गुरुवार, 1 सितंबर 2022

सूरतगढ़: 2013 के पट्टे व घरों में निवास: भूमाफिया की धमकियां खाली करो

 

* करणीदानसिंह राजपूत *


सूरतगढ़ 1 सितंबर 2022.


* नगरपालिका और राजस्व प्रशासन सवालों के घेरे में हैं और गरीब भूमाफिया से जानजोखिम में  लिए परेशान है। गरीबों के साथ कुछ हुआ तो किस किस की जिम्मेदारी होगी?


नगरपालिका सूरतगढ़ ने सन् 2013 में अभियान के समय अनेक कब्जों का संपूर्ण कार्यवाही और दस्तावेज सही मान मौके की  जांच करवाने के बाद नियमन किया और पट्टे जारी किए, लेकिन भूमाफिया 2022 में जमीन अपनी बताते हुए खाली करने के लिए दबाव डाल रहा है। नगरपालिका ने 2004 के नियमन नियमों के तहत 2013 में नियमन किया। जिन लोगों का अतिक्रमण नियमन किया गया वह खाली भूमि नहीं थी। घर बने हुए तथा बिजली पानी का कनेक्शन भी था जो अभी भी है। ऐसे अनेक परिवार हैं जिनको भू माफिया धमका रहे हैं कि जमीन खाली करो।

अनेक पीड़ित परिवार उपखंड अधिकारी कार्यालय के आगे जनसंघर्ष समिति के धरने में शामिल हैं। अपना घर उजड़ने से बचाने के लिए औरतें भी धरने में बैठी हैं।

धरने में शामिल ऐसे पीड़ित परिवारों में

मुक्तिनाथ ब्राह्मण,राज नारायण यादव, देवेंद्र कुमार यादव,राम सहाय पाल गडरिया,गोरख सिंह राजपूत, नकछेदसिंह चौहान के परिवार हैं।


इनके अन्तरिम नियमन आवेदन अधिकार पत्र भी इनके पास हैं।

नगरपालिका को पेराफेरी की 2 किलोमीटर परिधि की जमीन मिली जो अस्थायी कास्तकारों की खारिज हो चुकी थी। नगरपालिका ने पेराफेरी में मिली जमीन पर बसे लोगों के अतिक्रमणों का नियमन कर दिया जिसमें राज्य सरकार के नियमों और गाईडलाईन की पालना की गई।

जब खाली जमीन पर अतिक्रमण हुए तब कोई मालिक सामने नहीं आया विरोध नहीं किया। पट्टे बनाने के समय भी किसी ने विरोध नहीं किया। सन् 2013 में नियमन हुआ तब भी कोई विरोध नहीं हुआ और 9 साल बाद कहा जा रहा है कि जमीन खाली करो। 

असल में कभी जिनके नाम टीसी आवंटन था। उन्होंने पहले ध्यान नहीं दिया।कास्त के अभाव में जमीन टीसी खारिज हुई और राज की हो गई। राजस्व तहसील ने सरकारी आदेश के तहत यह जमीन पेराफेरी में नगरपालिका सूरतगढ़ को 2007 में सौंप दी। नगरपालिका ने लोगों के बसने पर आबादी मानकर वार्ड बना दिया। सुविधाएं भी उपलब्ध करवादी।

अब जमीनों की कीमतें बढी तो सभी जागे। पेराफेरी के वे कास्तकार भी जागे जिन्होंने पहले परवाह नहीं की थी। उन्होंने खारिज जमीन को पुनः बहाल करवा लिया। ये बहाली तो होनी ही नहीं थी क्योंकि वहां तो घर बने हुए व पट्टे बन गए थे। लेकिन सब अनदेखी कर जमीन बहाल करदी गई। इसमें राजस्व विभाग के स्टाफ व अधिकारी शामिल हैं। नगरपालिका भी शामिल है।

बहाली कराने वाले खुद तो सामने आ नहीं रहे। उन्होंने जमीनें आगे बेच दी। जमीन खरीदने वाले बड़े लोग खुद तो सामने आ नहीं रहे हैं, वे अन्य लोगों को जमीन खाली कराने के लिए भेज रहे हैं जो गरीबों पर दबाव डाल रहे हैं।भूमाफिया वहां आपराधिक वारदात भी कर सकते हैं।

जनसंघर्ष समिति के धरने में पीड़ित शामिल हुए हैं जिनका कहना है कि घर खाली नहीं करेंगे। सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि ये बहाली कैसे हुई।


जनसंघर्ष समिति ने अनेक समस्याओं को लेकर उप खंड अधिकारी कार्यालय के सामने धरना शुरू कर रखा है। राकेश बिश्नोई लक्ष्मण शर्मा, मदन ओझा ने धरने पर बताया कि नगरपालिका और राजस्व प्रशासन के समक्ष अनेक मांगे रखी हुई है जिनका निस्तारण करना प्रशासन का दायित्व बनता है। ०0०







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