सोमवार, 27 फ़रवरी 2023

सूरतगढ़ सीवरेज घोटाला:अध्यक्ष काजल से अध्यक्ष कालवा तक.दबा हुआ सच्च.

 

* करणीदानसिंह राजपूत *

सूरतगढ़ 27 फरवरी 2023.

सूरतगढ़ में सीवरेज घोटाला गलत भुगतान काजल छाबड़ा के अध्यक्ष काल में हुआ और विस्तार पाता हुआ ओमप्रकाश कालवा के अध्यक्ष काल तक आ पहुंचा और कालवा पर मुकदमा भी करा दिया गया। राजनीति कारणों से ओमप्रकाश कालवा को आरोपी बनाया गया कि यह हटे तो अध्यक्ष की कुर्सी दूसरे को मिले हालांकि कालवा गलत भुगतान का आरोपी तो है। काजल छाबड़ा का कार्यकाल 2014 से 2019 खत्म हो गया और उससे कुछ मिलने वाला नहीं था। लेकिन सच्च यही है कि काजल छाबड़ा के अध्यक्ष रहते घोटाला हुआ और सारा फर्जीवाड़ा हुआ। काजल छाबड़ा भाजपा की थी और अभी भाजपा में हैं। कालवा घोटाला करते समय कांग्रेस में थे और अब भाजपा में हैं। आश्चर्य हो गया है कि अब दोनों ही भाजपा में है। 

ओमप्रकाश कालवा को आज 27 फरवरी 2023 को भाजपा ने कुर्सी पर बिठाने का कार्यक्रम किया जिसमें काजल छाबड़ा भी स्वागत सम्मान में आगे रही। ओमप्रकाश कालवा और काजल छाबड़ा का यह फोटो यहां दिया गया है। 

* मामला घोटाले का है और गलत कागजात बनाने और भुगतान का है। दोनों भाजपा के हैं। कांग्रेस में कोई समझदार होगा तो वह काजल छाबड़ा को भी लपेटेगा। काजल छाबड़ा को भाजपा विधायक राजेंद्र सिंह भादु का सपोर्ट था।

रामप्रताप कासनिया ने विधानसभा में यह प्रकरण उठाया तब ओमप्रकाश कालवा नहीं काजल छाबड़ा अध्यक्ष थी। 

1- 28 जून 2019 को मुख्यमंत्री को शिकायत हुई। 

2- जुलाई 2019 में रामप्रताप कासनिया ने विधानसभा में यह मामला उठाया।

3- ओमप्रकाश कालवा ने 2 दिसंबर 2019 को अध्यक्ष का कार्यभार ग्रहण किया।

👍 ये सभी समाचार विस्तार से करणी प्रेस इंंडिया में प्रसारित हुए और अभी भी हैं तथा देखे जा सकते हैं। इन समाचारों को वहां से कॉपी करके यहां प्रस्तुत किया है।

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सूरतगढ़ः सीवरेज घोटाले का समाचार 28 जून 2019 को प्रसारित हुआ। ओमप्रकाश कालवा के 6 माह पहले: काजल छाबड़ा अध्यक्ष थी।

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- माकपा और कांग्रेस के पार्षदों की शिकायत --


^ करणी दान सिंह राजपूत ^


नगर पालिका सूरतगढ़ के कांग्रेस पार्टी के पार्षद विनोद पाटनी व मार्क्स कम्युनिस्ट पार्टी के पार्षद लक्ष्मण शर्मा  ने मुख्यमंत्री को शिकायत की है कि नगर पालिका सूरतगढ़ ने सीवरेज कार्य निर्माण में 2 करोड़ 78 लाख 64 हजार 150 रू का भारी घोटाला किया है।


 इस घोटाले की जांच करवाने के लिए 27 जून 2019 को यह शिकायत की गई है जिसमें कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर जांच कराने की मांग की गई है।


1- आरोप लगाया गया है कि सीवरेज कार्य निर्माण के दौरान 4763 सेफ्टी टैंक समतल कराई गई इस समतलीकरण के नाम पर नगर पालिका के अभियंताओं और प्रशासनिक अधिकारी द्वारा 1 करोड़ 60 लाख 98हजार 940 रू का भुगतान किया गया। मेजरमेंट बुक में कहीं भी कोई जगह दर्ज नहीं की गई और ना ही शहर में कोई सेफ्टी टैंक खाली कराए गए। 


