सोमवार, 30 मई 2022

पालिका अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा के विरुद्ध लड़ाई कच्ची पक्की.सवालों में घिरी।

 

* करणीदानसिंह राजपूत *

सूरतगढ़ 30 मई 2022.

नगरपालिका अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा के भ्रष्टाचारों की जांच कराने की मांग ही आशंकाओं में घिरी है की यह पूरी होगी या बीच में ही छोड़ दी जाएगी? 

ओमप्रकाश कालवा को सस्पेंड करके जांच करने की मांग है और 3 जून 2022 से क्रमिक धरने की चेतावनी है। चेतावनी ही लचर है जिससे यह आशंका है। क्रमिक धरना मतलब आंदोलन का सबसे कमजोर कदम। नगरपालिका कार्यालय खुलेगा तब धरना शुरू होगा और कार्यालय बंद होने पर उठ जाएगा। सप्ताह में 5 दिन। शनिवार और रविवार को अवकाश। वैसे इस प्रकार के धरने अधिकारी के आश्वासन पर बीच में ही उठ जाते हैं। धरना शुरू करते हैं उस वक्त फोटोग्राफी तक उपस्थिति और उसके बाद मौके पर चार पांच लोग। यही हर धरने पर होता आया है। नगरपालिका अध्यक्ष के विरुद्ध धरने में कोई अलग प्रक्रिया होने की उम्मीद नहीं। ऐसे धरने सुबह 10 बजे शुरू होते हैं और 5 बजे चटाईयां समेटना शुरू हो जाता है। इस धरने पर इसलिए आशंका है और मजबूत कारण भी है कि इसके लिए कोई संघर्ष समिति नहीं बनाई गई। 

अभी तो एक पार्षद के लैटर हैड पर उसी की शिकायत है। बाकी तो सभी एक प्रकार से समर्थन पर ही हैं। कल को वह पार्षद धरना ही नहीं लगाए और आश्वासन पर मान जाए तब बाकी के क्या करेंगे? परसराम भाटिया और पूर्व अध्यक्ष बनवारीलाल मेघवाल के पास क्या कदम होगा? संघर्ष समिति बनाने का काम क्या बाद में होगा?

संघर्ष समिति बनाई जाती तो ओमप्रकाश कालवा के कार्य काल के नियम विरुद्ध किए सारे कार्य उसमें जोडे़ जाते। सड़कें नाले सफाई अव्यवस्था जोड़ी जाती। कालोनियों की स्वीकृतियां जोड़ी जाती जो हाईटेंशन तारों के नीचे हैं। भाजपा के लोगों से संबंधित भी है वे जुड़ती। लालचंद के समय के पट्टे जिन पर अध्यक्ष चुप है, वे मामले जुड़ते। अध्यक्ष ने वित्त और निर्माण व अन्य समितियों को नहीं बनाया। एकतंत्र चलाया जिससे भ्रष्टाचार हो रहा है। शिकायत में प्रमाणित होने वाले सभी मामले लिखे जाते। अध्यक्ष को निलंबित करने का लिखने मात्र से ही अध्यक्ष निलंबित नहीं होता। अध्यक्ष को निलंबित कराना इतना आसान होता नहीं है। बहुत जोर लगाना पड़ता है जो केवल कोठियों में बैठ कर शिकायत तैयार करने से नहीं होता। 


अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा पर आरोप गंभीर हैं और निलंबित करके जांच शुरू कराने की मांग है। यह मांग स्थानीय निकाय निदेशालय जयपुर से ही पूरी हो सकती है। यह निलंबन का आदेश निदेशक, सचिव और मंत्री ही दे सकते हैं। जो विधिवत शिकायत और आरोपों का वर्णन होना चाहिए और वह शिकायत सरकार को जानी चाहिए जो एक पार्षद की शिकायत में दिखाई नहीं देता। अभी तीन जून आने में समय है और सरकार तक शिकायत पहुंचाने,प्रतिनिधि मंडल जयपुर जाने आदि के काम हो सकते हैं। अभी कई पेच हैं और आंदोलन के लिए चैयरमैन की कुर्सी छीनने के लिए ताकत चाहिए। सबसे बड़ा सवाल है कि कांंग्रेस बहुमत का बोर्ड है और चैयरमैन के विरुद्ध लड़ने वाले भी कांग्रेसी ही हैं। कोई बड़ा कांंग्रेस नेता एक निर्देश से आश्वासन से ही सब खत्म करा देगा। ०0०







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