूरतगढ़ एजुकेशन हब के नाम से प्रसिद्ध होता जा रहा है और यहां हजारों बाहर के विद्यार्थी युवा जो उच्च शिक्षा ग्रहण करने आते हैं वे कितनी शिक्षा प्राप्त करते हैं और किन अपराधों में लिप्त हो जाते हैं?यह उनके अभिभावकों को भी मालूम नहीं पड़ता? बर्बादी हो रही है मगर बर्बादी को रोकने वाला कोई नहीं! 

👍  पुलिस ने एक दो घटनाओं के बाद में पेइंग गेस्ट हॉस्टल पर लगातार निगरानी की जांच की घोषणा की थी लेकिन दो चार पेइंग गेस्ट हॉस्टल पर जांच हुई और उसके बाद में सब कुछ रुक गया। अब तो साल से कोई कार्य ही नहीं हुआ।जब किया तब भी सब कुछ सही नहीं किया गया।  

हॉस्टल मालिक पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।  उसका पीजी हॉस्टल बदनाम ना हो जाए।

 चर्चाएं सब और होती हैं। पत्रकार भी आपस में चर्चा करते हैं। जनता के बीच भी चर्चाएं होती हैं। राजनीतिक कार्यकर्ताओं के बीच में भी चर्चाएं होती है। कोई भी आगे बढ़कर शिकायत नहीं करना चाहता है। पत्रकार को मालूम पड़ने के बावजूद अखबार में प्रकाशित करना नहीं चाहता है।  

अखबारों की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। समाज को जनता को सजग करने की लेकिन आश्चर्य है कि सूरतगढ़ में मुकदमा दर्ज हो जाने के बावजूद भी नशे के मामले में समाचार रिपोर्ट नहीं छप सकती। यदि भूले भटके कोई न्यूज़ लगाई जाती है तो केवल पुलिस का कथन ही लगाया जाता है। अगले दिन उसका अपडेट क्या हुआ 

वह समाचार में नहीं आता। सबकुछ गोलमाल हो जाता है।

* सूरतगढ़ विधानसभा क्षेत्र जिसमें सूरतगढ़ सिटी सूरतगढ़ सदर राजियासर जैतसर पुलिस थाने आते हैं और सीओ ऑफिस भी है लेकिन कार्रवाई के नाम पर यदि कोई सामने पकड़ में आ जाए तो मुकदमा बनता है। अन्यथा पुलिस की तरफ से कोई खोज नहीं है। खोज हो तो मुकदमे भी हों। 

सूरतगढ़ का रिकॉर्ड देखें तो जांचने से पता लग जाएगा कि नशे के विरुद्ध कितने मामले पुलिस ने स्वयं गुप्त सूचनाएं जुटा कर पकड़े?

* नशे के गैंग के विरुद्ध कोई सीधी सूचना देना नहीं चाहता क्योंकि मोहल्लों तक में यह कार्य चल रहा है। सीधा बैर बन जाता है।

 👍 ऐसे में पुलिस की सीधी जिम्मेदारी बनती है कि बीट कांस्टेबल के माध्यम से गुप्त सूचनाएं संग्रह करें। नशा कौन करता है? कौन बेचता है? कौन बड़ा विक्रेता है? और किन क्षेत्रों में किस समय नशे के कारोबारी अपना अवैध कारोबार चलाते हैं? नशा कहां से कैसे लाया जाता है?

पुलिस जब कभी मुकदमा हो तो उसका अपडेट भी अगले दिन बताए। लोगों के सामने सही समाचार आ सकते हैं लेकिन ऐसा होता नहीं है। जब वाहनों पर नशे से संबंधित सामग्री मिलती है तब पुलिस चालक और खलासी जो मौजूद होते हैं उन पर मुकदमा बनाती है। वाहन जप्त करती है। लेकिन वाहन के अंदर माल किसका है? कहां जा रहा है?उसके बारे में प्रेस को भी सूचना नहीं देती, छुपाती है। यहां से गड़बड़ी शुरू होती है। लेकिन पत्रकार जिनका पुलिस से रोजाना समाचार लेने देने का कार्य होता है वह पत्रकार भी खोज खोज कर पूछना नहीं चाहते कि पुलिस ने आगे क्या कार्यवाही की? जितना बताया गया उतना छाप दिया गया। बस इतनी ही जिम्मेदारी का कार्य निभाया गया। संपादक भी संवाददाताओं को आगे नये अपडेट के लिए निर्देश नहीं देते।

 ** राजनीतिक दल चाहे कोई भी हो,न कोई नेता बोलता है नत्रकभी कोई पदाधिकारी बोलता है। नशा कारोबारी को बचाते हैं। उसकी चर्चा तक नहीं करते। नशे के व्यभिचार के अड्डे राजनेताओं से छिपे नहीं और कारोबारी भी छिपे नहीं।

👍 यह कारण है जिससे सूरतगढ़ नशे के कारोबार में नशा गढ़ बन गया है.  सूरतगढ़ यानी नशा गढ को संपूर्ण विधानसभा क्षेत्र में एक साथ कार्रवाई करके उच्च पुलिस अधिकारी बचा सकते हैं। इसके अलावा अन्य कोई रास्ता नहीं है।०0०

13 मई 2023.

करणीदानसिंह राजपूत,

पत्रकार

( राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय से अधिस्वीकृत)

सूरतगढ ( राजस्थान )

94143 81356.

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