2- सीवरेज कार्य निर्माण के तहत सूरतगढ़ शहर में 31 किलोमीटर पाइप लाइन डालने का भुगतान किया गया। यह भुगतान 96 लाख 42हजार 456 रुपए का है,जबकि शिकायतकर्ताओं का कहना है कि सीवरेज सिस्टम से पहले ही वार्डों में पीने के पानी के पाइप डाले हुए थे।


3- जी आई पाइप 15 एमएम डाया के  14 से 15 किलोमीटर का भुगतान 21 लाख 22 हजार 700 रुपए का किया गया है जबकि शहर के लोगों द्वारा खुद के खर्चे पर जी आई पाइप डलवाए गए।


  इन तीनों पर जांच कराने की मांग की गई है। 


इसकी प्रतिलिपि जिला कलेक्टर श्री गंगानगर, उपखंड अधिकारी सूरतगढ़ और अधिशासी अधिकारी नगरपालिका सूरतगढ़ को भी दी गई है। शिकायत कर्ताओं में सावित्री स्वामी, किशन स्वामी, मदन ओझा के भी नाम हैं। 



( नगरपालिका के ईओ की स्वीकृति बिना कोई भी भुगतान नहीं होता। मुख्य मंत्री को शिकायत करने के बाद ईओ, उपखंड अधिकारी को प्रति देने का क्या अर्थ है? बोर्ड का कार्य काल दो तीन माह का ही बचा है तब शिकायत हुई है।पहले सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित करवाने मेंं साथ रहे।)


सूरतगढ़ में सीवरेज सिस्टम निर्माण में शुरू से लेकर अब तक घोटालों के आरोप और गलत निर्माण के आरोप लगते रहे हैं। अभी भी निर्माण अधूरा सा पड़ा है। सीवरेज के सड़कों से ऊंचे मेनहोल दुर्घटना के कारण बने हुए हैं। कई जगह मेनहोल धरातल से नीचे हैं। 


समाचार पत्रों और चैनलों पर स्पेशल रिपोर्ट कई बार आ चुकी हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को की गई शिकायत पर जांच से असलियत सामने आएगी।


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* 3 अगस्त 2019 को सीवरेज का दूसरा समाचार करणी प्रेस इंंडिया में प्रसारित हुआ था.


करणीदानसिंह राजपूत *


सूरतगढ के सीवरेज निर्माण कार्य में करोड़ों रुपए के घोटाले का आरोप अखबारों चैनलों पर छाए रहने के बाद विधानसभा में भी गूंज उठा लेकिन घोटालों पर रोक की बजाए नए रूप में फिर घोटाला करने का खुला तरीका एक और सामने आने वाला है जिसका खाका बन चुका है।


नगर पालिका प्रशासन पर आरोप है कि उसने बिना काम किए ही सिवरेज कंपनी को करोड़ों रुपए का भुगतान कर दिया। उसका ब्योरा भी खबरों में आया व विधानसभा में भी विधायक राम प्रताप कासनिया ने बताया जिसमें रकम तक का उल्लेख किया गया था। आरोप था कि संबंधित फर्म को करोड़ों रुपए का भुगतान किया गया जो कार्य उसने किया ही नहीं। 


👍 अब आश्चर्य यह है कि नगर पालिका की बैठक का प्रस्ताव है कि सीवरेज का कार्य निर्धारित से अधिक हो गया उसके भुगतान के बाबत विचार किया जाना है। मतलब कि लाखों रुपए कंपनी को और देने वाले हैं और यह बोर्ड की बैठक की स्वीकृति से देने का प्रस्ताव रखा गया है। पार्षदों की सहमति से यह भुगतान होगा। नगर पालिका की बैठक 6 अगस्त 2019 को होने वाली है। बैठक की तिथि पूर्व में थी,मगर विधानसभा सत्र चलने के कारण यह अब 6 अगस्त को होगी।  

* बैठक में सीवरेज कंपनी संबंधित यह प्रस्ताव 20 वें क्रम पर दिया हुआ है।  इस बैठक की सूचना सभी पार्षदों को और विधायक को भी दी जा चुकी है। जब पूरे शहर में सीवरेज कंपनी को बिना काम किए भुगतान करने का आरोप लगा हुआ है ऐसी हालत में यह कहना कि निर्धारित कार्य से अधिक कार्य हो गया जिसका निर्णय करना है। आश्चर्य यह है कि जो कार्य निर्धारित था उससे अधिक कार्य बिना किसी सर्वे बिना आकलन तखमीना और स्वीकृति के कैसे किया गया और करवाया गया। यह कार्य हुआ या नहीं हुआ? इसकी भी क्या गारंटी है? पालिका बोर्ड बैठक का एजेंडा यानि प्रस्ताव अध्यक्ष की स्वीकृति से ही होते हैं। नगर पालिका की अध्यक्ष श्रीमती काजल छाबड़ा और उपाध्यक्ष पवन ओझा भारतीय जनता पार्टी से हैं।  यह बोर्ड भारतीय जनता पार्टी का है। भारतीय जनता पार्टी स्वच्छ छवि का प्रचार और प्रदर्शन करती है लेकिन भारतीय जनता पार्टी के विधायक रामप्रताप कासनिया विधानसभा में नगर पालिका में भयानक घोटाले और भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हैं। 

