मंगलवार, 3 जनवरी 2023

पाले से फसलों का इस तरह करें बचाव काश्तकारों को सलाह।

 



* करणीदानसिंह राजपूत *

-कृषि विभाग ने जारी की एडवाइजरी

श्रीगंगानगर, 3 जनवरी 2023.

कई दिनों से श्रीगंगानगर जिले में न्यूनतम तापमान 4 डिग्री सेल्सियस के आस-पास व उत्तर दिशा से ठण्डी हवा तथा आसमान साफ रहने से फसलों को पाले से नुकसान की आशंका है। इस संबंध में कृषि विभाग की ओर से एडवाइजरी जारी कर किसानों से अपील की गई है कि वे फसलों में पाले से बचाव के उपाय करें।
कृषि विभाग के उपनिदेशक डॉ. जीआर मटोरिया ने बताया कि शीत लहर एवं पाले से सर्दी के मौसम में सभी फसलों को नुकसान होता है। पाले के प्रभाव से पौधों की पत्तियाँ एवं फूल झुलस कर झड़ जाते हैं तथा अध.पके फल सिकुड़ जाते हैं। फलियों एवं बालियों में दाने नहीं बनते हैं व बन रहे दाने सिकुड़ जाते हैं।
 उन्होंने बताया कि प्रायः पाला पड़ने की सम्भावना 25 दिसम्बर से 15 फरवरी तक अधिक रहती है। जब आसमान साफ हो, हवा न चल रही हो और तापमान काफी कम हो जाये तब पाला पड़ने की सम्भावना बढ़ जाती है। दिन के समय सूर्य की गर्मी से पृथ्वी गर्म हो जाती है तथा जमीन से यह गर्मी विकिरण द्वारा वातावरण में स्थानान्तरित हो जाती है इसलिए रात्रि में जमीन का तापमान गिर जाता है तथा कई बार तापमान शून्य डिग्री सेल्सियस या इससे भी कम हो जाता है। ऐसी अवस्था में ओस की बूंदे जम जाती है। इस अवस्था को हम पाला कहते है। पाला पड़ने के लक्षण सर्वप्रथम आक आदि वनस्पतियों पर दिखाई देते हैं।
👍 उन्होंने बताया कि रबी फसलों में फूल आने एवं बालियाँ/फलियाँ आने व बनते समय पाला पड़ने की सर्वाधिक सम्भावनाएं रहती है। अतः इस समय कृषकों को सतर्क रहकर फसलों की सुरक्षा के उपाय अपनाने चाहिये। उन्होंने बताया कि पौधों एवं सीमित क्षेत्रा वाले उद्यानों/नगदी सब्जी वाली फसलों में भूमि के ताप को कम न होने देने के लिये फसलों को टाट, पोलीथिन अथवा भूसे से ढक देवें। वायुरोधी टाटियांए, हवा आने वाली दिशा की तरफ यानि उत्तर.पश्चिम की तरफ बांधे। नर्सरी, किचन गार्डन एवं कीमती फसल वाले खेतों में उत्तर-पश्चिम की तरफ टाटियां बांधकर क्यारियों के किनारों पर लगायें तथा दिन में पुनः हटायें।
 उन्होंने बताया कि जब पाला पड़ने की सम्भावना हो तब-फसलों में हल्की सिंचाई कर देनी चाहिये। नमीयुक्त जमीन में काफी देरी तक गर्मी रहती है तथा भूमि का तापक्रम एकदम कम नहीं होता है। इससे तापमान शून्य डिग्री सेल्सियस से नीचे नही गिरेगा और फसलों को पाले से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है।
 उन्होंने बताया कि जिन दिनों पाला पड़ने की सम्भावना हो उन दिनों फसलों पर 1 एम.एल. गन्धक का तेजाब या डाईमिथाईल सल्फोआक्साईड प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। ध्यान रखें कि पौधों पर घोल की फुहार अच्छी तरह लगे। छिड़काव का असर दो सप्ताह तक रहता है। यदि इस अवधि के बाद भी शीत लहर व पाले की सम्भावना बनी रहे तो छिड़काव को 15.15 दिन के अन्तर से दोहरातें रहें या थायो यूरिया 500 पी.पी. एम. (आधा ग्राम) प्रति लीटर पानी का घोल बनाकर छिड़काव करें।
 उन्होंने बताया कि सरसों, गेहूँ, चना, आलू, मटर जैसी फसलों को पाले से बचाने में गन्धक का छिड़काव करने से न केवल पाले से बचाव होता है, बल्कि पौधों में लौहा तत्व की जैविक एवं रासायनिक सक्रियता बढ़ जाती है जो पौधों में रोग रोधिता बढ़ाने में एवं फसल को जल्दी पकाने में सहायक होती हैं। दीर्घकालीन उपाय के रुप में खेत की उत्तर-पश्चिमी मेड़ों पर तथा बीच.बीच में उचित स्थानों पर वायु अवरोधक पेड़ जैसे शहतूत, शीशम, बबूलए, खेजड़ी, अरडू आदि लगा दिये जाये तो पाले और ठण्डी हवा के झौंकों से फसल का बचाव हो सकता है।०0०
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