मानसिक रोगी कोई भी, किसी पद कद काठी का,उसे रोगी न कहें,उसका ईलाज कराएं।
* करणीदानसिंह राजपूत *
मानसिक रोगी कोई भी हो सकता है। किसी भी पद कद और काठी का व्यक्ति मानसिक रोगी हो सकता है लेकिन सार्वजनिक रूप से उसे पागल या मानसिक रोगी नहीं कहना चाहिए। मानसिक रोगी किसी भी अवस्था में किसी भी स्तर के कम या ज्यादा विभिन्न प्रकार की क्रिया प्रतिक्रिया करते अजब हरकतें करते हुए मिल जाते हैं। मानसिक रोगियों का अपने मन पर अपनी क्रियाओं पर नियंत्रण नहीं होता। वे बेबस से होते हैं।वे दया के पात्र होते हैं। ईलाज के पात्र होते हैं।
विश्व स्तर पर मानसिक रोगी को स्वस्थ बनाने के लिए या उसके स्वास्थ्य के लिए जनता को जाग्रत करने के लिए सोचा गया। विश्व स्तर पर 10 अक्टूबर को मानसिक स्वास्थ्य दिवस के रूप में मनाने और जागरण करने का दिवस तय किया गया।
भारत में पहले आगरा अमृतसर रांची आदि में ही मानसिक रोगियों के इलाज की व्यवस्था थी। लोग अक्सर कहते थे कि आगरा भिजवाना है। यह एक मजाक के रूप में भी प्रचलित था। कोई उत्तेजित होता या गलत बात करता हरकतें गलत होती तो उसे पागल कहते और कहते कि आगरा भिजवाना है।
बहुत बाद में कहा जाने लगा के कोई व्यक्ति विभिन्न प्रकार की हरकतें करता है और वह किसी स्तर का हो,उसे पागल नहीं कहा जाए। वह मानसिक रोगी है और उसका इलाज भी संभव है। वर्तमान समय में भारत में लगभग हर बड़े स्थान पर बड़े शहर में मानसिक रोगियों का इलाज संभव है। सरकारी स्तर पर और निजी क्षेत्र में भी मानसिक रोगियों का इलाज हो रहा है। सरकारी स्तर पर जिला स्तर पर मानसिक रोगों का इलाज मिल जाता है।
आज जिस स्थान सूरतगढ़ में मैं रहता हूं यहां भी मानसिक रोगियों का इलाज संभव है।
*कुछ वर्ष पहले राजस्थान सरकार ने मानसिक रोगियों की दुर्दशा पर विचार किया था। सरकार का आदेश था कि जो मानसिक रोगी बाजारों में घूमते हैं सड़कों पर घूमते हैं उन्हें पुलिस चिकित्सालय तक पहुंचाएं। इस आदेश को लगभग भुला दिया गया है।फाइलों में जरूर मौजूद होगा।यह सरकारी आदेश बहुत महत्वपूर्ण था और आज भी इसका महत्व है। यदि कहीं कोई मानसिक रोगी विचरण करता हुआ मिले तो आज भी पुलिस को सूचित किया जा सकता है कि इसको सरकारी चिकित्सालय तक पहुंचाएं। व्यक्ति और संस्थाएं भी ऐसे रोगी को सरकारी चिकित्सालय तक पहुंचा सकते हैं। उसके बाद सरकारी चिकित्सा प्रभारी की ड्यूटी है कि वह उसे उचित इलाज के लिए अपने यहां पर व्यवस्था करे या फिर बड़े चिकित्सालय में भिजवाए।
*मानसिक रोगी शहर में हो सकता है गांव और ढाणी तक में भी हो सकता है। अपने पद को लेकर अपने पैसे को लेकर अपनी समस्याओं को लेकर अधिक परेशान होकर व्यक्ति मानसिक रोग की ओर बढ़ जाता है। यदि व्यक्ति को स्वयं पता लगे कि उसकी कार्यप्रणाली में कुछ अलग प्रकार के लक्षण हैं तो उसे स्वयं ही इलाज के लिए सरकारी गैर सरकारी स्थान पर पहुंचना चाहिए। यदि परिवार जनों को व्यक्ति के लक्षण कार्य अजब तरीके के लगे कुछ परेशानी नजर आए तो उनको भी ध्यान देना चाहिए और रोगी को साथ लेकर उचित स्थान पर इलाज करवाने के लिए पहुंचना चाहिए।
*मानसिक रोगी की अलग-अलग अवस्थाएं होती है।मानसिक रोगी स्वयं को कभी रोगी नहीं मानता। यह भी अवस्था होती है लेकिन उसके लक्षण अन्य लोग जानकर मालूम कर सकते हैं कि वह व्यक्ति मानसिक रोगी है और उसे इलाज की जरूरत है।
* व्यक्ति किसी भी पद किसी भी कद काठी का हो नेता हो व्यापारी हो कर्मचारी हो मजदूर किसान हो मानसिक रोगी हो सकता है। आपको कहीं विचित्र लक्षण करते हुए कोई दिखाई दे तो उचित देखरेख कर मालूम करें।एक-दो दिन में ही मालूम हो जाएगा कि संबंधित व्यक्ति मानसिक रोगी है और उसे इलाज की आवश्यकता है। इसके बाद उचित कदम उठाए जा सकते हैं।
एक बात का ध्यान रखें कि मानसिक रोगी को पागल न कहें और सार्वजनिक स्थान पर कहीं कुछ भी विचार प्रगट नहीं करें।
* विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस.
10 अक्टूबर 2022.
* करणीदानसिंह राजपूत,
पत्रकार ( राजस्थान सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय से अधिस्वीकृत)
सूरतगढ़ (राजस्थान )
94143 81356
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