*अब फिर प्रस्ताव नंबर 20 से यह सामने आ रहा है कि अभी और रुपया लुटाया जाना है और इसमें पार्षदों की भी सहमति होगी। भ्रष्टाचार के आरोप लगे हुए है। सरकार को शिकायतें हो चुकी है उसके बावजूद पार्षद गण इस प्रस्ताव की सहमति देते हैं तो वे भी भ्रष्टाचार के दोषी माने ही जाएंगे। पार्षदों को यह हक नहीं है कि वे बैठक में चाहे जिस प्रकार के प्रस्ताव पारित करके राज्य सरकार के कोष  को नुकसान पहुंचाएं। ऐसा कोई अधिकार उन्हें कानून नियमों में मिला हुआ नहीं है।  अगर वे जानते हुए प्रस्ताव पारित करते हैं तो भ्रष्टाचार की मिलीभगत में दोषी होंगे। अब यह पार्षदों को सोचना है कि वे जानते बुझते यह अपराध करेंगे या नहीं करेंगे?पार्षदों को भ्रष्टाचार में लिप्त होना है या नहीं होना है इतनी बुद्धि तो उनमें जरूर होनी ही चाहिए। अब नगर पालिका बोर्ड का कार्यकाल कुछ महीनों का ही बाकी है और जाते-जाते इस अपराध में पार्षद शामिल होते हैं तो वे कहीं ना कहीं मुकदमों में निश्चित रूप से फंसने वाली स्थिति में होंगे और हो सकता है कि खुद जेल में जाने का रास्ता बनाएं। पालिका में महिला पार्षद भी हैं उनको अपना भविष्य सोचना चाहिए।

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नगर पालिका की इस प्रस्तावित बैठक में एक और प्रस्ताव भी है। यह भी सीवरेज से संबंधित है जिस में लिखा गया है कि जो सड़के आदि सीवरेज कंपनी ने तोड़ दी और निर्माण नहीं करवाया वह निर्माण नगर पालिका करवाएगी और संबंधित सिवरेज मद में से पैसा लेगी। यह भी एक आश्चर्य है कि सीवरेज कंपनी ने तोड़कर पुनर्निर्माण क्यों नहीं करवाया और नगर पालिका ने उस पर कोई कार्यवाही क्यों नहीं की? 


सीवरेज कंपनी को पहले भी भुगतान किया गया है उस पर आरोप लग रहे हैं। ऐसी स्थिति में इस प्रकार के प्रस्ताव रखना सूरतगढ़ की जनता के साथ खुले रूप से धोखाधड़ी है। आश्चर्य यह है कि प्रदेश में सरकार कांग्रेस की बने हुए 8 महीने बीत चुके हैं और यहाँ के सभी नेता, संगठन पदाधिकारी, पूर्व विधायक आदि सभी चुप हैं।

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ये हालात थे काजल छाबड़ा के कार्यकाल के जब ओमप्रकाश कालवा अध्यक्ष चुने भी नहीं थे। 

* काजल छाबड़ा के कार्यकाल में घरों में बने हुए सेफ्टी टैंकों को तोड़ने गंदगी फेंकने का गलत काम और फर्जी दस्तावेज तैयार हुए। भुगतान हुआ। तब कंपनी से वापस वसूलने की कार्यवाही नहीं हुई। बाद में कंपनी के रुपये रोके गए। ये रोके गए रुपये का भुगतान ओमप्रकाश कालवा के काल में हुआ। 

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कालवा पर मुकदमा नगरपालिका के पूर्व अध्यक्ष बनवारीलाल मेघवाल ने कराया हुआ है। काजल छाबड़ा को शामिल नहीं किया क्योंकि उससे कोई लाभ नहीं था। ओम प्रकाश कालवा हटे सस्पेंड हो तो इस पद पर बैठने का अवसर मिले।

* अब कांग्रेस में कोई समझदार होगा तो शुरू से जांच करवाएगा या एक और मुकदमा करवाएगा। ०0०

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