भारतबंद केस 1989.हरचंदसिंह सिद्धू गुरुशरणछाबड़ा आशाभारती बलराम वर्मा. कुल 16.
* करणीदानसिंह राजपूत *
👍आज ( 16 अप्रैल 2023 ) से 34 साल पहले एक दिन के भारतबंद में रेलें रोकने तोड़फोड़ करने नुकसान पहुंचाने, पुलिस आदि पर पत्थर मारने का मुकदमा 30 अगस्त 1989 को दर्ज हुआ।
कांग्रेस का राज था। प्रतिपक्ष राजनीतिक दलों की ओर से भारत बंद का आयोजन हुआ जिसमें सूरतगढ़ शहर तो बंद हुआ रेलें रोकी गई और रेलवे स्टेशन पर पत्थर वर्षा लाठीचार्ज आदि हुए।
* मुकदमा इन लोगों पर बनाया गया जिनमें बहुत से अभी जीवित है आंदोलन करने में व्यस्त हैं और अनेक संसार से विदा हो गए। यह गंभीर केस भारतीय दंड संहिता और भारतीय रेलवे अधिनियम की विभिन्न धाराओं में दर्ज हुआ था। अगर ये लोग दंडित होते तो वर्षों तक जेलों में रहना पड़ता। चालान होने के बाद 6 साल तक बीकानेर अदालत के चक्कर काटने पड़े थे।
** अब आंदोलन मैं नाटक फोटो खिंचवाने आदि की प्रक्रियाएं अधिक हो गई। असली काम अब कोई करना नहीं चाहता। ऐसे ही सूरतगढ़ में चल रहे वक्त में 34 साल पुराने इस मुकदमे की चर्चा कर रहा हूं रोचक मुकदमा है अनेक नाम जाने पहचाने हैं सूरतगढ़ में दिखाई पड़ते हैं। मुकदमा सूरतगढ़ के थाना अधिकारी रिचपाल पूनिया की ओर से रेलवे थाने में दर्ज करवाया गया था जो रेल सुरक्षा के लिए स्टेशन पर आए थे।
* आरोप था की रेलवे की गाड़ियां
रोकी गई। बठिंडा की तरफ से आई कालका एक्सप्रेस को सूरतगढ़ प्लेटफार्म पर आने से पहले ही रोका गया। रेल पटरी पर पत्थर लगाए गए और लोग बैठ गए। उसके बाद में जब पुलिस ने पत्थर हटाए। पटरी से लोगों को हटाया तब करीब एक हजार की उग्र भीड़ ने पुलिस पर पथराव कर दिया।उसमें सीआरपीएफ आरपीएफ पुलिस आरएसी आदि के 20 जवानों के चोटें आने का आरोप भी लगाया गया था। 10:30 पर गाड़ी रोकी गई थी। भीड़ कंट्रोल में नहीं आई तब 10:40 पर सूरतगढ़ के सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट की ओर से हल्का लाठीचार्ज करने का आदेश दिया गया और भीड़ को तितर-बितर किया गया था।
मुकदमा बहुत गंभीर था। इस मुकदमे में जिनको अभियुक्त बनाया गया उनके नाम सदा चर्चा में रहे हैं। पूर्व विधायक गुरूशरण छाबड़ा और उनकी पत्नी आशा भारती संसार में नहीं हैं मगर याद किए जाते है।
1* इस मुकदमे में पूर्व विधायक हरचंद सिंह सिद्धू जो उस समय लोकदल के थे।
2* गुरुशरण छाबड़ा पूर्व विधायक।
3* आशा भारती पत्नी गुरूशरण छाबड़ा ।
4* सूरज कंवर
5*हनुमान सोनी
6*रामकुमार शर्मा
7*महावीर पारीक (तिवारी) पुत्र सोहनलाल
8* बलराम वर्मा पुत्र श्र सहीराम।
9* साहब राम स्वामी
10* रावतमल सारड़ा पुत्र गंगा विशन
11* सुशील कुमार जैन पुत्र दिलात्म प्रकाश
जैन
12. नंदकिशोर पुत्र चंदनमल सोमानी
13. दिलात्मप्रकाश पुत्र त्रिलोक चंद जैन
14. बिहारी लाल पुत्र शंकर लाल शर्मा
15.श्याम कुमार मोदी
16.रघुवीर प्रसाद स्वामी पुत्र धन्नाराम स्वामी 17 17.राजाराम कड़वासरा पुत्र मनीराम मानकसर 18.श्याम महर्षि.
👍 नाम काटे हुए हैं। 16 जनों पर यह केस चला।
👍 यह मुकदमा भारतीय दंड संहिता की धाराओं 147 148 149 और इंडियन रेलवे एक्ट की धाराएं 126 127 128 129 के तहत दर्ज कराया गया था। रेलवे संपत्ति का नुकसान करने का आरोप था।
* मुकदमा नंबर 165/ 1990 बीकानेर की विशिष्ट न्यायाधीश अनुसूचित जाति एवं जनजाति बीकानेर की अदालत में चला।
** आंदोलनकारियों अभियुक्तों की ओर से क्राइम के प्रसिद्ध एडवोकेट सच्चिदानंद ने पैरवी की। अनेक गवाह पेश हुए। 18 -5-1990 को अदालत में चालान हुआ। 6-4-1993 तारीखें पड़नी शुरु हुई। 24 पेशियों के बाद में अंतिम बहस भी हुई। 6 -5- 1995 को सभी आरोपमुक्त कर दिए गए। इस मुकदमे से सभी को रिहाई मिली।
👍 राजाराम बिश्नोई निवासी मानकसर रिहाई होने के बाद में यह फाइल लेकर शाम की गाड़ी से 4:00 बजे सूरतगढ़ लौटे। मेरे कार्यालय में आए और बताया कि सभी बरी हो गए हैं। उनके पास वकील की फाइल थी जो मुझे सौंप दी।
* यह केस बहुत गंभीर था। अगर थोड़ी भी कमजोर होती तो सजा होती। निश्चित रूप से कई सालों तक जेलों में जिंदगी काटनी पड़ती।
लोगों के लिए जीवन जीने की ऐसी अनेक संघर्ष कथाएं हैं। ०0०